इंजी. राहुल की मौत के मामले में टीटीई को करना ही पड़ा आत्‍मसमर्पण : रिपोर्ट गौरव कुशवाहा

रेलवे से टीटीई को नहीं मिली मदद, आखिरकार गया जेल आरपीएफ स्टाफ की अब तक नहीं हो सकी जमानत

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झाँसी। चंबल एक्सप्रेस से इंजीनियर राहुल सिंह को फेंक देने के मामले में छह माह से फरार चल रहे रेलवे के टीटीई को रेलवे अफसरों से ज्यादा मदद नहीं मिली है। इस कारण उसे बीते रोज अदालत में आत्मसमर्पण करना पड़ा। वहां से उसे अदालती वारंट पर जेल भेजा गया। इसकी सूचना जीआरपी मुख्यालय को भेजी गई है। उधर, उक्त मामले में रेल सुरक्षा बल के स्टॉफ को भी अभी तक जमानत नहीं मिली है। इसको लेकर रेल सुरक्षा बल के अफसर काफी परेशान है।
मालूम हो कि 24 अगस्त को बिहार के कैमूर जिले के थाना मोहनिया क्षेत्र के गांव मुखरी निवासी इंजीनियर राहुल सिंह चंबल एक्सप्रेस के स्लीपर कोच एस-2 में यात्रा कर रहा था। दोपहर करीब दो बजे आरपीएफ स्क्वॉड के जवान कोच में आए और टिकट चेकिंग कर्मचारी के साथ यात्रियों के टिकटों की जांच करने लगे। इस दौरान राहुल के पास बैठे एक युवक से आरपीएफ दल की नोकझोंक होने लगी। राहुल इस दृश्य को अपने मोबाइल में रिकार्ड करने लगा था। इस बात का पता लगने पर आरपीएफ जवान राहुल से चिढ़ गए और उन्होंने अभद्रता कर उसके साथ मारपीट कर दी। कुछ देर बाद ही मऊरानीपुर के निकट राहुल की ट्रेन से गिरने पर मौत हो गई। बाद में राहुल के चाचा शतुरंजय कुमार ने महोबा जीआरपी में उक्त जवानों और टीसी मुकेश कुमार गुप्ता के खिलाफ अभद्रता, मारपीट और ट्रेन से फेंकने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसी तरह एक रिपोर्ट कोच में सवार अधिवक्ता कुलदीप कुमार शर्मा ने भी इलाहाबाद पहुंचकर जीआरपी में दर्ज कराई थी। बताते हैं कि राहुल के रिश्तेदार राजेंद्र प्रताप सिंह बिहार भाजपा में प्रदेश महामंत्री (संगठन) के पद पर हैं, जिन्होंने मामले की शिकायत रेलमंत्री, मुख्यमंत्री के अलावा अन्य अफसरों से की थी। इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की भी सिफारिश की गई है। जीआरपी ने रेलवे से इन जवानों के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद जीआरपी ने जांच शुरू कर दी थी।
बताते हैं कि मृतक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका के माध्यम से उसने न्याय की मांग की थी। इस मामले की भनक रेलवे बोर्ड व रेलवे मंत्रालय को पता चली तो उन्होंने रेल सुरक्षा बल के अफसरों से उक्त मामले की रिपोर्ट तलब की थी। बताते हैं कि दिसंबर माह में महोबा जीआरपी में आरपीएफ की उपनिरीक्षक राजकुमारी गुर्जर, अर्चना सिंह, पिंकी यादव, रेखा शुक्ला, आशा, मुकेश कुमार मीणा और संतराम मीणा पेश हो गए थे। पुलिस अधीक्षक (रेलवे) डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने बताया था कि आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। उक्त मामले में अभी तक किसी की जमानत नही हो सकी है।
उधर, आठवां आरोपी टीटीई मुकेश कुमार काफी समय से फरार चल रहा था। जीआरपी ने उक्त आरोपी को पकड़ने के लिए कइयों बार दबिश दी मगर सफलता नहीं मिल रही थी। टीटीई के पक्ष में पिछले दिनों टीटीई का स्टॉफ रेलवे अफसरों से मिला था। उन्होंने न्याय की मांग की थी। वहीं, सोमवार को टीटीई मुकेश कुमार ने महोबा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में हाजिर हुआ। वहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।

पति की मौत के समय प्रेग्नेंट थी पत्नी

बिहार के रहने वाले राहुल नोएडा में एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते थे। 24 अगस्त को वह चंबल एक्सप्रेस से दिल्ली से बनारस जा रहे थे। मऊरानीपुर रेलवे स्टेशन से पहले ट्रेन से गिरकर राहुल की संदिग्ध मौत हो गई थी। बताते हैं कि 4 दिसंबर 2016 को राहुल की शादी हुई थी। पत्नी भी इंजीनियर थी, नोएडा की एक कंपनी में जॉब करती थी। शादी के कुछ दिन बाद ही प्रेग्नेंट होने के कारण उन्होंने लीव ली थी। पति की मौत के समय वह 8 महीने की प्रेग्नेंट थीं। पति की मौत के ठीक एक महीने बाद 24 सितंबर को उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया था।

फेसबुक पर चला था कैंपेन

मृतक के चाचा शत्रुघ्न सिंह ने बताया था कि राहुल को न्याय दिलाने के लिए 22 अक्टूबर, 2017 को बनारस में पीएम मोदी के स्थानीय ऑफिस के सामने धरना दिया गया था। लेकिन उनके ऑफिस में कोई मौजूद नहीं था। इससे पहले राहुल के दोस्त और जानने वाले दिल्ली में कई बार प्रदर्शन कर चुके थे। दोस्त तृप्ति, कौशिक सहित अन्य ने मिलकर फेसबुक पर राहुल को न्याय मिला के नाम से पेज भी बनाया था। यही नहीं, कुलदीप शर्मा ने उस समय रहे रेल मंत्री सुरेश प्रभु को ट्वीट भी किया था, जिसके बाद सुरेश प्रभु के निर्देश पर इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।

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