समाज के लोगों को एन.एस.एस. के स्वयंसेवकों से प्रेरणा लेनी चाहिएः वित्त अधिकारी

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झांसी। राष्ट्रीय सेवा योजना का वस्तुतः ग्रामीण क्षेत्रों तथा वहां के निवासियों से जुडाव तथा ग्रामीण क्षेत्रो में समर्पित भाव से कार्य करना ही राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रमुख ताकत है। यह विचार आज झांसी के पुलिस अधीक्षक नगर राहुल श्रीवास्तव ने व्यक्त किये। पुलिस अधीक्षक श्रीवास्तव आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वर्ण जयन्ती वर्ष में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्थापना दिवस समारेाह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में स्वयंसेवकों तथा कार्यक्रम अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्य अतिथि ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के बारे में काफी कुछ सुना था लेकिन राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों के साथ जमीनी सतह पर हकीकत में कार्य करने का इस नगार में ही प्रथम अनुभव था। उन्होंने कहा कि वैश्विक आपदा में विशेषकर लाॅकडाऊन के समय स्वयंसेवकों ने जिला प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर एक सराहनीय कार्य किया है। वास्तव में देखा जाए तो राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों के द्वारा इस दोरान बहुआयामी कार्यो का निर्वहन किया गया। उन्होंने कहा कि यद्यपि एन.एस.एस. के स्वयंसेवकों के द्वारा प्रदेश के अन्य भागों में भी पुलिस प्रशासन का सहयोग किया गया परंतु जिस प्रकार का सहयोग झांसी में प्राप्त हुआ वह अभूतपूर्व था। वे इस सहयेाग के लिए सदा आभारी रहेंगें। मुख्य अतिथि ने कहा कि लॉकडाउन में एनएसएस के स्वयंसेवकों का कार्य काफी सराहनीय रहा है। मास्क बैंक हो या गढ़मऊ झील की सफाई हो या प्रवासी मजदूरों को भोजन वितरण करने में प्रशासन के सहयेाग का कार्य हो, प्रत्येक क्षेत्र में एनएसएस के स्वयंसेवकों ने पुलिस एवं जिला प्रशासन के साथ सेवा भाव से सराहनीय कार्य किये हैं। एनएसएस के स्वयंसेवकों की सहायता से गढ़मऊ गांव को गोद लिया गया था, और उस गांव के प्रत्येक ब्यक्ति को सामाजिक बुराईयों के प्रति जागरूक करने तथा शिक्षा तथा सामाजिक सदभाव केे लिए गांव के लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया गया। इस अवसर पर उन्‍होंने गढमऊ गांव से सम्बंधित जिला प्रशासन की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी ए.के दीक्षित ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना सदैव से समाज की सेवा के लिए निरन्तर तत्पर रहा है। आज के समय में स्वयंसेवक न केवल ऑफलाइन बल्कि ऑनलाइन भी हर क्षेत्र में सेवाभाव से कार्य कर रहे हैं। वित्त अधिकारी ने कहा कि समाज के अन्य लोगों को एन.एस.एस. के स्वयंसेवकों से प्रेरणा लेनी चाहिये। उन्होंने कहा कि उन्हे ज्ञात हुआ है कि कोविड-19 के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों तथा कार्यक्रम अधिकारियों के द्वारा जो कार्य किए गए वहां उनकी एक प्रकार से समाज सेवा की परीक्षा थी। वित अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने बदलती परिस्थितियों में कई मानक स्थापित किए हैं राष्ट्र को जागृत करने का कार्य एन एस एस पहले से ही करता रहा है उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि भविष्य में भी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के एनएसएस के स्वयंसेवक तथा कार्यक्रम अधिकारी इसी प्रकार कार्य करते रहेंगे। विशिष्ठ अतिथि विश्वविद्यालय के कुलसचिव नारायण प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना को आज पचास वर्ष पूरे हो गए हैं, 49 वर्षों तक तो एनएसएस के स्वयंसेवकों ने आसानी से कार्य किया, लेकिन 50 वीं साल में महामारी के दौर में राष्ट्रीय सेवा योजना के सभी स्वयंसेवकों ने जिस प्रकार कोरोना के संक्रमण से डरे बिना निरंतर सेवा भाव से कार्य किया है वो सराहनीय है, इस वर्ष महामारी के दौर में स्वयंसेवकों की सच्ची कठिन परीक्षा थी,जिसमें वो 100 प्रतिशत अंकों से पास हुए हैं। उन्होंने कहा की आप सभी ने इस परीक्षा को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर लिया है। एनएसएस के नोडल अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने कोविड आख्या प्रस्तुत करते हुए बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना कोरोना काल में लोगों को जागरूक करने, उनकी मदद करने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर लॉकडाउन व्यवस्था को बनाए रखा। स्वयंसेवकों ने बैंक, मंडी, बाजार आदि स्थानों पर संक्रमण से बचाव हेतु लोगों से सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करवाने की मुहिम चलाई। उन्होंने बताया कि एनएसएस बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर गाँव में डिजिटल साक्षरता, कोविड जागरूकता, रंगोली- पेंटिंग, दीवाल लेखन जैसी अनेकों जागरूकता के कार्य किये।


