इस बीमारी के लक्षण दिखें, तो जल्‍दी से पहुंंचे जिला अस्‍पताल

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झांसी। लकवा एक बीमारी है, जिसको अंग्रेजी में ब्रेन स्‍ट्रोक यानि मस्‍तिष्‍क घात भी बोला जाता है। यह एक जानलेवा बीमारी है। यदि सही समय पर इसका इलाज हो जाए, तो मरीज को बचाना आसान हो जाता है। इसका सबसे सुलभ इलाज हमारे महानगर के जिला अस्‍पताल में उपलब्‍ध है। ब्रेन स्ट्रोक को आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है, जबकि हर छह में से एक व्यक्ति जिंदगी में कभी न कभी इसकी चपेट में आता ही है। अब तो यह युवाओं को भी अपनी चपेट में लेने लगा है। इस लाइलाज बीमारी से बचने के लिए शुरुआत के चार घण्‍टेे बहुत महत्‍वपूर्ण होते हैं। यदि इन चार घण्‍टों में मरीज को इलाज मिल जाए, तो उसके लिए जीवन बहुत आसान हो जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अत्‍यंत महंगा होने के बावजूद झांसी के जिला अस्‍पताल में इसका मुफ्त इलाज किया जाता है। प्रदेश भर के कुछ जिलों में से झांसी भी एक जिला इसके लिए चुना गया है, जोकि पूरे बुन्‍देलखण्‍ड में लकवाग्रस्‍त मरीजों के मुफ्त इलाज के लिए एकमात्र अस्‍पताल है। जिला अस्‍पताल में कार्यरत ब्रेन स्‍ट्रोक के विशेषज्ञ चिकित्‍सक डॉ. दयासागर गुप्‍ता ने इस बीमारी सेे सम्‍बंधित जानकारी asiatimes.in की सम्‍पादकीय टीम से साझा की और ऐसे मरीजों के इलाज में हर सम्‍भव मदद करने का आश्‍वासन भी दिया।
डाॅॅॅ. गुप्‍ता ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक एक जानलेवा बीमारी है, जोकि हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों जितनी ही गंभीर है। ऐसे में इसे भी उतनी ही गंभीरता से लिया जाना चाहिए। आज उम्रदराज लोग ही नहीं, युवा भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। इसका इलाज काफी मंहगा होता है, लेकिन विगत एक वर्ष से जिला अस्‍पताल में इसका इलाज मुफ्त किया जा रहा है। बस जरूरी यह है कि इसके लक्षणों को पहचानकर तुरंत ही इसके उपचार के लिए मरीज को जिला अस्‍पताल जल्‍दी से जल्‍दी पहुंचाया जाए। प्राथमिक स्तर पर इसके उपचार में रक्त संचरण को सुचारु और सामान्य करने की कोशिश की जाती है ताकि मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके। ब्रेन स्‍ट्रोक के शुरुआती चार घंटे के भीतर जो उपचार उपलब्ध कराया जाता है, उसे ‘गोल्डन पीरियड’ भी कहा जाता है। उन्‍हाेंंने बताया कि हमारे पास अभी 100 मरीजों के लिए किट मौजूद है और यह समय समय पर आती रहती है। अभी तक उनके निर्देशन में लगभग 28 मरीजों को इसका लाभ मिल चुका है। जानकारी के अभाव में कई लोग समय पर अस्‍पताल नहीं पहुंंच पाते है, जिससे यह बीमारी मरीज के लिए और मरीज उसके परिजनों के लिए बोझिल हो जाता है। इसके इलाज के लिए एक टीम का गठन भी किया जा रहा हैै और उनको हर तरह की ट्रेनिंग सहित कार्यशाला भी लगाई जा रही है, जिससे उनके समय पर मौजूद न रहने की स्‍थिति मेंं टीम मरीज का इलाज कर सके। इसमें कई बाहरी चिकित्‍सकों की सहायता भी ली जा रही है।

यह होता है ब्रेन स्‍ट्रोक या लकवा

उन्‍होंने बताया कि मस्तिष्क की लाखों कोशिकाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए कई रक्त कोशिकाएं हृदय से मस्तिष्क तक लगातार रक्त पहुंचाती रहती हैं। जब रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है, तब मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं। इसका परिणाम होता है दिमागी दौरा या ब्रेन स्ट्रोक। यह मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट यानि खून का थक्‍का बनने या ब्लीडिंग होने से भी हो सकता है। रक्त संचरण में रुकावट आने से कुछ ही समय में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है। जब मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं, तो इसे ब्रेन हैमरेज कहते हैं। इसे ब्रेन स्‍ट्रोक या लकवा कहते हैं।

इन लक्षणों पर दें विशेष ध्‍यान

0 अचानक संवेदनाा गायब हो जाना, चेहरे, हाथ या पैर में, विशेष रूप से शरीर के एक हिस्‍से में कमजोरी महसूस करना।
0 समझने या बोलने में मुश्किल होना।
0 एक या दोनों आंखों की देखने की क्षमता प्रभावित होना।
0 चलने में मुश्किल, चक्कर आना, संतुलन की कमी हो जाना।
0 अचानक गंभीर सिरदर्द होना।

इन लोगों को रहता है सबसे अधिक खतरा

0 डायबिटीज के मरीजों में इसका खतरा काफी बढ़ जाता है।
0 हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर टेंशन के मरीज इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
0 मोटापा ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
0 धूम्रपान, शराब और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन ब्रेन अटैक को निमंत्रण देने वाले कारण माने जाते हैं।
0 कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता स्तर और घटती शारीरिक सक्रियता भी इसका कारण बन सकती है।

यह करने से दूर रहेगी लकवा और अन्‍य बीमारियां

0 तनाव से बचें, मानसिक शांति के लिए ध्यान लगाएं।
0 धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।
0 नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
0 अपना वजन सही रखें।
0 हृदय रोगी और मधुमेह के रोगी विशेष सावधानी बरतें।
0 नमक का अधिक मात्रा में सेवन न करें।
0 गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन कम करें।

‘फास्ट’ दूर करता है ब्रेन स्‍ट्राेक जैसी बीमारी को

डॉ. गुप्‍ता बताते है कि यदि कोई स्ट्रोक के किसी संकेत या लक्षण को महसूस कर रहा हैं, तो समय गंवाएं, बगैर मरीज या उसके परिजनों को एफएएसटी (फास्ट) के बारे में सोचना चाहिए और फिर कार्य करना चाहिए। ‘एफएएसटी’ का मतलब है कि
एफ – फेस (चेहरा): व्यक्ति को मुस्कराने के लिए कहें, लेकिन उसकेे चेहरेे का एक हिस्सा लटकने जैसा लग रहा हो।
ए – आर्म (बांह): व्यक्ति को दोनों बांहों को उठाने को कहें, लेकिन मरीज का एक हाथ गिर रहा हो और वह व्यक्ति हाथों को ऊपर उठाने में असमर्थ हो।
एस – स्पीच (बोलना): व्यक्ति को कोई एक साधारण वाक्य को दोहराने के लिए कहें और उसकी आवाज में लड़खड़ाहट हो या वह अजीब तरीके से बोल रहा हो।
टी – टाइम (समय): अगर आपको इनमें से कोई लक्षण प्रकट हों, तो तुरंत जिला अस्पताल में संपर्क करें।

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