गणितीय शोध हेतु वातावरण निर्माण की आवश्‍यकता : प्रो. पीके कपूर

गणितीय विज्ञान पर तीन दिवसीय अन्तर्राष्‍ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

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झांसी। गणितीय विषयों में अन्तःविषयक शोध की नितान्त आवश्‍यकता है। गणित जैसे प्राचीन विषय में शोध हेतु उपयुक्त वातावरण का निर्माण करें, जिससे विश्‍वस्तरीय शोध कार्य हमारे देश में भी सम्भव हो सके। यह विचार एमिटी विश्‍वविद्यालय, नोयडा के अन्तः विषयक शोध प्रकोष्‍ठ के निदेशक प्रो.पीके कपूर ने गांधी सभागार में बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के गणितीय विज्ञान तथा कम्प्यूटर अनुप्रयोग विभाग द्वारा आयोजित भारतीय विज्ञान परिषद के रिसेण्ट ट्रेण्डस् ऑफ कम्प्यूटिंग इन मैथेमैटिक्स् विषयक द्वितीय अन्तर्राष्‍ट्रीय सम्मेलन के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।
प्रो.कपूर ने कहा कि हमारे देश मे मेघा की कमी नही है जरूरत है तो वातावरण निर्माण की। अन्यथा क्या कारण है कि हमारे देश का छात्र विदेशों में जाकर विश्‍वस्तरीय शोध कार्य करता हैैै, जबकि देश में सम्भव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि आज अमेरिका तथा अन्य पश्‍चिमी देशों में भारतीय वैज्ञानिक तथा गणितज्ञ ही शोध कार्य द्वारा नए-नए आविष्‍कार कर रहे हैं।
समापन सत्र का प्रारम्भ मंचासीन अतिथियों को पुश्प भेंटकर तथा बैच लगाकर सम्मानित करने से हुआ। तीन दिवसीय अन्तर्राश्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र के अवसर पर सर्वप्रथम सम्मेलन के संयाोजक प्रो. वीके सहगल ने सम्मेलन की आख्या प्रस्तुत की तथा बताया कि सम्मेलन में गणित में कुल 09, सांख्यिकी में 06 तथा सूचना विज्ञान में 03 तकनीकी सत्र सम्पन्न हुए। इन तकनीकी सत्रों के दौरान गणित में कुल 19, सांख्यिकी में 17 तथा सूचना विज्ञान में 08 विषेशज्ञों के द्वारा आमंत्रित व्याख्यान दिये। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में कुल दौ सौ से भी अधिक षोध पत्रों के माध्यम से देष एवं विदेषों से आये शोधार्थियों ने अपने शोध निष्‍कर्षों को उपस्थित श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।
भारतीय विज्ञान परिषद के सचिव डा. आरसी चन्देल ने विज्ञान परिशद के विभिन्न कार्यो के बारे में जानकारी दी। डा. चन्देल ने विज्ञान परिशद द्वारा गणितीय शोध के क्षेत्र मे दिये जाने वाले पुरस्कारों की भी घोषणा की। गणितीय क्षेत्र में षोध कार्य करने के लिए प्रो.एस.विष्वास को लाईफटाईम अचीवमेण्ट अवार्ड से शॉल, नारियल तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। शुद्ध गणित की के क्षेत्र में सर्वोत्तम षोध पत्र के लिए सचिन बलाल, अनुपयुक्त गणित के क्षेत्र में प्रनीत के.विनीत तथा अन्तःविशक गणितीय षोध के लिए विषाल देव को पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस अवसर पर नाईजिरिया से आये शोध छात्रों के दल के सदस्यों को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। नाईजिरियाई प्रतिनिधिमण्डल के डा. कबीर सुलमान तथा डा.मुस्तफा मोहम्मद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सम्मेलन को सफल बताया। अवध विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 आर.बी.मिश्रा, प्रो0 एस.एन.पाण्डेय, प्रो.एस.सी.अग्रवाल, प्रो.एस.एन.पाण्डेय, प्रो0जी0सी.षर्मा, प्रो. विकास सिन्हा ने भी अपने अपने विचारों को श्रोताओं के समक्ष रखा।
कार्यक्रम के अन्त में डा.सुनीज खत्री ने अतिथियाेें का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डा.पूनम महरोत्रा ने किया।
समापन सत्र में डा.ममता सिंह, डा.सौरभ श्रीवास्तव, डॉ रमेष कुमार, डा.धर्मेन्द्र कंचन, डा.धर्मेन्द्र बादल, डा.सचिन उपाध्याय, डा.आलोक कुमार वर्मा, डा.अंजलि सक्सेना, डा.अनिल केवट, डा.सीमा सिंह, डा.पुनीत मातापुरकर, डा.रष्मि श्रीवास्तव, डा.वर्षा अग्रवाल, डा.कमल गुप्ता, डा. सीमा सेठ, डा.अमित सहगल, डा.रविन्द्र सिंह चंदेल, डा.बलवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।

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