कला सामाजिक बदलाव की संवाहक- संजय सिंह

अहंकार से होती है रचनात्मकता प्रभावित- किसन सोनी, पांच दिवसीय कला प्रदर्शनी का हुआ समापन

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झाँसी। ‘‘कला सामाजिक बदलाव की संवाहक है। कलाकार चाहे तो अपनी कूंची के माध्यम से सामाजिक बदलाव कर सकता है। बुन्देलखण्ड का पानी, किसानी और जवानी आज संकट में है, इनकी दारुण स्थिति का चित्रण कलाकार अपनी कृतियों के माध्यम से समाज के सामने प्रस्तुत कर अपनी सामाजिक जिम्मेवारियों का निर्वहन करे।’’
उपरोक्त विचार विश्व धरोहर दिवस के अवसर ललित कला विभाग, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ‘‘कला अभिव्यक्ति -2018’’ के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. संजय सिंह ने व्यक्त किये।
उन्होंंने कहा कि वे अपने अन्दर की मनुष्यता और संवेदनशीलता को बाजार के दुष्प्रभावों से बचा कर रखें। आज समाज के प्रत्येक क्षेत्र का बाजारीकरण हो रहा है, जिसके कारण मनुष्य के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने बुन्देलखण्ड के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व से विद्यार्थियों को अवगत कराते हुए उनका आव्हान किया कि वे बुन्देलखण्ड की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक महत्व की इमारतों के साथ बुन्देखण्ड की जल संरचनाओं व यहां की प्राकृतिक आपदा को भी अपनी कला में स्थान दें। ताकि लोग जान सके कि बुन्देलखण्ड की धरातल पर क्या स्थिति है। इस अवसर पर उन्होंंने घोषणा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर श्रेष्ठ कलाकारों को सम्मानित किया जायेगा।
समापन अवसर पर विचार करते हुए कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि व मशहूर चित्रकार किसन सोनी ने कहा कि कलाकार को अपने जीवन में कभी भी अहंकारी नहीं होना चाहिए। अहंकार से रचनात्मकता प्रभावित होती है और हम एक संवेदनशील कलाकार बनने से वंचित रह जाते हैं। उन्होनें कहा कि हमें सतत् चिन्तनशील और क्रियाशील रहना चाहिए, ताकि हमारी कलाकृतियों में और अधिक निखार आ सके।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुहम्मद नईम ने, स्वागत डॉ. श्वेता पाण्डेय ने व आभार डॉ. अजय कुमार गुप्ता ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ. सी. पी. पैन्युली, डॉ. सुनीता, दिलीप कुमार, जयराम कुटार, डॉ. उमेश कुमार, अभिषेेेक कुमार, उमेश शुक्ला, सतीश साहनी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का बैच लगाकर स्वागत किया गया।

इससे पूर्व कला प्रदर्शनी के चौथे दिन मशहूर फिल्म अभिनेता राजा बुन्देला, निर्माता निर्देशक राम बुन्देला, वरिष्ठ रंगकर्मी व टी. वी. कलाकार आरिफ शहडोली, आर. के. वर्मा तथा नगर के विभिन्न कलाप्रमियों ने भी विद्यार्थियों द्वारा बनाये गये चित्रों का अवलोकन कर उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

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