डीएम ने पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में किसानों को किया जागरूक

****किसानों को निशुल्क वितरित किए वेस्ट डी-कंपोजर कैप्सूल, पराली से बनाएं खाद *****100 किसानों को निशुल्क राई,मसूर,चना की मिनी किट का किया वितरण *****प्रचार-प्रसार किसान सेवा रथ को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

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झाँसी। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार की अध्यक्षता में जनपद के विकासखंड बड़ागांव के ग्राम छपरा में प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेजीइयू योजना (फसल अवशेष प्रबंधन) एवं निशुल्क वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल वितरण/निशुल्क मिनी किट वितरण आयोजित किया गया।
जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने महिला सशक्तिकरण को चरितार्थ करती महिला किसान एवं अन्य कृषकों से अपील करते हुए कहा कि खेत में आग ना लगाएं, कृषि अवशेष/घरों का कूड़ा खेत में किसी भी दशा में न जलाएं। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि पराली प्रबंधन से किसानों की आय को बढ़ाया जाए और इसे मूर्त रूप देने के लिए आज किसानों को निशुल्क वेस्ट डी-कंपोजर कैप्सूल वितरित किए जा रहे हैं।उन्होंने कहा किसान इसका प्रयोग करें और पराली/कृषि अवशेष को खाद बनाते हुए अपनी फसल उत्पादन को बढ़ावा दें। उन्होंने विशेष रूप से विकास खंड मोंठ और विकासखंड बड़ागांव व विकासखंड चिरगांव के किसानों को जागरूक करने पर बल देते हुए कहा कि खेत में आग लगाने से अथवा कृषि अवशेष को जलाने से जहां एक और वायुमंडल दूषित होता है, वही खेत के मित्र कीट भी मृत होते हैं साथ ही मृदा के पोषक तत्वों की भी क्षति हुई होती है। जिस कारण पैदावार में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अभिकरण के अदेशानुसार फसल अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है तथा पर्यावरण विभाग के निर्देशानुसार 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रु 2500/-, 02 से 05 एकड क्षेत्र के लिये रु 5000/- एवं 05 एकड़ से अधिक के लिये रु 15000/- तक पर्यावरण कम्पन्सेशन की वसूली का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जनपद में पराली की घटना पाये जाने पर सम्बन्धित को दण्डित करने के सम्बन्ध में राजस्व अनुभाग द्वारा राष्ट्रीय हरित अभिकरण अधिनियम की धारा 24 के अन्तर्गत क्षति पूर्ति की वसूली एवं धारा-26 के अन्तर्गत उल्लघंन की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरुद्ध कारावास एवं अर्थ दण्ड लगाये जाने का प्राविधान है। उन्होंने कहा की धान पैदावार करने वाले कृषकों के खेत पर पराली न जलाएं, पराली 100₹/कुंटल बेचकर पैसा कमाएं। उन्होंने यह भी बताया कि पराली संग्रह करने हेतु तथा कृषकों के खेत से गौशाला तक पराली ढुलान का उत्तरदायित्व ग्राम प्रधान को दिया गया है, ग्राम प्रधान ऐसे काश्तकारों को चिन्हित करना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही पराली का गौशाला स्थल में पशुओं के बिछावन या अन्य उपयोग में भी लाया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि राजस्व ग्राम के लेखपाल को यह जिम्मेदारी दी गयी है कि वह अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनाये बिलकुल न होने दे, यदि इस प्रकार की कोई घटना उनके क्षेत्र में पाई जाती है तो उनके विरुद्ध कार्यवाही का प्राविधान है, इसके अतिरिक्त जनपद के समस्त थाना प्रभारियों को निर्देश दिये गये है कि वह अपने क्षेत्र में फसल अवशेष को जलने से रोकने के लिये प्रभावी कार्यवाही करें तथा किसी भी दशा में फसल अवशेष न जलने दें। विकासखंड बड़ागांव के ग्राम छपरा में आयोजित कार्यक्रम में उप कृषि निदेशक महेंद्र पाल सिंह ने सर्वप्रथम जिलाधिकारी का स्वागत करते हुए किसानों को निशुल्क वितरित किए जा रहे वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल की जानकारी देते हुए तथा उसके प्रयोग विधि को बिंदु बार बताते हुए कहा कि ऑल राउंडर प्लस पूसा डी-कम्पोजर 150 ग्राम गुड़ को लेकर 5 लीटर पानी में मिला लें। पूरे मिश्रण को अच्छी तरह उबाल लें और उसके बाद उसमें से सारी गंदगी निकाल कर फेंक दें। मिश्रण को किसी चौकोर बर्तन जैसे ट्रे या टब में ठंडा होने के लिए रख दें। जब मिश्रण गुनगुना हो जाए तो इसमें 50 ग्राम बेसन मिला लें। कैप्सूल खोलें और मिश्रण में डालें। लकड़ी के डंडे से अच्छी तरह मिला लें। मिश्रण को सामान्य तापमान वाली जगह पर रखें। अब इसे एक हल्के कपड़े से ढक दें और मिश्रण को अब और न हिलाएं। दो से तीन दिन में मिश्रण पर क्रीम जमने लगेगी और उसमें अलग-अलग रंग नजर आने लगेंगे। चार दिनों के बाद, मिश्रण के ऊपर क्रीम जम जाएगी। अब, 5 लीटर गर्म गुड़ का घोल (बिना बेसन के) डालें। इस क्रिया को हर दो दिन में तब तक दोहराएं जब तक मिश्रण 25 लीटर तक न पहुंच जाए। 25 लीटर मिश्रण को अच्छी तरह मिला लें और उपयोग के लिए मिश्रण तैयार कर लें। उन्होंने किसानों को इसके उपयोग की जानकारी देते हुए बताया की खेत के अंदर (इन सीटू) अपघटन के लिए 10 लीटर पूसा डीकम्पोजर को 200 लीटर पानी में मिला के 1 एकड़ में नैपसैक स्प्रेयर द्वारा छिड़काव किया जा सकता है, उसके बाद पराली को रोटावेटर से अच्छी तरह से मिला दे और हल्की सिंचाई कर दें। उप कृषि निदेशक ने कहा कि जनपद में धान की कटाई शुरू हो गई है. अगली बुआई में देरी ना हो जाए व थोड़ी सी सहूलियत के कारण कुछ किसान, पराली को अपने खेतों में ही आग लगा देते है जिस कारण हमारी जमीन में करोड़ों जीवाणु व मित्र कीट जल जाते है व जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए हमें फिर से रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल करना पड़ता है। जिसका सीधा असर हमारी आर्थिक स्थिति पर्यावरण के साथ-साथ जमीन पर भी पड़ता है। आओ इस बार पहल करते हुए वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल से पराली को बिना जलाए, खेत में गला कर खाद बनाए व बिना कैमिकल का प्रयोग किए अपने परिवार व मित्रों के लिए ऑर्गेनिक गेहूं की फसल लहलाएं।
कार्यक्रम में तहसीलदार सदर डॉक्टर लालकृष्ण ने भी किसानों को खेत में आग लगाने से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी और अपील करते हुए कहा कि खेत में आग ना लगाएं और ना अन्य को लगाने दें। इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी के के सिंह, प्रभारी बीडीओ राम अवतार, एसडीओ मऊरानीपुर श्रीमती डिंपल कैन, विषय वस्तु विशेषज्ञ दीपक कुशवाहा, हरीश चंद्र वर्मा, धर्मेंद्र कुशवाहा, अरविंद पिपरैया सहित बड़ी संख्या में किसान और विभागीय अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

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