नारी को नमन : परिवार की देखभाल के साथ करती हैं यह सभी समाजसेवा (भाग 9)

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कानपुर की रुपा से बन गईं झांसी की वैशाली


झांसी। एक मध्‍यम वर्गीय परिवार से ताल्‍लुक रखने वाली, पापा की लाड़ली आज कानपुर की रुपा लाल चंदानी से झांसी की श्रीमती वैशाली जीत पुंशी के रुप में जानी जाने लगी हैं। कई सौन्‍दर्य प्रतियोगिताओं में अपना जलवा बिखरने के बाद आज जेसीआई की सदस्‍या के साथ ही कोहिनूर ऑलवेज ब्राइट की अध्‍यक्ष के रुप में समाज सेवा के नए नए आयाम लिख रही हैं।
इस सम्‍बंध में श्रीमती वैशाली पुंशी बताती हैं कि उनके पापा का मानना था कि बेटियां बेटों से बढ़कर होती हैं और इसको उन्‍होंने पूरा करने का भरसक प्रयत्‍न किया। वह हमेशा अपने पापा की लाडली रहीं हैं और हाईस्‍कूल की परीक्षा में टॉपर रहीं। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक कॉलेज में शिक्षिका रहीं और कानपुर के लाजपत भवन में कई शो में एंकरिंग भी की। करियर आगे बढ़ ही रहा था, कि झांसी में उनका विवाह व्‍यापारी जीत पुंशी के साथ हो गया और वह यहां आ गईं। चुलबुली रुपा को एक परिवार की जिम्‍मेदार बहू वैशाली के रुप में नई पहचान मिली।
उन्‍होंने बताया कि शादी के बाद सिर्फ नाम ही नहीं बहुत कुछ बदल गया और शादी के बाद की जिम्‍मेदारियों में सब कुछ खो सा गया। वह मातृत्‍व सुख पाकर परिवार की देखभाल में लग गईं। इस दौरान जेसीआई संगठन से जुड़ने का मौका मिला और वह जेसीआई ग्रेटर में कोषाध्‍यक्ष के पद पाकर अपनी पहचान बनाने में जुट गईं। जेसीआई के साथ ही ऐरोबिक्‍स ट्रेनर के रुप में भी अपनी पहचान बनाई। जेसीआई ग्रेटर व जेसीआई गूंज में सक्रिय सदस्‍य रहकर कई उपलब्‍धियां हासिल कीं। उसके बाद एक नई शुरुआत के रुप में कोहिनूर का गठन किया और पहले यह जेसीआई से जुड़ा रहा बाद में इसको कोहिनूर ऑलवेज ब्राइट के रुप में एक गैर सामाजिक संगठन बनाकर कार्य करना प्रारम्‍भ किया। उन्‍होंने बताया कि यह ऐसी संस्‍था है जो मानवता के लिए कार्य करने के लिए संकल्‍पित है। हालांकि यह सफर इतना आसान नहीं रहा और इसके गठन के साथ ही तमाम परेशानियां और दिक्‍कतें आईं, जिसके बाद भी कोहिनूर ने मिडकॉन व जोनकॉन में सर्वाधिक अर्वाड अपने नाम किए। जयपुर द्वारा कराए गए मिसेज कैच के सेल्‍फी कॉन्‍टेस्‍ट में प्रथम विजेता का खिताब हासिल किया। साथ ही सिंधी समाज, भाजपा सरकार, विभिन्‍न प्रोजेक्‍ट सहित झूलेलाल समिति आदि के साथ काम कर विभिन्‍न सम्‍मान चिह्न प्राप्‍त किए। इसके अलावा दैनिक जागरण समाचार पत्र द्वारा आइडल वूमेन अवार्ड से भी नवाजा गया। उन्‍होंने बताया कि वैशाली आप सबकी तरह ही सबसे पहले एक साधारण नारी, किसी की बेटी, बहू, पत्नी, एक माँ की जिम्‍मेदारियों को निभाते हुए एक समाज सेविका के रूप में कार्य कर रही हूं।
वह अपनी बात खत्‍म करते हुए कहती हैं कि आज नारी नारी का सम्मान करें, अधिकतर नारी ही नारी का सम्मान नहीं करती। यह बहुत दुख की बात है। एक दूसरे का सम्‍मान कर मिलजुल कर नारी आगे बढे। यही नारी शक्ति का सशक्तिकरण होगा।