इस्‍लाम इंसाानियत की खिदमत का हुक्‍म देता है: मुफ्ती नदवी : रिपोर्ट मनीष अली

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झांसी। यह शाश्वत सत्य है कि किसी भी देश और समाज का समग्र विकास के लिए हर समाज का शिक्षित और संगठित होना अत्यंत आवश्यक है। इसी सन्दर्भ में देश और समाजहित में “इत्तिहादुल मुसलमीन” के लिए विभिन्न विचार धारा के मुस्लिम मज़हबी रहनुमा ने विचार विमर्श किया और इस दिशा में काम कर समाज को जागरूक करने का निर्णय लिया है। ऐतिहासिक शहर झांसी के लिये यह सौभाग्य का विषय है।
मौलाना सैयद मुहम्मद सादिक हुसैनी साहब किबला – देहली ने कहा,” हमारे मुल्क में विश्व गुरू बनने की क्षमता है, लेकिन यह तभी संभव है जब हम सब मिलकर रहें। इस्लाम में हुब्बुल वतनी (वतन से मोहब्बत) आधा ईमान है। आज वक़्त का तक़ाज़ा है कि हम एक दूसरे प्रति नफ़रत की सियासत को छोड़कर एक दूसरे की अच्छाईयों को देखें और मिलकर रहें। हम अपने इस मक़सद को पूरा करने के लिए अपने समाज को जागरूक करने और विभिन्न समाज और धर्मों में व्याप्त ग़लतफहमी को दूर करने के लिए संवाद स्थापित करने करने का फैसला किया है। हमने दहशत गर्दी का हमेशा सख्त विरोध किया है और हमेशा करते रहेंगे। हम पहले अपने समाज को संगठित करने और शिक्षित करने पर काम कर रहे हैं, जिसके अच्छे नतीजे भी आने लगे हैं। अब प्रशासनिक सेवाओं और अन्य संस्थानों मुस्लिम युवाओं की बढ़ती संख्या इसका उदाहरण है। हमारे अज़ीम मुल्क की खासियत अनेकता में एकता, गंगा-जमुनी तहज़ीब और सर्व धर्म समभाव रहा है। हमें इसकी हिफाज़त करनी है।
मुफ्ती मोहम्मद इमरान नदवी ने कहा,” हमारे कुछ बिरादाराने वतन में इस्लाम और मुसलमानों को लेकर बहुत ग़लतफहमी पैदा की जा रही है। जो मुल्क और समाज रोशन मुस्तकबिल के लिए ठीक नहीं। इस ग़लतफहमी को संवाद स्थापित कर दूर करने के प्रयास किये जायेंगे। इस्लाम इंसानियत की खिदमत का हुक्म देता है। सारी मखलूक़ अल्लाह का कुनबा है। हमें अपने अज़ीम मुल्क के लिए इंसानियत के जज़्बे को सबसे ऊपर रखना है। यह खुशी का मौक़ा है कि ऐतिहासिक शहर झांसी में पहली बार विभिन्न अलग अलग विचाराधारा के मज़हबी रहनुमा देश और समाज हित में देश की एकता और अखण्डता को कायम रखने के लिए काम करने का संकल्प लिया है।

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संचालन सैयद शहनशाह हैदर आब्दी और आभार मौलाना सैयद फरमान अली ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर मौलाना सैयद शाने हैदर जैदी, मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान असदी, हाजी अशफाक अहमद, मुफ्ती सिद्दीक नदवी, हाजी मज़हर अली, मौलाना सैयद नावेद हैदर और फैज़ान मज़हर आदि उपस्थिति रहे।

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