मांस खाने से हमारे अंदर जन्‍म लेती है हिंसा : हरीश हासानी

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झांसी। सिंधी समुदाय के महान दार्शनिक संत साधु टीएल वासवानी की जन्म जयंती 25 नवंबर को देश-विदेश में शाकाहार दिवस के रूप में मनाई जाती है। महान शिक्षाविद तथा जीवों के प्रति विशेष दयाभाव रखने वाले स्वतंत्रता सेनानी साधु टीएल वासवानी को उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ी श्रद्धांजलि दी है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने 25 नवम्बर को मांस रहित दिवस घोषित किया। 25 नवंबर अब प्रदेश में साधु टीएल वासवानी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मांस रहित दिवस रहेगा।
झूलेलाल सिंधी सेवा मंडल झांसी द्वारा पूज्य सिंधी पंचायत शहर में साधु टी एल वासवानी जी की जयंती के उपलक्ष्य में साधु थांवरदास लीलाराम वासवानी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर पाठ साहब प्रारंभ कराया। झूलेलाल सिंधी सेवा मंडल शहर के अध्यक्ष हरीश हासानी ने कहा कि मांस कभी मनुष्य का भोजन नहीं हो सकता। दादा वासवानी ने हमेशा मूक प्राणियों की रक्षा करने का आह्वान किया। हमें मांसाहार त्याग कर शाकाहार अपनाना चाहिए। मांस खाने से हमारे अंदर हिंसा प्रवेश कर जाती हैं, इससे मन में गलत विचार आने लगते हैं। शाकाहार से जीवन में खुशियां आने लगती हैं। सोच सकारात्मक हो जाती है। हरीश हासानी के आह्वान पर लोगों ने जीव दया करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर सभी नागरिकों से जीवनभर मांसाहार का आहार नहीं करने के प्रतिज्ञा-पत्र भराए गए। लगभग 70 प्रतिशत सिंधी समाज पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन अपना चुका है। कोषाध्यक्ष अनिल मखीजा ने बताया 25 नवम्बर 1879 के दिन अखण्ड भारत के सिन्ध प्रान्त के हैदराबाद में जन्मे, अहिन्साव्रती, दार्शनिक, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सैनानी, समाज चिन्तक साधु थावारदास लीलाराम वासवानी की याद में उनका जन्मदिन देश-विदेश में “शाकाहार दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर अनिल माखीजा, दिनेश कोडवानी, उत्तम बजाज, बसंत रंगलानी, नीतेश रंगलनी, जयकिशन फब्यानी, पंडित सुरेंद्र शर्मा, आकाश खियानी, अमित खियानी आदि उपस्थित रहे। अंत में विश्व शांति एवं खुशहाली के लिए अरदास की गई। आभार उत्तम बजाज ने व्यक्त किया।

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