एनएसएस से जागती है युवाओं में देश के प्रति समर्पण की भावना : डा.पैन्यूली

सात दिवसीय विशेेेेष शिविर का हुआ समापन

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झॉसी। राष्ट्रीय सेवा योजना से छात्र-छात्राओं में देश के प्रति समर्पित होकर कार्य करने की भावना जागृत होती है। यह समाज की नहीं बल्कि देश के विकास के लिए आवश्‍यक है। ऐसे में सभी को एनएसएस से जुड़ कर देश सेवा करनी चाहिए। यह विचार बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय में भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के विभागाध्यक्ष डा. सीपी पैन्यूली ने व्‍यक्त किये। डा. पैन्यूली बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय की राष्‍ट्रीय सेवा योजना की द्वितीय, तृतीय और पंचम इकाई के संयुक्त तत्वावधान में ग्राम दिगारा में आयोजित सात दिवसीय विशेेेेष शिविर के अन्तिम दिन समापन के अवसर पर विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्‍ट्रीय सेवा योजना के इस प्रकार के शिविर युवा स्वयंसेवकों में आपसी भाईचारे, अनुशासन, एकता और स्वावलम्बन की भावना का विकास करने में सहायक होते हैं। इन शिविरों से विद्यार्थियों को यह समाज की समस्याओं को समझने और उन्हें दूर करने का अवसर भी प्रदान किया जाता है।
संचालन करते हुए डा. मोहम्मद नईम ने विशेेेष शिविर की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। इन सात दिनों में कार्यक्रम अधिकारियों के मार्गदर्शन में शिविरार्थियों ने नशामुक्ति तथा नारी सशक्तिकरण पर आधरित सामाजिक कुरीतियों यथा, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, लिंग भेद, बाल-विवाह आदि विषयों पर गहन चर्चा की तथा इनके निवारण का संकल्प दिलाया। ईकाई द्वितीय की कार्यक्रम अधिकारी डा. श्‍वेता पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि सात दिवसीय विशेष शिविर ने सभी स्वयं-सेवकों में मानवीय मूल्यों के विकास, मिलजुल कर कार्य करने तथा सामाजिक समस्याओं के निराकरण हेतु आज के युवा को कर्तव्यों का बोध कराया, जो निश्चित ही एक उपलब्धि रही। इस अवसर पर स्वयंसेवकों आंकाक्षा चौरसिया, शिवम, जितेन्द्र सोनी, मयूरी, मंयकिता, निकिता, ईरम, अरबाज, काजल ने शिविर के अपने अपने अनुभव बताये तथा नाटक, गीत तथा संगीत के कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये। शिविर के छटवे दिन बौद्धिक सत्र को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. संजय सिंह ने कहा कि ‘‘वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की है। एक ओर हमें जल, जंगल, जमीन का संरक्षण करना है, दूसरी ओर वायुमण्डल को भी स्वच्छ रखना है। अगर हमने पर्यावरण की सुरक्षा नहीं की, तो हमारा समाज, हमारी संस्कृति और हमारी सभ्यता खतरे में पड जायेगी।’’ डॉ. संजय सिंह ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किताबों और परिवार से दूरी अकेलेपन को बढ़ाती है, जिससे विकार उत्पन्न होते हैं, लोगों में संवादहीनता के कारण अवसाद पैदा होता है। अकेलेपन के कारण युवा भटकाव के षिकार हो जाते हैं, जिसकी रोकथाम के लिए जरुरी है कि युवा आचरण की पवित्रता रखें, और इन्द्रियों को नियन्त्रित रखें। संयम ही विद्यार्थियों का आभूशण होता है।
सत्र को विशिष्‍ट अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए राश्ट्रीय युवा योजना, उ0 प्र0 के समन्वयक कमलेष राय ने आधुनिक गाँधी डॉ. एसएन सुब्बाराव के जीवन संस्मरणों के स्वयंसेवकों के साथ सांझा किया। उन्होंंनेे कहा कि देश को खुशहाल बनाने के लिए धार्मिक भाईचारा बहुत जरुरी है। युवा चाहें तो अपने सकारात्मक कार्यों के माध्यम से देश को विकसित बना सकते हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों का आव्हान किया कि वे अपने जीवन को अनुशासित बनायें और समय की पाबन्दी रखें।
अध्यक्षता करते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक शाैैकत अली ने कहा कि राष्‍ट्र की प्राकृतिक व सार्वजनिक सम्पदा की देखभाल करना हमारा नैतिक दायित्व है। दूसरों की भलाई के लिए हमारा जीवन समर्पित रहना चाहिए। उन्होनेे कहा कि जो दूसरों के लिए जीता है, वही वन्दनीय है व यश का भागीदार होता है।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गीतकार अर्जुन सिंह चाँद, कवि संजीव दुबे व अविनाश मिश्रा अंजान के आतिथ्य में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें स्वयंसेवकों द्वारा जल समस्या, सूखे की समस्या, बेरोजगारी, महिला शाेषण व बालश्रम पर आधारित एकांकियों का प्रस्तुतिकरण किया।

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