परिवार नियोजन के बेहतर परिणाम के लिए झुग्गी झोपड़ियों पर भी पहुँच बढ़ाने की जरूरत- जेडी

*** प्रदेश के मुक़ाबले जनपद में परिवार नियोजन की अंतराल विधियों में रुझान बढ़ा ** शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन की विधियों पर की गयी चर्चा ** पीएसआई और स्वास्थ्य विभाग के सम्मिलित सहयोग से आयोजित हुई कार्यशाला

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झांसी। शहरी स्लम क्षेत्र में परिवार नियोजन पर मुखर होकर कार्य कर रही संस्था पोपुलेशन सर्विसेस इंटेरनेशनल (पीएसआई-इंडिया) और स्वास्थ्य विभाग के सम्मिलित सहयोग से परिवार नियोजन में अंतराल विधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ जी के निगम सहित मण्डल के तीनों संयुक्त निदेशक डॉ॰ रेखा रानी, डॉ॰ वी के यादव और डॉ॰ आर के सोनी के द्वारा की गयी।
संयुक्त निदेशक डॉ॰ रेखा रानी ने बताया कि जनपद में परिवार नियोजन के बेहतर परिणाम के लिए स्लम एरिया में और पहुँच बढ़ाने की जरूरत है। पीएसआई के सहयोग से लोगों में जागरूकता आयी, लेकिन इसे जारी रखना बहुत जरूरी है। आशा और एएनएम के माध्यम से आउट रीच कैंप आयोजित किए जाए। वही संयुक्त निदेशक डॉ॰ वी के यादव ने कोविड को एक बीमारी के रूप में लेने के बारें में सुझाव दिया और बताया कि अब इसके साथ हमे चलना है, अतः इसकी वजह से परिवार नियोजन सुविधाओं में कमी नहीं आनी चाहिए। परिवार नियोजन की नयी पॉलिसी के अमल में आते ही इसपर और गहनता से कार्य करने की जरूरत होगी। कार्यशाला में पीएसआई के समन्वयक अशोक भारती ने गत तीन वर्षों में परिवार नियोजन के अंतराल विधियों पर जनपद की स्थिति के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होने बताया कि जनपद के शहरी स्लम क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और परिवार नियोजन के संचालन हेतु गत तीन वर्षों से पीएसआई-इंडिया के द्वारा ‘द चेलेंज इनिशिएटिव फॉर हेल्दी सिटीज (टीसीआईएचसी)’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें परिवार नियोजन की आधुनिक विधियों पर विशेष रूप से ज़ोर दिया जा रहा है। शुरुआत में यह कार्यक्रम जनपद की 4 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से शुरू किया गया था, वर्तमान में यह 12 शहरी प्राथमिक केन्द्रों पर सुचारु रूप से चल रहा है। कार्यक्रम के दौरान पीएसआई के द्वारा फ़िक्स डे सर्विस देने की प्रारूप शुरू किया गया जिसको बाद में प्रदेश सरकार ने भी इसे अपने स्तर से सभी जगह अमल किया। पीएसआई की राज्य स्तरीय समन्वयक कंचन ने बताया कि पीएसआई प्रदेश के 25 शहरों में कार्य कर रही है। इसके द्वारा वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में एक रिसर्च की गयी जिसके माध्यम से पता चला की प्रदेश स्तर पर जहां 4 प्रतिशत लोगों में परिवार नियोजन की विधि के प्रति रुझान बढ़ा हैं वहीं जनपद में 5.6 प्रतिशत लोगों में परिवार नियोजन की विधि के प्रति रुझान बढ़ा। वहीं कोविड के समय में एक मात्र झाँसी में भी अंतराल विधियों के प्रति लोगों का रुझान कम नहीं हुआ जबकि बाकी शहरों में यह कम आँका गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने परिवार नियोजन में सभी के सहयोग की सराहना की और पुरुष नसबंदी और प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिये। जो इस कार्य में बेहतर कार्य करेंगा उसको जनपद और मण्डल स्तर से सम्मानित किया जाएगा। वहीं सिफ़प्सा के मंडलीय समन्वयक आनंद चौबे ने परिवार नियोजन के संबंध में किशोर किशोरियों को जागरूक करने की बात कही। कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ एन के जैन, डॉ॰ सुधीर कुलश्रेस्ठ सहित डीपीएमयू यूनिट से यूएचसी ज़िया-उर-रहमान, मण्डल समन्वयक फिरोज, जिला अस्पताल से एनएसवी सर्जन डॉ॰ तनवीर, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के एमओआईसी, एआरओ, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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