नैतिकता, संस्‍कार आैैैर जीवनश्‍ाैैैली भी शोध का आधार

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झांसी। आई.सी.एस.एस.आर नई दिल्ली के तत्वावधान में बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं वित्त संस्थान द्वारा आयोजित दस दिवसीय सामाजिक विज्ञान शोध प्रविधि कार्यशाला के छठवें दिन कार्यशाला के प्रतिभागियों तथा बाहय विषेशज्ञों ने झांसी तथा आसपास के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया। कार्यशाला के निदेशक प्रो.सीबी सिंह ने जानकारी दी कि प्रतिभागी शोधार्थियेा द्वारा भ्रमण के दौरान भी प्रसिद्ध अर्थषास्त्री प्रो. गणेष कावडिया से सामाजिक अनुसंधान में आने वाली समस्याओं के सम्बन्ध अपनी-अपनी शंकाओं का समाधान करते रहे।
प्रो. सिंह ने बताया कि कल पांंचवे दिन के प्रथम सत्र में डा. कावडिया ने शोध प्रविधि के संदर्भ में वर्णनात्मक सांख्यिकीय, सांख्यिकीय अनुमान एवं इसके विभिन्न प्रकारों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। साथ ही शोध प्रविधि के सदर्भ में उन्होंने विकास की सही अवधारणा को रेखांंकित करते हुए अर्थशास्त्र में विकास के मूलभूत तत्वों के संदर्भ में नवीन विचार एवं उद्यमिता को प्राकृतिक संसाधन से अधिक महत्वपूर्ण बताया। एडम स्मिथ के विचारों पर आधारित अर्थषास्त्र, नैतिकता की कमी होने पर बाजार विफलता का कारण बनता है, इसे डा.कावडिया ने प्रभावषाली ढंग से स्पष्‍ट किया। उन्हाेंंनेे व्यावहारिक उदाहरणों व समसामयिक प्रसंगों केे द्वारा विकास के धारणीय न रह पाने एवं विसंगत हो जाने पर प्रकाष डाला।
द्वितीय सत्र में प्रो.कावडिया ने डा. इरा तिवारी के साथ तैयार किये गये शोधपत्र के निष्‍कर्ष ‘सामाजिक जीवन खुशहाली एवं प्रसन्न रहने का मार्ग है’ को विस्तारपूर्वक समझाया। इस संंदर्भ में उन्होंनेे प्रो. निक मार्क्स के जीवन के पांच संकल्पों- सामाजिक जुडाव, स्फूर्तवान रहना, नवीन ज्ञान अर्जन, आसपास की गतिविधियों पर ध्यान देेना एवं जीवन में सभी के लिए सहयोगपूर्ण व्यवहार बनाए रखना, की चर्चा की एवं शोधार्थियों को इसे अपनाने को कहा। उन्होंने शोध को जीवन के बृहद आयामों जैसे नैतिकता, संस्कार, जीवनषैली, अवसादमुक्त एवं धारणीय विकास से सहज रूप से जोडने का मार्ग शोधार्थियों के लिए प्रशस्त किया। स्वामी विवेकानन्द की तीनाेेंं भविष्‍यवाणियों-1947 में भारत की आजादी, समाजवाद एवं मजदूर यूनियन का विरोधी स्वभाव, एवं भारत के विष्वगुरू बनने को बताया कि किस प्रकार ये अक्षरषः सिद्ध हुई। विवेकानन्द जी ने किस प्रकार विकास को धर्म, परिस्थिति एवं स्थान अनुरूप समझाया।
तत्पष्चात प्रो.कावडिया ने पॉवर पाइंट द्वारा मध्यप्रदेष योजना आयोग के साथ किए गये विकास के आधार पर षासन द्वारा वित्त सहयोग को षोधार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेष के विभिन्न जिलोें का वर्गीकरण उन्होंने आर्थिक सामाजिक एवं आधारभूत संरचना के विकास के आधार पर किया। इनके ‘कम्पोजिट इंडेक्स’ का निर्माण एवं इसके आधार पर जिलों को षासन के द्वारा वित सहायता की अनुशंसा पर उन्हाेेंने प्रयोगवादी व्याख्यान दिया। इस प्रकार प्रो. काबडिया षोध एंव समाज के विकास को जोडने वाली सभी कडियेां को अपने व्याख्यान में समाहित किया। विदित हो कि प्रो. गणेष काबडिया मध्यप्रदेष के देवी अहिल्या विष्वविद्वालय, इन्दौर से जुडे प्रसिद्ध षिक्षाविद एवं अर्थषास्त्री है। आपने मध्यप्रदेष नियोजन विभाग के साथ मिलकर अनेक परियेाजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
चतुर्थ सत्र में बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के डा.संदीप अग्रवाल ने विचरण तथा सह विचरण आकलन तथा वर्गीकरण के संदभ्र में दिया। जिसमें उा.अग्रवाल नद्वारा अनुसंधान में सांख्यिकीय टूल्स् के अनुप्रयेाग पर व्यावहारिक एवं उपयोगी व्याख्यान प्रस्तुत किया।
इस मौके पर प्रो.एम.एल.मौर्य, डा.अंकिता जैस्मिन लाल, डा.षिल्पा षर्मा, डा.इरा तिवारी, डा.रजत काम्बोज, डा.राहिका चौधरी, डा.अतुल गोयल, डा.विजेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।

विवि में बनस्पति विज्ञान की प्रायोगिक परीक्षाएं 26 व 27 अप्रैल को

झांसी। बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय परिसर में संचालित बनस्पति विज्ञान विभाग में बी.एस-सी. प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय वर्श की प्रयेागात्मक परीक्षाएं 26 एवं 27 अप्रैल 2018 को सम्पन्न होगी।
बनस्पति विज्ञान की समन्वयक डा.पूनम मेहरोत्रा ने जानकारी दी कि बी.एस-सी. द्वितीय वर्श की प्रायोगिक परीक्षा गुरूवार 26 अप्रैल 2018 को तथा बी.एस-सी. प्रथम, तथा तृतीय वर्श की प्रायोगिक परीक्षाएं षुक्रवार दिनंाक 27 अप्रैल 2018 का आयोजित की जायेेगी।
डा.मेहरोत्रा ने बताया कि सभी परीक्षाएं विज्ञान भवन स्थित बनस्पति विज्ञान विभाग की प्रयोगषालाओं में प्रातः दस बजे से प्रारम्भ होगी। सभी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति आवष्यक है।

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