अवसाद से बचने के लिए खुद को खुद में ही खोजना होगा : दयाशंकर मिश्र

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झाँसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना एवं परमार्थ समाज सेवी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में पुस्तक “जीवन संवाद” व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान में मुख्य अतिथि वरिष्‍ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र ने कहा कि यदि व्यक्ति खुद को खुद में खोजना शुरू कर दे तो अवसाद से आसानी से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार एवं पुस्तक “जीवन संवाद” के लेखक दयाशंकर मिश्रा ने कहा कि हमें विचार करना होगा, जीवन से जुड़ी समस्याओं पर। गाँव में बढ़ती आत्महत्याओं पर और शहरों में लोगों की संकुचित होती मानसिकताओं पर। हमें देखना होगा कि हम किस प्रकार अकेले होते जा रहें है। हम खुद को खुद में खोजना भूल रहे है। हमें सबसे पहले अपने अंदर अपने आपको खोजना होगा। हम इतने अकेले होते जा रहे हैं कि अपनी बातें अपनों से ही नहीं कर पाते हैं। हमें इन दीवारों को लाँघ कर आगे निकलना होगा। अब समय आ गया है कि बच्चों को माता-पिता से और माता-पिता को बच्चों से मैत्रीपूर्ण संवाद करने की आवश्यकता है। माता-पिता को अपने बच्चों के सुख-दुख से ज्यादा उनके अंतर मन में क्या चल रहा है उसे समझना होगा। बच्चों को समझना होगा कि हम केवल डांट मार के लिए नहीं बल्कि आपको प्यार देने के लिए भी है। बच्चों पर बढ़ते सामाजिक दबाव को कम करना होगा। नंबर की गणित को अब विराम देने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है जों बच्चें पढ़ाई में कमजोर होते है। वो और कामों में अव्वल होते है। कई बार देखा गया है दुनिया में रंग भरने का काम तो कम नंबर लाने वाले बच्चे ही करते है। हमें अब देखना होगा कि जों बच्चे जीवन में हमेशा अच्छा करते है वह फेल केवल स्कूल में होते है। उन्होंने कहा कि मन की निरंतर सफाई की जरूरत है। असहमति और प्रेम के बीच अंतर को हमें समझना होगा। व्यक्ति का मन कमजोर हो गया है। इसे मजबूत बनाएं। लोग क्या कहेंगे, इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने धीमे-धीमे चलिए की सलाह दी। उन्होंने विद्यार्थियों और युवाओं को सलाह दी कि वह सोच विचार कर पूरी दृढ़ता के साथ अपना क्षेत्र चुने। व्यक्ति को बदले की भावना छोड़ना होगी। सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दें। हम ईश्वर के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। अपने को बड़ा समझना बड़ी भूल है।

बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में मौजूद आकांक्षा समिति झांसी की पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रीति चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि व्यक्ति को मन से मायूस नहीं होना चाहिए। अंधेरे में दिया की रोशनी हमें प्रेरित करती है।आज समाज की परिभाषा बदलने की जरूरत है। व्यक्तित्व को कम नहीं आंका जाना चाहिए। हम डिजिटली मॉडर्न होते जा रहे हैं लेकिन हमें अपने आपको सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना होगा। प्रकृति के सौंदर्य से आत्मसात करना होगा। सामूहिक समरसता को बचाने की हम सब की जिम्मेदारी है। कार्यक्रम में किसान नेता शिवनारायण परिहार, महेंद्र शर्मा, प्यारे लाल बेधड़क, शेखर राज बड़ोनिया आदि ने मुख्य अतिथि से विभिन्न सवालों के माध्यम से संवाद किया। कार्यक्रम में उपस्थित आकांक्षा समिति की संरक्षक श्रद्धा गोयल ने आयोजन की सराहना की। आयोजन की अध्यक्षता बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ मुन्ना तिवारी ने की, जबकि संचालन शाश्वत सिंह ने किया। अतिथियों आभार कार्यक्रम के संयोजक डॉ उमेश कुमार ने व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत एनएसएस की वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ श्वेता पाण्डेय ने किया।
कार्यक्रम में परमार्थ समाजसेवी संस्था के कार्यक्रम अधिकारी मान सिंह राजपूत, वरिष्ठ पत्रकार संतोष पाठक, लक्ष्मी नारायण शर्मा, अधिवक्ता राजेंद्र शर्मा, अधिवक्ता गौरव जैन, समाजसेवी डॉ नीति शास्त्री, नेहा अग्रवाल, संगीता अग्रवाल, सुमन राय सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों, किसान संगठनों के प्रतिनिधि व बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के विद्यार्थी मौजूद रहे।

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