नारी को नमन : परिवार की देखभाल के साथ करती हैं यह सभी समाजसेवा (भाग 8)

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जिम्‍मेदारियां निभाते हुए खुद को बनाया सक्षम

झांसी। पढ़ाई लिखाई के साथ खेलकूद और संगीत में रुचि रखने वाली एक खुशमिजाज लड़की का जीवन जीने वाली ममता वलेचा ने जो कुछ हासिल करना चाहा, अपनी मेहनत और परिवार के साथ वह हासिल किया। विवाह के बाद भी अपनी सभी जिम्‍मेदारियों को निभाते हुए अपने काे हर क्षेत्र में सक्षम बनाया। आज वह जेसीआई के संगठनों में जाना पहचाना नाम हैं और वह हर चीज को आसानी से पूरा करती है। लोगों के विरोध की परवाह किए बगैर शांत रहने का प्रयास करती हैं।
इस बारे में ममता दासानी बताती हैं कि वह जेसीआई के 2 अध्यायों से जुड़़ी रहीं, गणित की प्रवक्ता होने के बाद भी गजल गायक जगजीत सिंह की ग़ज़लों की दीवानी हैं। उनके दो बेटे मनन और प्रनन हैं। उनके पति दिलीप दासानी हमेशा उनके हर काम में साथ ही नहीं देते वरन उनको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्‍साहित भी करते हैं। उन्‍होंने बताया कि विदिशा मध्यप्रदेश मैं जन्मी 5 भाई बहनों मेें सबसे छोटी सबकी लाडली रहीं। छोटे शहर में जहाँ लड़कियाें को पढ़ाना जरूरी नहीं होता था, वहीं मेरे पापा ने मुझे विदिशा के पहले इंग्लिश माध्यम और सबसे अच्छे कान्वेंट स्कूल में पढ़ाया।
गणित में ख़ास रूचि रखते हुए स्नातक की डिग्री पीसीएम से गवर्नमेंट गर्ल्स डिग्री कॉलेज से हासिल की। वह कॉलेज की स्पोर्ट्स कप्तान, राज्‍यस्‍तरीय बैडमिंटन प्लेयर एवं डिस्ट्रिक्ट लेवेक टेबल टेनिस प्लेयर भी रहीं हैं। स्नातक फाइनल ईयर में उनको करीब 18 अवार्डस स्पोर्ट्स और कल्चरल मेें मिले। स्नातक की पढ़ाई के बाद शादी हो गई और आज़ाद पंछी जिम्मेदारियों में बंधकर ममता वलेचा से ममता दासानी बन गयी।
उन्‍होंने बताया कि जिंदगी अपने हिसाब से चल रही थी, पर पढ़ाई का भूत सर से नहीं उतरा था। झाँसी मैं ही परिवार और पति की अनुमति से अपनी एमएससी मैथ्स की पढ़ाई शुरू की और परीक्षा उत्तीर्ण की। शिक्षा पूरी होते ही शुरू हुआ स्वावलंबी बनने और शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाने का दौर। परिवार के जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए पहले स्कूल की शिक्षिका, फिर कॉलेज की शिक्षिका बन शिक्षा के क्षेत्र मेें खूब नाम कमाया। पढ़ाई और नौकरी के साथ ही 7 सालों की मेहनत के बाद वर्ष 2017 मेें वह डॉ. ममता दासानी बन गईं। इतना सब पाने के बाद भ्‍ाी कुछ कमी सी लगने लगी थी, जो कि पूरी हुई जेसीआई में जुड़ने के बाद, 2013 मैं जेसीआई झाँसी ग्रेटर से जुड़ीं। मेरी प्रतिभाओं को देखते हुए 2014 में मुझे विंग सचिव का कार्यभार सौंपा गया जो बखूबी निभाया और बहुत कुछ नया जेसीआई एवं जेसीआई की आस्थाओं के बारे में सीखा। समाज सेवा करने में सन्तुष्टि प्राप्त होती और साथ ही जेसीआई की ट्रेनर बनने का सपना देखा और स्पीच क्राफ्ट ट्रेनिंग कर ट्रेनर बनाने की पहली सीड़ी को पार किया। 2016 मेें जेसीआई झाँसी गूँज की नींव 6 सहेलियों के साथ मिलकर रखी और तिनका तिनका जोड़ कर आज गूँज के 100 मेंबर्स का सफर पूर्ण किया। इसी बीच 2017 में जेसीआई झाँसी ग्रेटर की विंग चेयरपर्सन का पद ग्रहण कर बखूबी निभाया। आज 2018 में जेसी आई के जोन II की *जोन डायरेक्टर लेडी जे सी एवं जेसीरिट विंग के पद पर अपनी जिम्मेदारियों को बखूवी निभाया। उन्‍होंने बताया कि अब उनका उद्देश्‍य है कि वह पढ़े बेटियां बढ़े बेटियां, अपनी रक्षा स्वयं करें बेटियां* स्लोगन से झाँसी की बेटियों को जागरूक करना चाहती हैैं।
ममता वलेचा से ममता दासानी और फिर डॉ. ममता दासानी के अनुसार आज जिंदगी 3 हिस्सों में बँट चुकी है, जिसमें पहला
घर परिवार, दूसरा करियर और उसके संग समाजसेवा जेसीआई के साथ। उन्‍होंने अपनी बात जगजीत सिंह की गजल के साथ खत्‍म की,
*अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफर के हम हैं* …
*रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम है*।

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