विवि : एक बार फिर कार्यशाला में रिसर्च पर शाेेध कर रहे हैं विद्वान

शोध, ज्ञान को विकसित एवं परिमार्जित कर गहन और सूक्ष्म ज्ञान प्रदान करता है: प्रो. मित्तल विवि में शुरू हुई सामाजिक विज्ञान शोध प्रविधि पर दस दिवसीय कार्यशाला

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झांसी। शोध सामाजिक विकास में सहायक है, जिसके माध्यम से व्यवहारिक समस्याओं का समाधान होता है। शोध ज्ञान के भंडार को विकसित एवं परिमार्जित कर विविध विषयों में गहन और सूक्ष्म ज्ञान प्रदान करता है। यह विचार आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रो0 अशोक कुमार मित्तल ने आईसीएसएसआर नई दिल्ली के तत्वावधान में बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं वित्त संस्थान द्वारा आयोजित दस दिवसीय सामाजिक विज्ञान शोध प्रविधि कार्यशाला के उद्घाटन के दौरान व्यक्त किये।
उन्हाेेंने कहा कि पीएचडी सामान्यतः व्यक्ति अपने जीवन में एक बार ही कर पाता हैं, किसी भी शोधार्थी के लिए शोध उपाधि प्राप्त करना उसके जीवन का एक सपना होता हे, जिसे वह उचित शोध प्रविधि का प्रयाेग करते हुए आसानी से कर सकता है। आज की वर्तमान व्यवस्था में शोधार्थी अपनी मेहनत से शोध कार्य नहींं करना चाहता है, बल्कि वह अन्य आसान तरीकों से अपनी शोध उपाधि प्राप्त करने का प्रयास करता है। यही कारण है कि शोध का स्तर निरन्तर गिरता जा रहा हैं। आज आवश्‍यकता इस बात की हैै कि शोधार्थी शाेेध तथा शोध प्रविधियाेें को अध्ययन करने के पश्‍चात ही उचित शोध प्रविधि का उपयेाग कर अपने षोध कार्य का पूर्ण करे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विवि के प्रभारी कुलपति प्रो वी के सहगल ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान समय में षोधार्थियों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं, प्रस्तुत षोध प्रविधि कार्यषाला भी इसी का एक भाग है। अब यह षोधार्थीयों का दायित्व है कि वे पूरी लगन ओर मेहनत से कार्य करते हुए अपना षोध कार्य समाज एवं देष के हित में पूर्ण करें। प्रो. सहगल ने कहा कि षोधार्थियेां को सांख्यिकी का अच्छा ज्ञान न होना एक प्रमुख समस्या है, जिसके कारण षोध की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में कार्यषाला के संयोजक तथा संकायाध्यक्ष, कला प्रो. सी.बी. सिंंह ने अतिथियेां एवं कार्यषाला के प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यषाला के उद्देष्यों पर प्रकाष डाला तथा कार्यषाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह कार्यषाला सामाजिक विज्ञान के षोधार्थियेां के ज्ञानार्जन के लिए ही आयोजित की गई है। डा.सिंह ने आषा व्यक्त की कि कार्यषाला के प्रतिभागी षोधार्थी अवष्य ही इससे लाभन्वित होंगे।
कार्यक्रम का संचालन डा. अंकिता जैस्मिन लाल ने किया, जबकि आंमत्रित अतिथियों का आभार अर्थषास्त्र एंव वित्त संस्थान के निदेषक प्रो.एम.एल.मौर्य ने व्यक्त किया।
कार्यशाला का श्‍ाुुभारम्भ सरस्वती वन्दना एवं मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलन तथा पुष्‍पार्चन से प्रारम्भ हुआ। मंचासीन अतिथियेां को पुष्‍पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। समारोह के अन्त में अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
उद्घाटन सत्र के पष्चात कार्यषाला का विधिवत् प्रारम्भ प्रो. अशोक कुमार मित्तल के विस्तृत वक्तव्य से हुआ। इसमें उन्होंनें षोध की अपेक्षाओं एवं षोध के बारे में बताया। षोध उददेष्यों एवं मान्यताओं को निर्धारित करने के सही तरीके पर एवं साहित्य समीक्षा की महत्ता पर चर्चा की । उन्होने अपने अनेक व्यक्तिगत अनुभवों द्वारा विषय को रोचक एवं प्रासंगिक बनाये रखा। द्वितीय सत्र का संचालन एवं आभार ज्ञापन डॉ. इरा तिवारी द्वारा व्यक्त किया गया।
इस अवसर पर प्रो. वी.पी.खरे, डा. राधिका चेौघरी, डा. एसएन सिंंह, डा.सन्दीप अग्रवाल, शिल्पा मिश्रा, डॉ. अतुल गोयल, गजाला मंसूरी, रजत काम्बोज, डॉ. प्रियंका अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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