समर कैम्‍प : बच्‍चों को सिखाईं विभ्‍ािन्‍न विधाएं

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झाँसी। गहोई गौरव एवं श्री लक्ष्मी व्यायाम मंदिर झाँसी के संयुक्त तत्वावधान में संस्था अध्यक्ष कमलेश सेठ रज्जू के नेतृत्व में 3 दिवसीय अन्र्तविद्यालीय निशुल्क समर कैम्प का शुभारम्भ मुख्य अतिथि राज्यमंत्री हरगोविन्द कुशवाहा, विशिष्ट अतिथि जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. नीरज कुमार पाण्डेय एवं रामकुमार लोईया एवं पूर्व अध्यक्ष रामजी खरया ने दीप प्रज्जवलित कर एवं राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्ता, स्व. सीताराम गुप्ता एवं सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इस मौके पर प्रात: योग गुरू विद्या बोरवन कर एवं ओझा ने बच्चों को प्राणायाम, अनुलोम विलोम सिखाया। पिंकी वर्मा ने कराटे की कलायें एवं मुद्रायें सिखाई, देवदत्त बुधौलिया ने नाट्य कला एवं अभिनय के बारे में जानकारी दी साथ डांस टीचर शैफाली के बालिकाओं को नाट्य नृत्य सिखाया एवं वेस्टर्न डांस टीचर, दीपक एवं बालक ने मॉर्डस डांस स्टैप बताये। प्रत्येक बच्चे ने 3 विधाओं को सीखा। 6 बजे से 8:45 बजे तक चली एसेम्बली में सामान्य ज्ञान प्रश्न का उत्तर छात्रों ने दिया जिन्हें कैम्प लगाकर सम्मानित किया गया। राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान पर जोरदार उद्घोषों के संग सभी ने गाया। इस मौके पर मुख्य अतिथि हरगोविन्द कुशवाहा ने सभी बच्चों को संस्कार का पाठ पढ़ाया एवं बुन्देलखण्ड के इतिहास पर महत्वपूर्ण जानकारियां दी। कार्यक्रम का संचालन रविंद्र रूसिया एवं अमित सेठ ने संयुक्त रूप से किया। आभार अभिषेक डेंगरे एवं विकास गुप्ता ने किया।

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आर्ट और क्राफ्ट में ज्यूलरी मेकिंग की बताई विधियां

झाँसी। राजकीय संग्रहालय, लाईन्स क्लब लेडी विंग एवं बुन्देली सिनेमा गु्रप, झाँसी के संयुक्त तत्वावधान में ग्रीष्मकालीन शिविर के तीसरे दिन पिडी लाईट की प्रशिक्षिका संगीता नगरिया द्वारा आर्ट एण्ड क्राफ्ट में ज्यूलरी मेकिंग, लिक्विर्ड एम्ब्राइडरी, शू डेकोरेशन एवं फेब्रिक पेन्टिंग का प्रशिक्षण दिया गया। प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में स्वप्रिल मोदी, डॉ. उमा पाराशर, रेनू गर्ग, कविता गुप्ता, पूजा लोहिया आदि उपस्थित रहे। देवदत्त बुधौलिया ने अभिनय शिविर में नाट्य कला के बारे में बताया कि किसी कहानी या स्थिति का वर्णन करने के लिये कुछ लोग मिलकर अपने चरित्रों की विशेषता के साथ अभिनय करते है। उसे ही नाट्य कला कहा जाता है। कविता पढऩे या नाटक देखने से दर्शकों को आनंद प्राप्त होता है वह रस कहलाता है। श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत एवं शांत रसों के स्थाई भाव से भी सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया।

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