झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के ललित कला संस्थान में आज विद्यार्थियों और शिक्षकों ने संत रविदास को उनकी जयंती पर श्रद्धापूर्वक याद किया। वक्ताओं ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे संत रविदास के आदर्शों को आत्मसात कर देश और समाज के विकास में प्रभावी भूमिका का निर्वहन करें।
ललित कला संस्थान में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रभारी कुलपति प्रो. वीके सहगल ने कहा कि संत रविदास अपने हर काम को बहुत को बहुत मेहनत और पूरी निष्ठा के साथ करते थे। वे वक्त के बडे़ पाबंद और जबान के पक्के थे। विद्यार्थी उनके गुणों को आत्मसात कर अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं। संत रविदास साधु.संतों की सेवा को हमेशा तत्पर रहते थे। एक बार की बात हैं कि उनके गांव के लोग गंगा स्नान के लिए जा रहे थे। उन लोगों ने उनसे भी गंगा स्नान के साथ चलने का आग्रह किया लेकिन संत रविदास ने वैसा करने में असमर्थता जताई। उनका कहना था कि उसी दिन उन्होंने किसी को जूते बनाकर देने का वचन दिया है। वे अपना काम पूरा करके ही गंगा स्नान को जा सकते हैं। यदि वे बिना काम पूरा किए गंगा स्नान करने चले गए तो उन्हें इसका पूरा पुण्य न मिलेगा। उनकी बातों से यह साफ हो जाता हैं कि वे काम को तय वक्त पर पूरा करने के कितने प्रबल हिमायती थे।
छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. सुनील काबिया ने कहा कि संत रविदास की महानता और भक्ति के अनेक किस्से लोक में प्रचलित हैं। वे चौदहवीं सदी के महान समाज सुधारक और संत थे। उन्होंने भारतीय भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया। अपनी रचनाओं और व्यक्तित्व से समाज को कर्म ही पूजा का संदेश दिया। वे आजीवन सामाजिक समानता के लिए संदेश देते रहे। आज भी देश में करोड़ों लोग उनकी शिक्षाओं और संदेशों को आत्मसात कर समाज के विकास में योगदान दे रहे हैं। प्रो काबिया ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे संत रविदास के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर समाज में समरसता और भाईचारे के विकास में योगदान दें।
विवि के मूख्य कुलानुशासक प्रो. एमएल मौर्य ने संत रविदास के व्यक्तित्व का जिक्र करते हुए कहा कि वे सच कहने में तनिक भी संकोच नहीं करते थे। उन्होंने जाति पाति के भेद को कभी स्वीकार नहीं किया। संत रविदास को मीराबाई समेत अनेक बड़ी हस्तियों का गुरु भी माना जाता है। उनके पदों और छंदों को गुरु ग्रथ साहिब में भी स्थान दिया गया है। प्रो. मौर्य ने संत रविदास के एक दोहे ‘जाति जाति में जाति है जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात’ का उल्लेख करते हुए कहा कि वे सच को स्वीकारने का माद्दा रखते थे। प्रो. मौर्य ने विद्यार्थियों से कहा कि वे संतों और महापुरुषों के संदेशों को आत्मसात कर अपने समाज और देश को आगे बढ़ाएं।
जन संचार एवं पत्रकारिता संस्थान के विभागाध्यक्ष डा. सीपी पैन्यूली ने कहा कि संत रविदास दिखावे और सामाजिक आडंबरों में रंच मात्र भरोसा नहीं करते थे। वे व्यक्ति के सच्चे भाव और आपसी भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानते थे। उनकी सहजता ने तत्कालीन समाज की बड़ी से बड़ी हस्तियों के दिल पर उनकी अनूठी छाप छोड़ने में अहम भूमिका निभाई।
जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के उमेश शुक्ल ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में संत रविदास के अनुयायियों की बड़ी जमात उनकी महानता और उनके संदेशों की व्यापकता का आभास करा देती है। उनके भजन आज भी पूरे देश में बडे़ चाव से सुने जाते हैं। संत रविदास ने अपनी रचनाओं में सरल एवं आम आदमी में तब प्रचलित ब्रज, अवधी, राजस्थानी, उर्दू, फारसी के शब्दों का प्रयोग किया। उनका लोकप्रिय भजन ‘प्रभुजी तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग अंग बास समानी…. आज भी लोगों को भक्ति भाव से विभोर कर देता है।
कार्यक्रम का प्रारम्भ ललित कला संस्थान की समन्वयक डा. श्वेता पाण्डेय ने सभी अतिथियों का स्वागत से हुआ। सभी अतिथियों ने मां सरस्वती और संत रविदास के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ कराया। लीलाधर पाण्डेय समेत कुछ विद्यार्थियांं ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन समाज कार्य विभाग के डा. मुहम्मद नईम ने किया। अंत में डा. सुनीता ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर समाज कार्य विभाग की समन्वयक डा. नेहा मिश्रा, सतीश साहनी, राघवेंद्र दीक्षित, जय सिंह, अभिषेक कुमार, दिलीप कुमार, डा. उमेश कुमार, जयराम कुटार, दिनेश प्रजापति समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।
बुंविवि: पुण्यतिथि पर महात्मा गांधी और माखन लाल चतुर्वेदी को याद किया
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जन संचार और पत्रकारिता संस्थान के विद्यार्थियों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रख्यात पत्रकार माखन लाल चतुर्वेदी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धापूर्वक याद किया।
संस्थान के प्रमुख डा. सीपी पैन्यूली के निर्देशन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के तहत सभी कक्षाओं के विद्यार्थी पूर्वाहन करीब 11 बजे एक स्थान पर एकत्रित हुए। वहां सभी ने दो मिनट का मौन रखकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और माखन लाल चतुर्वेदी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस कार्यक्रम में सतीश साहनी, उमेश शुक्ल, राघवेंद्र दीक्षित, डा. उमेश कुमार, जय सिंह, अभिषेक कुमार, दिनेश प्रजापति समेत अनेक लोग उपस्थित रहे। इन सभी ने महात्मा गांधी और माखन लाल चतुर्वेदी को याद करते हुए देश में अमन और शांति कायम रखने की प्रार्थना ईश्वर से की।
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