ननि : कितने भी तू करले सितम, हंस हंस के सहेंगे हम

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झाँसी। गरीब फुटपाथ बाजार वाले अपनी रोजी रोटी को लेकर हर मार झेल रहे हैंं और ऐसे में नगर निगम का अतिक्रमण विरोधी अभियान भी उनके खिलाफ हो गया है। यह लुकाछिपी एक फिल्‍म के गाने को चरितार्थ करती नजर आती है। एक तो नगर निगम अभी तक कोई योजना नहीं बना पाया है, जिससे यह गरीब अपना रोजगार कहीं चला सकें। जिनके पास कोई काम धंधा नहीं है, तो वह कहीं तो बैठेगा ही। हर बार की तरह नगर निगम का अमला खानापूर्ति करते हुए अतिक्रमण हटा देता है और इन गरीबों की उस दिन की रोजी रोटी छिन जाती है। अब ये गरीब भी मजबूर हैंं और दूसरे दिन बच्‍चों को रोटी भी खिलानी है, जिसके चलते यह फिर दुकान लगा लेते हैंं। इनकी मजबूरी को कोई समझे या न समझे, पर ऐसे में यह यही गाना गुनगुनाते रहते हैं, कितने भी तू कर ले…….
नगर निगम और अतिक्रमणकारियों के बीच लुका छिपी का खेल चल रहा है। नगर निगम का अतिक्रमण विरोधी दस्ता एक जगह से अवैध कब्जा हटाकर आगे बढ़ता है तो अतिक्रमणकारी दूसरी जगह कब्जा कर लेते हैं। दूसरी तरफ से अतिक्रमण हटता है तो फिर पहले वाली जगह पर कब्जा हो जाता है। न नगर निगम झुकने को तैयार है न अतिक्रमणकारी मानने को तैयार। इस कारण को जानने के लिए भी न तो नगर निगम और न ही जिला प्रशासन के कोई अधिकारी तैयार हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन गरीबों की मदद को कोई जनप्रतिनिधि भी आगे नहीं आता है। ऐसे में यह गरीब कहां जाएं, नगर निगम तो जनता से टैक्‍स वसूल ही रहा है, तो जनता की गाड़ी कमाई का डीजल ऐसे काम में एक बार फिर से फूंक दिया जाए भी तो क्‍या है। फिलहाल
सोमवार को नगर निगम के अमले ने इलाइट चौराहा से आरटीओ कार्यालय तक अभियान चलाकर फुटपाथ पर सजीं दुकानें हटाईं। अतिक्रमण प्रभारी डॉ. पुष्पराज गौतम व संपत्ति अधिकारी चंद्रिका प्रसाद के नेतृत्व में चलाए गए। इस अभियान के दौरान फुटपाथ पर रखे खोखे हटाते हुए अतिक्रमणकारियों से 6500 रुपये जुर्माना वसूला गया। इलाइट चौराहा से कचहरी होकर आरटीओ कार्यालय तक अतिक्रमण हटाने के बाद जैसे ही अमला वापस लौटा पीछे से गुमटियां और खोखे फिर से वहीं जम गए। बता दें कि दो दिन पूर्व नगर निगम ने जीवनशाह तिराहा से मिशन गेट तक अभियान चलाकर फुटपाथ कब्जाने वालों से जुर्माना वसूल किया था। वहां फिर से गुमटियां सज गई हैं।

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