कृषि क्षेत्र में जैव रसायन की महत्वपूर्ण भूमिका: डा. कुमार

जैव रसायन विभाग में हुआ तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ

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झांसी। अनाज, दूध, दालें, कुक्कुट और मवेशी भोजन आदि के उत्पादन में हमारे देश ने काफी प्रगति की है। यहां तक कि पोषक तत्वों में जहरीले एंटी-पोषक तत्वों के विषाक्त पदार्थों को हटाने और निष्क्रिय करना भी कृषि क्षेत्र में जैव रसायन शास्त्र के उपयोग के कारण ही सम्भव हो पाया है। वर्तमान में भी कृषि क्षेत्र में जैव रसायन की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह विचार आज आईजीएफआरआई झाँसी के पूर्व निदेशक डा. आरवी कुमार ने व्यक्त किये।
डा.कुमार बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय परिसर में संचालित जैव रसायन विभाग के तत्वाधान मेें आयोजित हैंड्स आॅन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग इन बायोकेमिस्ट्री विषयक तीन दिवसीय कार्यषाला के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्य अतिथि ने बताया कि 1950 के दशक में भारत में केवल 50 मिलियन टन वार्षिक अनाज उत्पादन क्षमता थी, जबकि देष ने वर्तमान में लगभग 277 मिलियन टन के उच्च उत्पादन की क्षमता हासिल की है। 1950 के दशक में 140 किलो प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष की उपलब्धता थी और अब यह लगभग 210 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष है। उन्होेंने कहा कि यद्यपि 1950 के दशक की तुलना में देष की जनसंख्या में 3.5 गुना की बृद्धि हुई है जबकि इसी समयान्तराल में देष में अनाज का उत्पादन 1950 की तुलना में 5.5 गुना हो रहा है। डा. कुमार ने कहा कि इसी प्रकार दुग्ध उत्पादन में, 1950 के दशक में, भारत में दूध उत्पादन केवल 17 मिलियन टन था, जबकि आज भारत दुनिया में प्रथम स्थान पर है। डा. कुमार का मानना है कि यदि देष में जैव रसायनज्ञ कृशि के विकास में किसानेा को सहयेाग करें तािा किसान उनकी दी गइ्र सलाहाेें को सही तरीके से प्रयेाग करे तो षीघ्र ही भारत खाद्यान्न एवं दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में आत्म निर्भर हो सकता है।
इस अवसर पर बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो.वी.के.सहगल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जैव रसायन के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगिता पर प्रकाश डाला तथा साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जैव रसायन के अध्ययन की समुचित सुविधाएं उपलब्ध हैं। छात्र-छात्राओं को इसका उपयोग करना चाहिए। प्रभारी कुलपति ने इस प्रकार की कार्यषालाओं के आयोजनों की आवष्यकता पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि केंद्रीय विद्यालय झांसी की प्रधानाचार्या डा. बंदना शेखर ने छात्र-छात्राओं के कैरियर के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। वहीं आई.एम.ए., झांसी के अध्यक्ष डा.वी.के.गुप्ता ने छात्रों को बताया कि उन्हें अपने कैरियर के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने हेतु मात्र लगन एवं मेहनत ही एक मात्र रास्ता है। रामराजा हाॅस्पिटल, झांसी के पैथोलाॅजिस्ट डा. एस.के. रूसिया ने बायोकेमिस्ट्री की पैथोलॅाजी में उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के संयोजक एवं विश्वविद्यालय के विज्ञान अधिष्ठाता प्रो.शिवकुमार कटियार ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यषाला के उद्देष्यों पर प्राकष डाला। प्रो. कटियार ने जैव रसायन की उपयोगिता तथा इसकी सहायता से प्राप्त होने वाले रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम का ष्ुाभारम्भ मां सरस्वती के चित्र के मसक्ष दीप प्रज्जवलन, पुश्पार्चन एवं माल्यार्पण से हुआ। मंचाषीन अतिथियों को पुश्पगुच्छ भेंट कर सम्‍मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा.गुरदीप कौर त्रिपाठी ने किया।
उद्घाटन सत्र के इस अवसर पर डा.आर.डी.कुदेषिया, डा.षाईमा कलीम, डा.वी.एस.चैहान, डा.मनीश कुमार, डा.स्मृति शर्मा आदि उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र के पश्चात हुए तकनीकी सत्र में आई.जी.एफ.आर.आई., झांसी के डा.राधाकृष्णन, बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के जैव रसायन विभाग की डा.सुमिरन श्रीवास्तव तथा बायो मेडिकल साइंस विभाग के डाॅ.बलबीर सिंह ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए तथा प्रयेागात्मक कार्य करवाये।

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