संस्कृत शब्द में ही सभ्यता समाहित: डा.बी.बी.त्रिपाठी

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झांसी। संस्कृत शब्द अपने आप में ही सभ्यता को समाहित किए हुए है। संस्कृत शब्द का तात्पर्य है किसी भी कार्य को सुव्यवस्थित तरीके से सुसज्जित करना है। यह विचार आज राजकीय महिला महाविद्यालय, झांसी में संस्कृत के विभागाध्यक्ष डा.बी.बी. त्रिपाठी ने व्यक्त किये। डा.त्रिपाठी आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के तत्वावधान में आयोजित किए जा रहे अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र में सत्र समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में उद्बोधन व्यक्त कर रहे थे।
डा.त्रिपाठी ने कहा की संस्कृत भाषा की उत्कृष्टता एवं विशेषता यह है कि इसमें पद का स्थान परिवर्तित होने पर भी उसके अर्थ में परिवर्तन नहीं होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी तथ्य को संस्कृत भाषा के माध्यम से संक्षेप में प्रस्तुत किया जा सकता है। डा.त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय मनीषियों ने संस्कृतनिष्ठ जीवन से ही विश्व में सदाचार का आदर्श स्थापित किया है। यही कारण है सदाचरण एवं नैतिक शिक्षा के सिद्धान्त संस्कृत भाषा में ही सुरक्षित हैं। उनका मानना है कि संस्कृत की गरिमा केवल भारत ही नहीं अपितु विश्वभर में विख्यात है। डा.त्रिपाठी ने बताया कि अमेरिका में नासा भी भाषा संस्कृत की महत्ता को स्वीकार करते हुए अपने संदेश संप्रेषण के लिए संस्कृत भाषा में साॅफ्टवेयर तैयार करने की योजना पर कार्य कर रहा है। वर्तमान सरकार ने संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से संस्कृत के प्रचार प्रसार की योजना बनाई है।
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो.देवेश निगम ने कहा कि यद्यपि छात्र आज संस्कृत को एक विषय के रूप में पढ़ रहे हैं परन्‍तु वर्तमान में उन्हें विषय के साथ-साथ भाषा के रूप में भी संस्कृत का अध्ययन करना चाहिये तथा संस्कृत को एक पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण भाग होना चाहिए।
भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के विभागाध्यक्ष डा.सी.पी.पैन्यूली ने कहा संस्कृत वास्तव में देव भाषा है और इस भाषा के प्रचार-प्रसार की महत्तम आवश्यकता है। उन्होंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के इस प्रयास का सराहनीय बताया।
आज का कार्यक्रम की शुरूआत आमंत्रित अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के मूर्ति पर माल्यार्पण से की गई, इस अवसर पर आमंत्रित अतिथियों को पुष्प भेंट देकर सम्मानित किया गया तथा साथ ही स्मृति चिन्ह के रूप में पुस्तक भेंट उन्हें की गई।
इस अवसर पर शिक्षण केंद्र में अध्ययन कर रहे छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत किये। आयुषी, मोहम्मद मेहताब, दीपक महाजन आदि ने प्रषिक्षण के दौरान के अपने विशिष्ट अनुभवों को साझा किया। देवीराजा, आकांक्षा ने एक गीत प्रस्तुत किया उपरोक्त सभी छात्र छात्राओं ने सभी कार्यक्रम संस्कृत में ही प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन केन्द्र की शिक्षिका कुमारी श्रुति ने किया जबकि कार्यक्रम के अन्त में डा.बी.एस.भदौरिया ने आमंत्रित अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डा.उमेश कुमार, कौशल त्रिपाठी, राघवेन्द्र दीक्षित, उमेश श्‍ाुुक्ला, जयसिंह, अभिशेक कुमार आदि उपस्थित रहे।

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