समारोह की विशिष्ट अतिथि तथा एनएसएस के मुस्कुराएगा इंडिया अभियान कार्यक्रम की प्रशिक्षक डॉ. मानिनी श्रीवास्तव ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया वे बचपन से ही राष्ट्रीय सेवा योजना के विभिन्न कार्यक्रमों में अपने पिता के साथ प्रतिभाग करती रही हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना के विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा स्वयंसेवकों में राष्ट्रीयता, सामाजिकता तथा नागरिकता एक जिससे उनमें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की भावना का बोध होता है। उन्होंने कहा कि एनएसएस युवा शक्ति में प्रवाहित ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करने में सक्षम है। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना उसके स्वयंसेवकों में नेतृत्व क्षमता का विकास करती है जिससे वे समाज के प्रत्येक तबके में जाकर समाज सेवा कार्य करने में सक्षम होते है। आज के कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती की प्रतिमा पर मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन, पुष्पार्चन तथा माल्यार्पण से हुआ। राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ मुन्ना तिवारी ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की तथा साथ ही वार्षिक आख्या प्रस्तुत करते हुए बताया कि अविरल गंगा, पढ़े झांसी, बढ़े झांसी, नई तालीम सप्ताह, सेवा सप्ताह, मतदाता जागरूकता दिवस, एड्स दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिवसों पर एनएसएस न केवल कार्यक्रमों का आयोजन किया बल्कि लोगों को जागरूक करने का कार्य भी किया। उन्होंने कहा कि गतवर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्वविद्यालय एनएसएस परिवार निरन्तर सभी गतिविधियों को संचालित करता रहेगा। यह सम्भव है कि विश्वव्यापी कोरोना महामारी के कारण कुछ गतिविधियों को ऑनलाइन संचालित कराया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुपम ब्यास व आभार डॉ यतीन्द्र मिश्रा ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सातों नोडल अधिकारियों को उनके विशिष्ट कार्यों हेतु स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया। साथ ही झांसी के पांच कार्यक्रम अधिकारियों सहित 20 स्वयंसेवकों को स्मृतिचिह्न प्रदान किया गया। इस अवसर पर एनएसएस स्वयंसेवकों ने राई, ढिमरियाई और कोरोना यौद्धाओं को समर्पित एक नृत्य की प्रस्तुति की गई। इस अवसर पर प्रो प्रतीक अग्रवाल, डॉ पुनीत विसरिया, डॉ सी.पी. पैन्यूली, डाॅ. श्वेता पाण्डेय, डॉ सुशील बाबू, डॉ एस.एस. सिंह, डॉ मिली भट्ट, डॉ प्रीति निगम, डॉ पुष्पेंद्र कुमार यादव, डॉ पवन कुमार यादव, रामजी यादव, डॉ ओपी चैधरी, डॉ संतोष पांडेय, डॉ पिंकी सिंह, डॉ मनीष निगम एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों की उपस्थिति रही।

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