परिवार से अध्ािक समाज सेवा को देती हैं समय
आर्थिक तंगी झेली, पर समाजसेवा से हुआ सशक्तिकरण भी
झांंसी। मेरठ में पली बढ़ी पांच बहनों में सबसे बड़ी श्रीमती शिवाली अग्रवाल झांसी महानगर में प्रेमनगर क्षेत्र के खातीबाबा स्थित एक स्कूल में आर्ट एण्ड क्राफ्ट की शिक्षिका हैं। उनके पति मनोज अग्रवाल रेलवे में लोकाे पायलट हैं। तीन बच्चे है, जो अभी पढ़ाई पूरी करने में व्यस्त हैं।
ऐसे में समाज सेवा के लिए वक्त निकालना किसी भी महिला के लिए मुश्किल होगा, लेकिन श्रीमती अग्रवाल परिवार की प्रेरण्ाा से न सिर्फ इसके लिए समय ही निकालती है। बल्कि कई स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय सदस्य भी हैं। वह अग्रवाल समाज से जुड़ी होने के कारण समाज के महिला संगठन में भी कार्यकारिणी सदस्य हैं।
इस व्यस्त दिनचर्या के बाद भी समाजसेवा से जुड़ने की कहानी श्रीमती शिवाली अग्रवाल स्वयं बताती हैं कि पारिवारिक आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न होने के बाद भी वह प्रारम्भ से ही गरीब और असहाय लोगों की मदद के लिए स्वयं आगे बढ़कर प्रयास करती रहती थीं। अपने कालेज के दिनों में उन्होंने पढ़ाई के साथ ही गरीबों की मदद के लिए छह छात्राओं के साथ मिलकर नवज्योत क्लब के नाम से मेरठ में एक संस्था बनाई थी। संस्था में उनके साथ 200 सदस्य थे, जो हर काम में एक दूसरे का बढ़चढ़कर साथ्ा देते थे। उनकी संस्था गरीब बच्चों को गर्म कपड़ेेे, कॉपी किताब आदि के साथ अन्य सामान भी वितरित किया करती थी। कुछ स्कूूूूली गरीब बच्चों की उनकी संस्था ने फीस भी भरी, लेकिन आर्थिक दिक्कत के कारण उन दिनों मेरठ के महापौर अरुण जैन से उस मामले में सहायता मांंगी, जिसके बाद उन गरीब बच्चों को वहां से सहायता मिलने लगी।
उन्होंने बताया कि पिताजी के काम में दिक्कत आने के कारण परिवार में आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, जिसके बाद उन्होंने एक आर्ट स्कूल खोला और उसमें लोगों का सिखाने का काम करने लगीं। इससे परिवार की स्थिति सुधरने के साथ उनको समाजसेवा के काम में भी दिक्कत नहीं आती थी। उन्होंने एमए करने के साथ टैक्सटाईल डिजायन और फैशन डिजायनिंग का कोर्स भी किया। विवाह के बाद वह झांंसी आ गईं और पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने लगीं। धीरे धीरे लोगों से परिचय बढ़ा और वह जेसीआई के झांसी ग्रेेेेटर संगठन से जुड़ीं। उसके बाद वह जेसीआई ग्रेटर की सचिव भी बनीं। अग्रवाल समाज में कार्यकारिणी सदस्य के साथ महिला व्यापार मण्डल में वह महामंत्री के पद पर रहकर समाजसेवा कर रहीं हैं।
श्रीमती अग्रवाल बताती हैं कि वह खातीबाबा स्थित एक स्कूल में शिक्षिका भी हैं और अन्य कार्य भी करती हैं। सभी कार्यों से लौटने के बाद जब थकान ज्यादा हो जाती है, तो उनके तीन बच्चे ही उनकी घर के काम में सहायता करते हैं। साथ ही पति उनकी हर कार्य में सहायता करने के साथ कार्य में आगे बढ़ने को प्रेरित करते रहते हैं।