विवि: कार्यशाला में हुए विभिन्‍न प्रयोग

प्रतिभागियेां ने सीखे विभिन्न प्रयोगों के गुर, जैव रसायन विभाग में तीन दिवसीय कार्यशाला का दूसरा दिन

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झांसीी। बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय परिसर में संचालित जैव रसायन विभाग के तत्वावधान मेें आयोजित हैंड्स ऑन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग इन बायोकेमिस्ट्री विषयक तीन दिवसीय कार्यषाला के दूसरे दिन हैंड्स अॅान प्रैक्टिकल ट्रेनिंग इन बायोकेमिस्ट्री कार्यशाला के दूसरे दिन विभाग में कार्यरत शिक्षकों के द्वारा विभिन्न प्रयोग कराये गए।
जैव रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कार्यषाला के आयोजन सचिव डा रमेष कुमार ने जानकारी दी कि आज सर्वप्रथम जैव रसायन विभाग के शिक्षक डा. मनीष कुमार द्वारा शर्करा की पहचान के लिए जाने वाले ओसाजोने परीक्षण तथा प्रोटीन परीक्षण का प्रदर्षन किया गया। तत्पश्चात जैव रसायन विभाग की शिक्षिका डा.साहिना कलीम द्वारा क्रोमैटोग्राफी तकनीक को विभिन्न प्रयेागों के माध्यम से उपस्थित छात्र-छात्राओं को समझाया। इस प्रक्रिया मे डा.कलीम ने स्पश्ट किया कि टीएलसी एक क्रोमैटोग्राफी तकनीक है जो मिश्रण को अलग करने के लिए प्रयोग की जाती है।
वहीं विष्वविद्यालय के बायोमेडिकल संस्थान के डा.बलबीर सिंह ने कीटोन बॅाडीज के परीक्षण को प्रयोगों के द्वारा स्पष्‍ट किया।

डा. सिंह ने प्रतिभागियों को बताया कि कीटोन बॅाडीज का निर्माण यकृत द्वारा उपवास, भुखमरी, कम कार्बोहाइड्रेट आहार, मधुमेह, लंबे समय तक अभ्यास करने की दषा में होता है। निम्नलिखित परिस्थितियों में होता है। डा.सुमिरन श्रीवास्तव द्वारा इलेक्ट्रोफोरेसिस विधि का प्रयोग सिखाया गयां उललेखनीय है कि इलेक्ट्रोफोरोसिस एक तकनीक है जो प्रयोगशालाओं में आकार के आधार पर मैक्रोमोल्यूक्यूल्स को अलग करने के लिए प्रयोग की जाती है। अन्त में डा.स्मृति शर्मा ने खाद्य विश्लेषण पदार्थे यथा अंडा, दूध, आलू, तेल, गाजर, इत्यादि पर प्रयोगात्मक कार्य किये।
डा.रमेष कुमार ने बताया कि कार्यषाल में प्रतिभाग कर रहे विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा कार्यषाला में बताये जा रहे प्रयोगात्मक प्रदर्शन पर प्रसन्नता व्यक्त की गई। प्रतिभागी छात्रों का मानना है कि इस प्रकार के प्रयोगात्मक कार्य से भरपूर कार्यशालाआेें की नितांंत आवष्यकता है जिससे विज्ञान के छात्रों को सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-साथ प्रयोगात्मक ज्ञान भी प्राप्त हो सके।

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