नारी को नमन : परिवार की देखभाल के साथ करती हैं यह सभी समाजसेवा (भाग 10)

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गरीब कन्‍याओं के विवाह कराकर मिलती है संतुष्‍टि

झांसी। अमृतसर में पैदा हुई आरती बैरी आज भले ही सम्‍पन्‍न परिवार, दो बच्‍चों व ठेकेदार पति ललित बैरी के साथ अपना सुखी जीवन गुजार रही है, लेकिन अब भी इनको गरीब कन्‍याओं के विवाह कराने और लोगों की मदद करने में ही संतुष्‍टि मिलती है। ऐसा नहीं है कि यह शुरु से ही ऐसी रहीं बचपन के दिनों में ही पिता का देहांत हो जाने के कारण काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा और तभी से संघर्षों का एक ऐसा दौर आया कि हर तकलीफ को झेलना धीरे धीरे सीख लिया।
ऐसा नहीं कि तकलीफों से लड़ने से उन्‍होंने हार नही मानी और उससे प्रेरणा लेकर धीरे धीरे आगे बढ़ती चली गईं। आर्थिक स्‍थिति अच्‍छी न होने के कारण पढ़ाई के साथ साथ काम भी किया। बच्‍चों को टयूशन पढ़ाया और एक स्‍कूल में शिक्षिका की नौकरी भी की। विवाह के बाद झांसी आकर परिवार में रम गईं और पुत्रों के लालन पालन में लग गईं। इसी दौरान उनके सामने एक ऐसा वाक्‍या हुआ, जिसने उनके जीवन को बदल दिया और वह समाजसेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ गईं। एक गरीब परिवार जिनकी कई कन्‍याएं थी, वह उनका पालन करने में असमर्थ थे, ऐसे में आरती बैरी ने अपने पति की सहमति से उस परिवार की एक कन्‍या को कानूनी रुप से गोद ले लिया और उसका नाम जीविका रखा। उसके नामकरण के साथ ही जीविका संस्‍था का भी उदय हुआ और उसके बाद संस्‍था ने गरीब कन्‍याओं के विवाह कराने सहित कई समाज सेवा के कार्य किए। आनन्‍द कुंज स्‍थित हनुमान मंदिर में ठण्‍डे पानी के लिए वाटर कूलर लगवाया। दो गरीब बच्‍चियों की शिक्षा की जिम्‍मेदारी लेकर उनको स्‍कूल में प्रवेश दिलाया। आरती बैरी वर्तमान में जेसीआई वीरांगना की सक्रिय सदस्‍य भी है और अपनी संस्‍था के माध्‍यम से बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के लिए काम कर रही हैं।

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