‘बेकार को आकार’ देने में कलाकार की कल्पनाशीलता का होता है विकास- प्रो. मुकेश पाण्डेय

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झाँसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण द्वारा घरेलू निष्प्रोज्य वस्तुओं के पुनः उपयोग के उद्देश्य से ‘‘बेकार को आकार’’ तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश कुमार पाण्डेय द्वारा किया गया।
कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए कुलपति प्रो. मुकेश कुमार पाण्डेय ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस तरह की वस्तुओं के निर्माण में कलाकार की आन्तरिक संवेदनायें जुडी होती है। निष्प्रोज्य वस्तुओं के पुर्ननिर्माण एवं पुर्नउपयोग द्वारा उस कृति में हमें सजीवता दिखाई देती है। इसमें कलाकार की कल्पनाशीलता का विकास होता है। उन्होनें कहा कि संसार में कोई भी वस्तु बेकार नहीं होती, हमें उन्हें सहेजना तथा उसका पुनःउपयोग करना आना चाहिए।
कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि अधिष्ठाता, कला संकाय प्रो. सी.बी. सिंह ने कहा कि कुछ दशकों पूर्व तक घरों में रद्दी को गलाकर उनसे सुन्दर घरेलू उपयोग की वस्तुओं का निर्माण होता था, वह हमारी स्वदेशी तकनीक थी। आज आवश्यकता इस बात की है कि घरेलू कचरा व अनुपयोगी वस्तुओं के प्रयोग के माध्यम से हम स्वयं के प्रयोग की वस्तुओं का निर्माण कर सकते हैं। उन्होनें कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने में भी मद्द कर सकती हैं। अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रो. सुनील काबिया ने कहा यदि हम अपनी कलात्मक सोच का प्रयोग करे तो कबाड़ चीजों को भी आकर्षण रूप देकर घर की सजावट में प्रयोग कर सकते हैं। विद्यार्थी कार्यशाला में सीखे हुए ज्ञान का प्रयोग अपने घर व विश्वविद्यालय परिसर को सजाने में कर सकते हैं। कार्यशाला की प्रशिक्षक नीलम सारंगी ने कहा कि आधुनिक समय की भयानक समस्याओं में कचरा निपटान एक बड़ी वैश्विक समस्या हैं। खासकर शहरी जीवन में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के कोई बड़े प्रबंध नहीं होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप नगर निकायों के पास उस अगलनीय कूड़े को कई किलोमीटर की भूमि पर शहर के बाहर ढेर लगाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचता हैं। अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि हम इन वस्तुओं का उपयोग घर, कार्यालय एवं पार्क आदि को सजाने में करें। कार्यशाला का संचालन सहायक अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डाॅ. मुहम्मद नईम ने किया, जबकि अतिथियों का स्वागत अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. सुनील काबिया ने एवं आभार कार्यशाला संयोजक डाॅ. सुनीता द्वारा किया गया।
कार्यशाला का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर व द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया। प्रियंका रिछारिया द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। कार्यशाला में सह संयोजक डाॅ. अंजलि सक्सेना, डाॅ. अजय कुमार गुप्ता, डाॅ. ब्रजेश कुमार सिंह, डाॅ. दिलीप कुमार व हेमन्त चन्द्रा आदि द्वारा अतिथियों का स्वागत बैच लगाकर व पुष्प गुच्छ भेंट कर किया गया। कुलपति प्रो पाण्डेय द्वारा प्रशिक्षक नीलम सारंगी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। संयोजक मण्डल द्वारा समस्त अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। इस अवसर पर डाॅ. उपेन्द्र तोमर, डाॅ. कौशल त्रिपाठी, डाॅ राजीव बबेले, डाॅ. श्वेता पाण्डेय, डाॅ. अतुल गोयल, डाॅ. वन्दना, डाॅ. प्रभात कुमार, डाॅ. राधिका, उमेश कुमार, भगतसिंह, बलराम राजपूत आदि उपस्थित रहे।

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