विवि: कौन बनेगा स्‍ववित्‍त पोषित शिक्षक संघ का अध्यक्ष

0 एसएफएस बूटा अध्यक्ष पद को लेकर मचा घमासान, 0 ना पंजीयन और न ही कोई बायलॉज कहने को संगठन, 0 शिक्षक संघ निर्वाचन को लेकर शिक्षकों हुआ दो फाड़

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झांसी। बुन्देलखण्ड् विश्वविद्यालय में स्ववित्त पोषित शिक्षकों की समस्याओं को लेकर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ (बूटा) के अध्यक्ष पद को लेकर इन दिनों घमासान मचा हुआ है। इसको लेकर शिक्षकों के दो गुट बन गए हैं, जोकि एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने में लगे है। हालांकि एक पक्ष द्वारा अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए दोनों गुटों को एक करने की भी कवायद की जा रही है। ऐसे में विवाद गहराता जा रहा है, जिसका कोई हल फिलहाल निकलता नहीं दिख रहा है। इसको लेकर एक पक्ष ने सात फरवरी को चुनाव की तिथि निर्धारित कर दी है, तो दूसरा पक्ष होली के बाद चुनाव कराने की बात कर रहा है।
बता दें कि विगत कई वर्षों से स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों को पढ़ा रहे शिक्षकों की समस्या को लेकर बिना पंजीकरण के बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (एसएफएस) बना हुआ है। विगत कई वर्षों से इस पर कुछ शिक्षकों की मनमर्जी से अध्यक्ष व कार्यकारिणी का चयन हो जाता है और काम चलता रहता था, लेकिन अब इसके अध्यक्ष पद और कार्यकारिणी को लेकर कुछ विभागों के शिक्षकों के वर्चस्व को खत्म कर नए सिरे से संगठन के गठन की प्रक्रिया चलाई जा रही है। इस प्रक्रिया के लिए दो गुट बन गए हैं, जोकि अपने अपने तरीकों से कार्य करना चाहते हैं। एक गुट का प्रतिनिधित्व वर्तमान अध्यक्ष लाखन सिंह यादव और दूसरे गुट का उपाध्यक्ष डॉ. रेखा लगरखा के साथ ही कुछ वरिष्ठ शिक्षक कर रहे हैं। इसको लेकर विगत कई दिनों से विश्वविद्यालय में शिक्षकों द्वारा आम सभाएं कर चुनाव की तैयारी की जा रही है। विवि में शिक्षक संघ का अध्यक्ष बनने के बाद कोई विशेष लाभ मिलने की कोई सम्‍भावना नहीं है, लेकिन वर्चस्‍व की जंग में सब जायज दिखाई दे रहा है।

नहीं है कोई नियमावली

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में पहले एक शिक्षक संगठन था, जिसमें नियमित और स्ववित्‍तपोषित शिक्षक दोनों ही शामिल थे। नियमित शिक्षकों के वेतन और अन्य सुविधाओं के लिए शासन की नीति के अनुसार परिवर्तन किया जाता रहता है। इसको देखते हुए स्ववित्त पोषित शिक्षकों ने अपना संगठन अलग कर लिया और इसके अभी तक बने तीनों अध्य‍क्ष इंजीनियरिंग विभाग से ही रहे हैं। समय समय पर वेतन और अन्यस समस्याओं को लेकर विवि में होने वाले आंदोलनों में सभी शिक्षक शामिल रहे, लेकिन उसके बाद भी संगठन को लेकर न तो कोई नियमावली बनी और न ही कार्यकारिणी के कार्यकाल आदि तय किए गए। मनमर्जी के अनुसार अध्यक्ष बनते रहे। आगे ऐसा न होने के लेकर अब शिक्षक संगठन का पंजीकरण कराने, संगठन की नियमावली बनाने और कार्यकारिणी के कार्यकाल तय करने के पक्ष में हैं। अब यह मामला आगे क्या मोड़ लेता है। यह आगामी सात फरवरी को ही पता चल पाएगा।

