नारी को नमन : परिवार की देखभाल के साथ करती हैं यह सभी समाजसेवा

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अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस पर एशिया टाईम्‍स परिवार का नारी को नमन। इस अवसर पर एशिया टाईम्‍स परिवार पेेेेश कर रहा है महानगर की ऐसी महिलाओं के साक्षात्‍कार, जो कि अपने परिवार की देखभाल और व्‍यस्‍त जिन्‍दगी के मध्‍य भी समाज सेवा का मौका निकाल लेती हैं और दूसरों के सुख दुख में काम आती रहती हैं।

कभी थी शिक्षिका अब बनी समाजसेविका, पशुओं से बहुत है प्रेम

झांसी। पति रेेेेलवे में सीटीआई, दो बच्‍चे, बेटी जॉब में और बेटा पढ़कर अपना भविष्‍य संवारने में जुटा हुआ है। वह मां और पत्‍नी के कर्तव्‍यों के साथ समाजसेवा में जुटी हुई हैं। यह कहानी है श्रीमती दीपा जैन की, जाेकि शादी से पूर्व एमए बीएड करने के बाद प्रेमनगर के सेण्‍ट ज्‍यूड्स इण्‍टर कॉलेज में एक शिक्षिका के पद पर कार्यरत थीं। कई वर्ष तक कार्य करने के बाद उनकी शादी हो गई और उन्‍होंने नौकरी छोड़कर परिवार की देखभाल का जिम्‍मा ले लिया। इस दौरान वह समाज सेवा से जुड़ी रहीं और जो मदद मांगने आया वह खाली हाथ नहीं गया। बच्‍चों के बड़े होते होते उन्‍होंने अपने समाजसेवा प्रेम के चलते संगठनों से जुड़ना प्रारम्‍भ कर दिया।
एकल परिवार में रहने के बाद भी वह बच्‍चों की देखभाल के साथ संगठनों से जुड़कर लोगों की समस्‍याओं को दूर करने के प्रयास करती रहीं। उन्‍होंने एक साध्‍वी के आश्रम में मेडिटेशन और अन्‍य स्‍थानों पर जाकर लोगों के दर्द को जाना और उनके दुखदर्द दूर करने की कोशिश में जुटी रहीं। इसी दौरान एक संगठन डब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूओएफ से जुुड़कर तमाम समाज सेवा के कार्य किए। परिवार में समाज सेवा के साथ कुछ नए सदस्‍यों के रुप में पशु प्रेम के तहत तीन कुत्‍ते, बिल्‍ली और कछुुुुआ आदि भी पाले। इस सम्‍बंध में उन्‍होंने बताया कि उनके पशु प्रेम को देखते हुए मोहल्‍ले के लोग भी अपने पशुओं की देख भाल के लिए कई बार उनके पास मदद मांगने आते रहते हैं। वर्तमान में वह महिला व्‍यापार मण्‍डल में उपाध्‍यक्ष और समर्पण सेवा समिति में संयुक्‍त सचिव के ताैैैर पर जुड़ी हुई हैं।
श्रीमती जैन बताती हैं कि वह कई गरीब कन्‍याओं के विवाह कराने को लेकर अपनी संस्‍थाओं के माध्‍यम से मदद करती रहती हैं। साथ ही समय समय पर अनाथाश्रम, कुष्‍ठाश्रम और गरीब बस्‍ितयों में जाकर विशेष मौकों को उनके साथ बिताती हैं। इस कार्य में उनके पति और बच्‍चों का भी उनको सहयोग मिलता रहता है और कभी परिवार के कारण उनके इस कार्य में कोई बाधा नहीं आई।

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