स्‍मार्ट सिटी बनेगी कैसे, जब एक अधिकारी हर काम के मांग रहे पैसे

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झांसी। मोदी जी कह रहे थे, न खाऊंगा न खाने दूंगा। सही है, उन्‍होंने खुद नहीं खाया और जनता को भी नहीं खाने दिया, लेकिन काली दाल खाने से विशेष लोगों को नहीं रोक सकते हैं। योगी जी आपके राज में इस झांसी महानगर में उल्‍टे सीधे काम तो हो ही रहे है और भ्रष्‍टाचार की धूम मची हुई है। अगर मीडिया नहीं दिखाए तो भी गलत साबित होती है और दिखा दे तो भी उसको लोग गलत ही बोल रहे हैं। फिलहाल बात इसकी नहीं है, लेकिन भ्रष्‍टाचार को रोकने के लिए कौन आगे आएगा। यह एक सवाल बनकर खड़ा हो चुका है। शिकायत करो तो भी दिक्‍कत न करो तो भी परेशानी, ऐसे में कौन लेगा अवतार इस परेशानी आैर दिक्‍कत को दूर करने के लिए।
इन दिनों एक विभाग के मुखिया ही भ्रष्‍टाचार के दलदल में पूरी तरह घुस चुके है। जनता को अपने साधारण कामों के लिए अभी तक तो कर्मचारी को ही सुविधा शुल्‍क देना होता था, जोकि उसकी पहुंच में होता था। अब एक नया पैटर्न चला है कि तुम मुझे पैसे दो नहीं तो मैं तुमको सस्‍पेण्‍ड कर दूंगा और शासन को शिकायत लिखकर भेज दूंगा। महानगर का एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण विभाग है, जिसके मुखिया अपने कर्मचारियों से हर काम के कम सेे कम 300 रुपए तो ले ही लेते हैं। यह सभी काम जनता से जुड़े होते हैं, तो इसका बोझ जनता पर पड़ना तय है। ऐसे मेें कर्मचारी जनता से किसी भी काम का अपना सुविधा शुल्‍क उक्‍त अधिकारी के शुल्‍क के साथ जोड़कर ले रहा है। हालांकि वह अधिकारी जल्‍दी ही सेवानिवृत्‍त होने वाला है, लेकिन उससे पूर्व वह कमाई करने की पूरी तैयारी में है। उसने अपने कर्मचारियों व अधीनस्‍थ अधिकारियों को पूरी तरह धमका रखा है। तुम मुझे पैसा दो, मैं तुमको छूट दूंगा। पैसा नहीं देने पर कितना भी अच्‍छा काम करो सस्‍पेण्‍ड तो कर ही दूंगा, या शासन को लिखकर तुम्‍हारी छवि ताेे बिगाड़ ही दूंगा। उक्‍त अधिकारी के 300 से 1500 रुपए तक लेने की कहानी जनता और कर्मचारियों में चर्चा का विषय बन चुकी हैं। खुलकर उक्‍त अधिकारी के खिलाफ कोई बोलने को तैयार नहीं है, ऐसे में उक्‍त अधिकारी के हौंसले बुलंद बने हुए हैं। अपने पूरे विभाग को जूते की नोंंक पर रखते हुए वाेे अधिकारी पैसा पीटने में कहीं से पीछे नहीं हट रहा है।

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