झांंसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाओं को लेकर प्रारम्भ से अंत तक विवि प्रशासन के अधिकारी नकलविहीन परीक्षा कराने, सामूहिक नकल के मामले में महाविद्यालय की सम्बद्धता निरस्त करने सहित तमाम बड़ेे-बड़े वादे और दावे करते है। यह वादे और दावे हकीकत में अमल में नहीं आ पाते है। मामला चूंकि शिक्षकों के साथ मारपीट का है, तो विगत घटनाचक्र की तरह इस बार भी विवि प्रशासन के दावों पर शिक्षकों को पूर्णतया विश्वास होता नहीं दिखाई दिया। शिक्षकों का तो यह भी कहना है कि सामूहिक नकल के दोषी महाविद्यालयों को दोबारा परीक्षा केन्द्र न बनाए जाने की बात विवि प्रशासन द्वारा हमेशा कही जाती है, लेकिन उसके बाद भी अमल होता नहीं है। फिलहाल विवि शिक्षकों ने मंगलवार को विवि गेट से पैदल मार्च निकालकर कुलपति से विगत दिवस हुए मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
विवि के अधिकतर विभागों के शिक्षक मंगलवार को विवि गेट पर एकत्रित हुए और उन्होंने वहांं से पैदल मार्च निकाला, उसके बाद वह कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे से मिले आैर जालौन जिले में हुए मामले को लेकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। इस पर कुलपति ने शिक्षकों को आश्वासन देते हुए कहा कि बीते रोज एक उड़नदस्ते के अगुवा शिक्षक पर हमले के मामले को लेकर संबंधित महाविद्यालय की पहली पारी की परीक्षा निरस्त कर दी गई है। उस महाविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, कि क्यों न उसकी संबद्धता समाप्त कर दी जाए। परीक्षा समिति इस मामले में कड़ी कार्रवाई करेगी। शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल बीते रोज जालौन जिले के एक केंद्र पर उड़नदस्ते के अगुवा के साथ हुई मारपीट के प्रति अपनी नाराजगी जताने और उस मामले के लिए दोषी महाविद्यालय की संबद्धता को निरस्त करने की मांग को लेकर कुलपति प्रो. दुबे से मिलने पहुंचा था।
कुलपति प्रो. दुबे ने बीते रोज की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वे वस्तुस्थिति से अवगत हैं। उन्हें भुक्तभोगी शिक्षक ने स्थितियों की जानकारी दी है। उड़ाका दल के अगुवा के साथ अभद्रता की सूचना मिलते ही उन्होंने जालौन जिले के अधिकारियों से बातचीत की। उच्च शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भी इस मामले की जानकारी दे दी गई है। उन्होंने शिक्षकों की ओर से मिले सहयोग को रेखांकित करते हुए कहा कि इसी की बदौलत विश्वविद्यालय प्रशासन ने नकलविहीन परीक्षा के अपने संकल्प को पूरा करने में सफलता हसिल की है। बीते रोज की अभद्रता की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने उक्त महाविद्यालय पर दूसरी पारी की परीक्षा और कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच संपन्न कराई। ऐसा कर विवि प्रशासन ने यह संदेश दिया कि परीक्षा की सुचिता की खातिर वह हरसंभव कदम उठाएगा। उन्होंने दावा किया कि नकल माफियाओं को तगड़ा झटका लगा है। उनका यह भ्रम भी टूटा कि वे विश्वविद्यालय प्रशासन को छकाकर मनमाने ढंग से परीक्षाएं संपादित करा सकते हैं।
इस मौके पर कुलसचिव सीपी तिवारी ने कहा कि बीते रोज के प्रकरण में संबंधित महाविद्यालय के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विवि प्रशासन किसी को मनमानी करने की छूट नहीं दे सकता है। शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल में प्रो. एसपी सिंह, डा. अपर्णा राज, डा. डीके भट्ट, डा. यशोधरा शर्मा, डा. रेखा लगरखा, डा. रामवीर सिंह, डा. गजाला रिज्वी, डा. रमेश कुमार, डा. अनिल झरबडे़, डा. सीपी पैन्यूली, डा. सौरभ श्रीवास्तव, डा. मीनाक्षी सिंह, डा. जे.पी.यादव, डा. सुनील त्रिवेदी, डा. राजेश पाण्डेय, डा. उमेश कुमार, कौशल त्रिपाठी, डा. कौशलेन्द चतुर्वेदी, इंजी. मानवेन्द्र सिंह सेगर, डा. संगीता लाल, डा. अजू सिंंह, डा. एसके वर्मा, जय सिंह, उमेश शुक्ल, आर्किटेक्ट संदीप कुमार मिश्र, डा. चित्रा गुप्ता, जयराम कुटार अादि मौजूद रहे।
मारपीट के बाद मिली खुली छूट
विवि प्रशासन केे दावों की हद तो देखिए जालौन के महाविद्यालय में उड़ाका दल के प्रभारी और शिक्षकों के साथ मारपीट की घटना के बाद भी उस महाविद्ययालय से इतना प्रेम रहा कि दूसरी पाली की परीक्षा को उसी केन्द्र में सम्पादित करा दिया। अब जब सारा विवि प्रशासन और अन्य लोग उड़ाका दल के साथ हुई मारपीट के घटनाक्रम को लेकर व्यस्त रहा, तो वहां परीक्षा चल रही थी। ऐसे में विवि प्रशासन के दावों पर शिक्षकों का आशंकाग्रस्त होना गलत नजर नहीं आ रहा है।