नये ग्राम प्रधानों को भी फसल अवशेष प्रबंधन हेतु उचित प्रशिक्षण दिया जाये

* पराली जलाने की घटनाओं की पुनरावृत्ति पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु आवश्यक तैयारियां समय से सुनिश्चित करा ली जायें ** पराली जलाने से दुष्प्रभावों व पराली प्रबंधन के फायदों से किसानों को अवगत कराने हेतु चलाया जाये जागरूकता अभियान **** किसान पराली को जलाए नहीं, आय का जरिया बनाएं

0
671

झांसी। प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबन्धन के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गयी। अपने सम्बोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं की पुनरावृत्ति पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु आवश्यक तैयारियां समय से सुनिश्चित करा ली जायें। पिछले वर्ष सर्वाधिक पराली जलाने वाले क्षेत्रों का डाटा एकत्रित कर उन स्थानों पर पराली जलाने की घटना को रोकने हेतु विशेष ध्यान दिया जाये। पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों व पराली प्रबंधन से होने वाले फायदों से किसानों को अवगत कराने हेतु नगरीय एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाये तथा नये ग्राम प्रधानों को भी इस सम्बन्ध में उचित प्रशिक्षण दिया जाये। इस कार्य में एन0सी0सी0, एन0एस0एस0 एवं भारत स्काउड गाइड आदि स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि गत वर्ष ‘पराली दो खाद लो’ कार्यक्रम का सफल संचालन जनपद उन्नाव में कराया गया था। इस कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू कराया जाये। कम्बाइन से धान की कटाई के उपरान्त नमीयुक्त खेत में यूरिया छिड़काव कराकर शीघ्रता से फसल अवशेष को सड़ाने हेतु जागरूक किया जाये। गत वर्ष बेस्ड डिकम्पोजर के प्रयोग से उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुये थे। इस वर्ष भी डिकम्पोजर के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाये। किसानों के खेत के एक कोने पर मनरेगा योजनान्तर्गत खाद के गड्ढों का निर्माण कराया जाये। इससे पूर्व बैठक मे अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी द्वारा अवगत कराया गया कि गत वर्ष 2.66 लाख बेस्ट डिकम्पोजर का निःशुल्क वितरण किया गया है। कृषि अपशिष्ट प्रबंधन (सी0आर0एम0) योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में 7160 कृषि यन्त्र, 900 फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना 5 से 15 लाख पर तथा 120 गन्ना समितियों, 400 सहकारी समितियों, 80 औद्यानिक समितियों, 535 पंचायतों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना 5 लाख तक की जायेंगी। जनपदवार फसल अवशेष जलने की घटनाओं/धान के क्षेत्रफल के आधार पर ग्राम पंचायतों हेतु फार्म मशीनरी बैंक के लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं। पात्र व सक्षम समितियों की सूची उद्यान, गन्ना व सहकारी समितियों द्वारा कृषि विभाग व सम्बन्धित जनपदों को उपलब्ध कराया जायेगा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जनपद में समस्त निगरानी समितियों को क्षेत्र में पराली ना जलाने और उससे लाभ लेने के संबंध में जागरूक करने हेतु प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में भूसा बैंक भी स्थापित किया जा रहा है ताकि पराली को एकत्र करते हुए एनटीपीसी को बेचा जा सके, जहां बिजली बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि प्राप्त धनराशि ग्राम निधि में जमा होगी, जिससे ग्राम के विकास कार्य कराए जाएंगे। इसके साथ ही साथ उन्होंने बताया कि प्रत्येक गांव में दो-दो गड्ढे मनरेगा के माध्यम से भी खोदे जाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि पराली से खाद बनाई जा सके। वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग द्वारा आयोजित पराली प्रबंधन की बैठक में एनआईसी झांसी में जिलाधिकारी आंद्रा वामसी, मुख्य विकास अधिकारी शैलेष कुमार, संयुक्त विकास आयुक्त श्रीमती मिथिलेश सचान, संयुक्त कृषि निदेशक एसएस चौहान, जिला कृषि अधिकारी केके सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

LEAVE A REPLY