खत्म करना है विभागों का वर्चस्व

सूत्रों के अनुसार अंदर की बात यह सामने आई कि संगठन में इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चरर और फार्मेसी विभाग का वर्चस्व खत्म करने को लेकर अन्य विभाग के शिक्षक एक हो चुके हैं। विगत दिनों तत्कालीन कुलपति प्रो. अविनाश चंद्र पाण्डेेय के कार्यकाल के दौरान शिक्षकों के वेतन में इजाफा किया गया था, लेकिन इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चरर और फार्मेसी विभाग विवि के कमाऊ पूत की श्रेणी वाले होने के कारण इनके शिक्षकों के वेतन पहले से ही अधिक थे। ऐसे में इनको ज्‍यादा फायदा हुआ। अब शिक्षकों की मांग ” समान पद समान वेतन ’’ पर इन विभागों से बनने वाले अध्यक्ष ज्यादा पैरोकारी नहीं करते हैं।

31 जनवरी को निलम्बित की थी कार्यकारिणी

एक गुट द्वारा आम सभा कर संगठन की कार्यकारिणी को 31 जनवरी 2018 को निलम्बित कर दिया गया था और बैठक में निर्णय लिया गया था कि सात फरवरी को दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में आम सभा की बैठक में अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी का चुनाव किया जाएगा।

अध्यक्ष ने भी आम सभा की

दूसरे गुट की आम सभा में कार्यकारिणी को निलम्बित किए जाने की सूचना के बाद वर्तमान अध्यक्ष ने आम सभा कर सभी शिक्षकों को बुलाकर समझौते की कोशिश की और स्वयं के अध्यक्ष बने रहने की पैरोकारी करते हुए होली के बाद चुनाव कराए जाने की बात की। हालांकि दूसरे गुट ने इस सभा से दूरी बनाए रखी और विरोध जताया।

यह कहना है डॉ. रेखा लगरखा का

उपाध्यक्ष डॉ. रेखा लगरखा बताती हैं कि सात फरवरी को आगामी बैठक में शिक्षक संघ की नियमावली सभी शिक्षकों की मौजूदगी में बनाई जाएगी। इसके साथ ही बूटा के पंजीकरण एवं उससे संबंधित अन्य विषयों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। एसएफएस शिक्षकों की समस्याओं जैसे कि शासन स्तर पर विनियमितीकरण, वेतन आदि के विषय में भी चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही भंग हुई कार्यकारिणी के निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस निर्णय के बावजूद भंग कार्यकारिणी के पूर्व अध्यक्ष शिक्षकों को भ्रमित कर चुनाव से बचना चाह रहे हैं। उन्होंने पिछले चार वर्षों के दौरान कभी भी कार्यकारिणी की बैठक आहूत नहीं की एवं कार्यकारिणी समिति के निर्णयों से आम सभा के सदस्यों को कभी भी अवगत नहीं कराया। यही नहीं, चार वर्षों में एक बार भी आम सभा की खुली बैठक नहीं हुई। आय-व्यय का कोई भी ब्योरा आज तक नहीं दिया गया। अपनी इच्छा अनुसार वह कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों को बदलते रहते हैं एवं उनका अनुमोदन आम सभा से नहीं कराते। ऐसे में सात फरवरी को नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा।

बताते हैं वर्तमान अध्यक्ष लाखन सिंह

दूसरे गुट के विरोध और आम सभा की बैठक करने के बाद भी अध्यक्ष अभी भी इसको साधारण तौर पर ले रहे हैं और वह विवाद को समाप्त मानकर चल रहे हैं। इस सम्बंध में वर्तमान अध्यक्ष लाखन सिंह यादव का कहना है कि शिक्षकों में फैली तमाम समस्याधओं को दूर कर लिया गया है और विवाद समाप्त हो चुका है। चुनाव होली के बाद कराया जाएगा।

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