झांसी। वैसे तो झांसी का पूरे विश्व में वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई के शौर्य और पराक्रम के साथ ही हॉकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद के कारण बहुत नाम है, लेकिन इसी क्रम में एक बार इस नई खोज से झांसी का नाम एक बार फिर दुनिया के नक्शे पर चर्चाओं में आनेे की उम्मीद है। क्षेत्रीय पुरातत्व विभाग काेे यहां हुए सर्वे में हजारों वर्ष पूर्व के आदि मानव से जुड़ी सभ्यता के संकेत मिले हैं, जोकि हड़प्पा या सिंघ्ाुु सभ्यता की तरह हो सकती है। इसको लेकर पुरातत्व विभाग ने शासन को सर्वे रिपोर्ट भेज दी है और यहांं उत्खनन करने की परमीशन मांगी है। शासन से परमीशन के बाद इस पर कार्य प्रारम्भ हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि बुन्देलखण्ड का इतिहास प्राचीन काल से ही बहुत समृृृद्ध रहा है। यहां त्रेता युग और द्वापर युग के दौरान के अवशेष आज भी मिलतेे हैं। कुछ इतिहासकारों के अनुसार भगवान बुद्ध का सम्बंध भी झांसी से रहा है। हालांकि यह बातें इतिहासकारों के अनुसार विवादित भी रही हैं, लेकिन जो अवशेष मिले हैं। उसको नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। इसी क्रम में ललितपुर में विभिन्न अवशेषों का मिलना भी पुरातत्व विभाग की जिज्ञासा को बढ़ाता रहा है। इस सम्बंध में क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एसके दुबे ने बताया कि झांसी जनपद के लहचूरा और महाेबा के बेलाताल के पास बेतवा नदी के किनारे आदि मानव की जन्मस्थली होने के संकेत मिले हैं, जिसको लेकर पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वे किया गया था। यहां उत्खनन के बाद हजाराेें वर्ष पुरानी सभ्यता मिलने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्हाेेंने बताया कि सर्वे में पत्थर के औजार और कुुुछ अवशेष मिले हैं। उत्खनन से आदिमानव के क्रियाकलाप की जानकारी मिलेगी, कि वह क्या खाते थे और कैसे पकाते व रहते थे। वह किस प्रजाति के थे। उन्होंने बताया कि उत्खनन में एक लाख से दस हजार वर्ष पूर्व के मानव के क्रियाकलापों की जानकारी मिल सकती है। उन मनुष्यों का आहार क्या था। उस समय किस प्रकार का अन्न, फल व जानवर होते थे। उस समय की चीजें किस प्रकार की होती थीं। इसमें कार्बनिक पदार्थ मिलेंगे, जिसकी जांच के बाद उसकी हकीकत सामने आएगी। वर्तमान सर्वे में आदिमानव की हड्डियां या अन्य अवशेष न मिलने से सही आंकलन में दिक्कत आ रही है। उत्खनन के बाद इसके निकलने की उम्मीद है। इसको लेकर शासन को सर्वे की रिपोर्ट और उत्खनन का प्रोजेक्ट भेज दिया गया है, जिसके स्वीकृत होने के बाद खुदाई प्रारम्भ की जाएगी।
12 फिट लम्बे थे हाथी के दांत
डॉ. दुबे ने बताया कि इससे पूर्व भी यहां सभ्यता के अवशेष मिल चुके हैैं। इसमें कालपी के पास धसान नदी के आसपास वर्ष 2001 में की गई खुदाई में आदि मानव के पत्थर और उनके द्वारा शिकार किए गए जीवजंतुओं के जीवाश्म प्राप्त हुए थे। वैज्ञानिक पद्धति से की गई जांच मेंं पता चला था कि यह अवशेष 45 हजार वर्ष पुरानी सभ्यता के हैं। उस समय के प्रमुख जंतुओं में हाथी काफी बड़ेे होते थे, खुदाई में 12 फिट लम्बे हाथी दांत पाए गए थे। विशाल आकार के उदबिलाव और दरियाई घोड़ा प्रमुख जानवर थे।