कुलपति को मिला साहित्‍य भूषण सम्मान

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झांसी। बुंदलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि कोई भी कार्य यदि पूरी निष्ठा से किया जाए तो उससे जुड़े सपने जरूर साकार होते हैं, वे चाहे जितने बड़ हां। प्रो दुबे बृहस्पतिवार बुंदेलखंड के गांधी सभागार में आयोजित अभिनंदन समारोह में उपस्थित शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। यह समारोह प्रो. दुबे को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की ओर से साहित्य भूषण सम्मान मिलने की घोषणा की खुशी पर आयोजित किया गया।
भावुकता से ओत.प्रोत प्रो दुबे ने साहित्य भूषण सम्मान को अपनी धर्मपत्नी और साथ काम करने वाले विवि परिवार के सभी कर्मियों को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि रुचि के क्षेत्र में पुरस्कार मिलने पर आनंद स्वाभाविक है। लेकिन आनंद की सीमा का उल्लेख शब्दों में कर पाना सहज नहीं है। अपनी उपलब्धि में अपनी पत्नी के योगदान को रेखांकित करते हुए प्रो दुबे ने कहा कि कभी भी वे उनके पढ़ने लिखने की राह में किसी प्रतिबंध का कारण नहीं बनीं। विद्यार्थी जीवन में ही अध्यापन के क्षेत्र में आने का फैसला कर लिया। फिर निंरतर समय निकालकर साहित्य की साधना करते रहे। साहित्य ही उनका पहला और अंतिम प्यार रहा। और किसी क्षेत्र में जाने की कभी इच्छा नहीं रही। थियेटर में जरूर रुचि रही। इसे देखते हुए एक संस्था का गठन किया जिसके बैनर तले नाटकों का मंचन करते रहे। खुद अभिनय भी करते रहे। साहित्य भूषण पुरस्कार मिलने की घोषणा के बाद बाहर से मिल रही प्रतिक्रियाओं का जिक्र करते हुए प्रो दुबे ने यह भी रेखांकित किया आज भी बेहद व्यस्त रूटीन के बाद भी वे साहित्य और सृजन के लिए समय निकाल लेते हैं। इस मौके पर प्रो. सुनील काबिया, प्रो0वी0के0 सहगल, प्रो0एम0एल0मौर्य, प्रो0पी0सी0षुक्ला, प्रो0वी0पी0खरे, प्रो0आर0के0सैनी, प्रो0सी0बी0सिंह, प्रो0 प्रतीक अग्रवाल, डा0डी0के0भट्ट, डा0 अचला पाण्डेय, डा0 विनम्रसेना सिह , डा0श्रीहरि त्रिपाठी, डा0एस0के0जैन, डा0सन्तोश पाण्डेय, डा0बी0बी0 त्रिपाठी, डा0 नीरज गुप्ता, डा0रामप्रताप सिंह, डा0 सीमा श्रीवास्तच, डा0 सतीन्द्र मिश्रा, डा0 धीरेन्द्र यादव, डा0ओ0पी0सिंह, डा0अंकित श्रीवास्तव, डा0ललित गुप्‍ता, डा0 राधिका कुरील, इंजी0 राहुल षुक्ला, नवीन चन्द्र पटेल, डा0विजय यादव, डा0 सुनीता, डा0 पूनम मेहरोत्रा, डा0 नेहा मिश्रा, डा0राजेष पाण्डेय, डा0 महेन्द्र कुमार, डा0हरिषंकर, सरोज कुमार, सतीष साहनी आदि उपस्‍थित रहे।

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