मनोवृत्ति और अनुभव से हमारे जीवन का निर्माण सम्भव : डा.नीति शास्त्री

0
1896

झाँसी। ‘‘मनोवृत्ति और अनुभव से हमारे जीवन का निर्माण होता है। हमारे जैसे विचार होगें, हमारा आचरण वैसा ही बनेगा। शिविरों के माध्यम से हम आपसी साहचर्य, भातृत्‍व की भावना सीखते हैं। इस प्रकार के शिविर हमारे दुर्गुुणों का दमन करके हमें मानव बनाते हैं। जो संस्कार हम लड़़कपन, बचपन और किशोरावस्था में नहीं सीख पाते, वे हम शिविरों के माध्यम से सीखते हैं।’’ उपरोक्त विचार पूर्व माध्यमिक विद्यालय, दिगारा में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई द्वितीय, तृतीय एवं पंचम द्वारा आयोजित विशेष शिविर के पांचवे दिन बौद्धिक सत्र को मुख्य वक्ता के रुप में सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षिका व वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. नीति शास्त्री ने व्यक्त किये।
डॉ. शास्त्री ने अपने उद्बोधन में शिक्षा, समाज और संस्कृति जैसे बिन्दुओं को समाहित करते हुए कहा कि विरासत में हमें जो जिम्मेवारी मिलती है, उनका पालन हमें सुनिश्चित करना चाहिए। हमारे द्वारा कोई भी कार्य ऐसा न हो, जिससे समाज के किसी भी व्यक्ति का अहित होता है। हमें हमेशा माता-पिता और गुरुओं के आर्शीवाद का खजाना अपने पास संजोकर रखते हुए हमें प्रतिक्षण समाज में सकरात्मक योगदान देना चाहिए। सत्र को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए इण्डियन डेण्टल ऐसोशियेसन के अध्यक्ष डॉ. विजय भारद्वाज ने युवा स्वयंसेवकों को मुख की स्वच्छता एवं उसके अभाव में होने वाले रोगों के कारणों एवं निदान पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि पूरे देश में सबसे ज्यादा मुख कैंसर के मरीज बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पाये जाते हैं, जिसका मुख्य कारण यहां के लोगों के द्वारा गुटखा, तम्बाकू, सुपाडी आदि का सेवन है। जागरुकता के अभाव में कैंसर के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होने कहा कि कैंसर तथा मुख सम्बन्धी बीमारियों से बचाव के लिए हमें अपनी खान-पान की शैली, ब्रश करने की आदतों में सुधार करने की जरुरत है। उन्होने चिन्ता भरे स्वर में कहा कि आज का युवा झूठे दिखावे के लिए गुटका, सिगरेट, शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन करता है, जो उसे आकस्मिक तौर पर कैंसर की जकड में ले लेता है।
शिविरार्थियों को सम्बोधित करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के उप अधिष्ठाता, छात्र कल्याण डॉ. मोहम्मद इकबाल खान ने कहा कि शिविर के माध्यम से स्वयंसेवक स्वयं को समुदाय से जोडकर सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे वे समुदाय की समस्याओं के निस्तारण में प्रेरक की भूमिका का निर्वहन करते हैं। उन्होंनें कहा कि शिविरों के माध्यम से एक ओर स्वयंसेवक अपने व्यक्तित्व को निखारते हैं, दूसरी ओर वे विभिन्न प्रकार की संकीर्णताओं से दूर होकर उदार व्यक्तित्व एवं अच्छा आचरण व संस्कार भी सीखते हैं।
इससे पूर्व शिविरार्थियों ने श्रमदान करते हुए वि़द्यालय क्रीडास्थल की सफाई, कूडा निस्तारण, नालियों की सफाई, मुख्य मार्ग के कचरे का निस्तारण किया। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी सौरभ तिवारी, आशीष देवाशीष तिवारी, कुलदीप अवस्थी, अजय राव, ललितकला संस्थान के शिक्षक दिलीप कुमार, जयराम कुटार, गौरी ने भी स्वयंसेवकों को सम्बोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मुहम्मद नईम ने, स्वागत डॉ. श्वेता पाण्डेय ने व आभार डॉ. फुरकान मलिक ने व्यक्त किया।

LEAVE A REPLY