महिला कोचों में यात्रा करते पाए गए तो होगी कार्रवाई

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झाँसी। झाँसी रेलवे स्टेशन पर जहर खुरान गिरोह से सचेत रहने के लिए जागरुकता रैली निकाली गई। साथ ही रेलयात्रियों से कहा गया कि महिला कोचों में यात्रा करते पाए गए तो कार्रवाई की जाएगी। साथ ही रेलयात्रियों को पर्ची भी वितरित किए हैं।
स्टेशन पोस्ट प्रभारी निरीक्षक अशोक कुमार यादव के नेतृत्व में झाँसी स्टेशन पर महिला सुरक्षा, छेड़खानी, चोरी छिनैती, जहर खुरानी संबंधी जागरुकता रैली निकाली गयी। इस दौरान आरपीएफ टीम ने प्लेचफार्म पर आने व जाने वाले रेलयात्रियों को पर्चे वितरित किए हैं। रेलयात्रियों से कहा गया कि अगर कोई भी यात्री अपनी असुरक्षा महसूस करे तो आरपीएफ हेल्प लाइन नंबर 182 पर सूचना दे सकते, ताकि बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। रैली में उप निरीक्षक घनेन्द्र सिंह, उप निरीक्षक अमित यादव, रविन्द्र सिंह राजावत, घनश्याम दास, प्रदीप कुमार, संजय प्रताप कुशवाहा, हसन मोहम्मद, बी एल यादव, उमेश यादव, आरएन सिंह आदि लोग शामिल रहे हैं।

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बुकिंग क्लर्क भी दे पाएंगे ट्रेनों की जानकारी

झाँसी। रेलवे में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए बुकिंग क्लर्क, पार्सल क्लर्क, आरक्षण क्लर्क और पूछताछ क्लर्क के पद को सम्मलित कर कामर्शियल क्लर्क बनाया जा रहा हैं। यह कामर्शियल क्लर्क यात्रियों को सभी जानकारी देंगे। यानि बुकिंग क्लर्क भी अपने काउंटर से यात्रियों को ट्रेनों के संचालन की जानकारी दे सकेगा।
ट्रेनों के संचालन की जानकारी के लिए यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर भटकना पड़ रहा हैं, क्योंकि पूछताछ काउंटर खाली पड़ा रहता है। इसका कारण रेलवे के पास कर्मचारियों की कमी है। एक आरक्षण बुकिंग, एक बुकिंग काउंटर तथा एक पूछताछ काउंटर पर प्लाइ बोर्ड लगाकर बंद किया है। रेलवे बोर्ड डिप्टी डायरेक्टर (टू) पीएम मीना की ओर से हुए आदेश में बुकिंग क्लर्क, पार्सल क्लर्क, आरक्षण क्लर्क, पूछताछ क्लर्क के पद को सम्मलित कर कामर्शियल क्लर्क बनाने का आदेश किया है। यानि कामर्शियल क्लर्क अब बुकिंग काउंटर, पार्सल काउंटर, पूछताछ काउंटर, आरक्षण काउंटर पर काम कर सकेगे। वर्तमान में टिकट चेकिंग स्टाफ को कामर्शियल क्लर्क में शामिल नहीं किया गया। झाँसी रेल मंडल क पीआरओ मनोज कुमार ने बताया कि रेलवे बोर्ड के आदेश को लागू करने के लिए मुख्यालय स्तर पर काम किया जा रहा है।
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रेलवे में दूसरी पत्नी के बच्चों को नहीं मिलेगी नौकरी

झाँसी। रेलवे बोर्ड से स्थापना विभाग के निदेशक नीरज कुमार ने सभी जोन में 21 मार्च को यह आदेश भेजा है। अनुकंपा पर नौकरी मामले में रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2010 में जारी एक आदेश का हवाला दिया है। इसमें हिन्दू मैरेज एक्ट के प्रावधानों को आधार बनाया गया है। दरअसल, रेलवे में सर्विस बुक में दर्ज नॉमिनी (पत्नी व बच्चे) को अनुकंपा पर नौकरी देने का प्रावधान है। इससे रेलकमियों के आश्रित को न्याय व अधिकार मिलता है।

पहली पत्नी के बच्चों को नौकरी

रेलवे बोर्ड से जारी आदेश के अनुसार, अब अनुकंपा के आधार पर नौकरी सिर्फ पहली पत्नी के बच्चों को मिलेगी। दूसरी पत्नी के बच्चे को नौकरी देने का प्रावधान अब नहीं रहा। वहीं, दूसरी पत्नी पहली पत्नी के जीवित न रहने पर रेलकर्मी की नौकरी के दौरान निधन होने पर पेंशन की अधिकारी बन सकती है।

दूसरी शादी कर लेती है महिला

झाँसी और आगरा मंडल के ऐसी कई महिला रेल कर्मचारी हैं, जिन्होंने अनुकंपा पर नौकरी मिलने के बाद दूसरी शादी कर ली। ऐसी महिलाओं को पेंशन देने का भी प्रावधान नहीं हैं। जबकि, कई ने कई महीने तक पेंशन उठाया था। कदाचार रोकने के लिए रेलवे मे यह नई योजना बनी है।
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रेलवे में अफसरों के चरण स्पर्श पर मिलेगी सजा

झाँसी। रेलवे में किसी मातहत कर्मचारी ने यदि सीनियर के पैर छूए तो उसकी खैर नहीं। रेलवे में अब पैर छूने वाले अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी। इसमें रेलवे कर्मचारियों के पैर छूने पर प्रतिबंध लगा दिया है। बताया जा रहा है कि रेलवे में प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा देने के लिए यह कवायद की गई है। आदेश में यह चेतावनी भी है कि यदि कोई कर्मचारी पैर छूते मिला तो उसके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

ऐसा है आदेश

रेलवे के इस कॉन्फिडियेंशल ऑर्डर में कहा गया है कि आमतौर पर अफसरों के निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों में अपना काम छोड़कर उनके पैर छूने की होड़ में लग जाती है जो किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। स्पष्ट किया गया कि अपने से उच्च अधिकारियों को सम्मान देना नैतिक दायित्व है, लेकिन यह पैर छूकर नहीं, बल्कि हाथ जोड़कर भी किया जा सकता है। इसके बाद भी यदि कोई कर्मचारी अफसरों के पैर छूते पाया गया तो कर्मचारी को प्रेरित करने वाले अफसर और संबंधित कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

आदेश की इतनी चर्चा की अन्य डिविजन में भी मांग

आदेश रेल महकमे में इतना चर्चित हो रहा है कि अन्य जोनल एवं डिवीजनल रेलवे के कर्मचारी भी स्थानीय प्रशासन से ऐसे आदेश जारी करने की मांग कर रहे हैं। इन आदेशों की उत्तर-पश्चिम रेलवे ही नहीं बल्कि रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय तक में दिनभर चर्चा रही।

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