विद्यार्थी जीवन के संस्कार करते हैं व्यक्तित्व का निर्माण : शौकत अली

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झाँसी। वर्तमान समय में सामाजिक समस्याओं के चित्रण और उसके समाधान के लिए नाटक अपरिहार्य हो गये हैं। रंगकर्म हमारे व्यक्तित्व विकास के लिए जरुरी है। समाज सेवा के लिए नाटकों का मंचन बहुत जरुरी है। युवाओं को राष्ट्रीय सेवा योजना के शिविरों व ग्रामवासियों को नाटकों के माध्यम से जागरुक करना चाहिए।’’
उपरोक्त विचार पूर्व माध्यमिक विद्यालय, दिगारा में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई द्वितीय, तृतीय एवं पंचम द्वारा आयोजित विशेष शिविर के चौथे दिन आयोजित बौद्धिक सत्र को सम्बोधित करते हुए बुन्देलखण्ड के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी देवदत्त बुधौलिया ने व्यक्त किये। उन्होंंने कहा कि आज के समाज में लोग अपनी परेशानियों से मुक्ति के रास्ते खोज रहे हैं। समस्याओं से मुक्ति का रास्ता हमें नाटक सुझाता है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय, दिगारा के प्रधानाध्यापक शौकत अली ने कहा कि विद्यार्थी जीवन के संस्कार तथा पाठ्येत्तर गतिविधियां हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। आज का विद्यार्थी अगर संस्कारित होगा तो भावी जीवन में अपने कर्तव्यों का निर्वहन बेहतर तरीके से करेगा। उन्होंनें कहा कि संस्कारित शिक्षा हमें महान बनाती है।
इससे पूर्व शिविरार्थियों द्वारा शिविर परिसर के आसपास श्रमदान किया। शिविर के दौरान शिविरार्थियों को सात समूहों में बांटकर सूखे की समस्या, पेयजल समस्या, बेरोजगारी, महिला शोषण, राजनीतिक व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था तथा बाल श्रम की समस्याओं पर समूह चर्चा की गई तथा नाटक का अभ्यास किया गया।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मुहम्मद नईम ने किया जबकि आमंत्रित अतिथियों का स्वागत डॉ. श्वेता पाण्डेय ने तथा आभार डॉ. फुरकान मलिक ने व्यक्त किया। इस अवसर पर देवराज चंसौरिया, राजकुमार त्रिपाठी, संजय उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।

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