विद्यार्थियों का भविष्य शिक्षकों का उत्तरदायित्व: प्रो. सहगल

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झांसी। नकल विहीन परीक्षा कराने के पश्चात विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों, कर्मचारियों, अधिकारियों का उत्तरदायित्व है कि वह आगामी सत्र में पठन पाठन तथा अध्ययन अध्यापन की सुचारू रूप से व्यवस्था कर सकें। जिससे शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल हो सके, यही शिक्षकों का उत्तरदायित्व भी होता है। यह विचार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. वीके सहगल ने विश्वविद्यालय के गांधी संभागार में स्ववित्त पोषित योजना के अंतर्गत संचालित महाविद्यालयों के प्रबंधकों के सम्मेलन में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आयेाजित महाविद्यालयों में शैक्षिक वातावरण एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विषयक गोष्ठी के अवसर पर अध्यक्षता करतेे हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप विश्वविद्यालय प्रशासन, तथा सम्बद्ध महाविद्यालयों ने पूरी शुचिता के साथ विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाओं को संपन्न कराया, जिसके लिए वे सब बधाई के पात्र हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव चंद्रपाल तिवारी ने विश्वविद्यालय से संबद्ध स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के प्रबंधकों को बधाई देते हुए कहा कि उनके सहयोग के बिना विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाओं को नकलविहीन एवं शुचिता पूर्ण ढंग से संपन्न कराना सम्भव ही नही हो पाता। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय एक दूसरे के पूरक हैं इसी कारण से विश्वविद्यालय का सदैव से ध्येय रहा है कि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों का उत्तरोत्तर विकास हो। उन्होंने कहा इस संगोष्ठी का उद्देश्य यह था कि स्ववित्त पोषित योजना के अंतर्गत कार्यरत महाविद्यालय के प्रबंधक एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के मध्य एक सही संवाद स्थापित हो सके जिससे महाविद्यालयों की जितनी भी समस्याएं हैं। यह समय हमारे आत्मनिरीक्षण का समय है जिसमें हम यह देखें कि हम से कहां-कहां पर गलतियां हुई हैं और उन्हें भविष्य में उन गलतियों को ना दोहराया जाए। इस अवसर पर महाविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालय के प्रबंधकों ने अपनी अपनी समस्याओं को विश्वविद्यालय प्रशासन के सम्मुख रखा। इन प्रमुख समस्याओं में महाविद्यालयों में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानक के अनुरूप शिक्षकों की कमी, विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहा शिक्षकों के भौतिक सत्यापन, शिक्षकों का मानदेय तथा शिक्षकों द्वारा महाविद्यालयों में अनुमोदन की विभिन्न समस्याओं पर विचार विमर्ष हूुआ। संगोष्ठी में डॉक्टर खैरा, श्रवण कुमार द्विवेदी, डॉ बादल, डा.सी.बी सिंह, डा.आशीष मिश्रा, डा.सुरेन्द्र सिंह आदि प्रबन्धकों ने अपने विचार व्यक्त किये तथा महाविद्यालयों की समस्याओं से विश्वविद्यालय को अवगत कराया।
इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलसचिव राकेश कुमार ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला तथा बताया कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने शासन के निर्देशानुसार सौ प्रतिशत शिक्षा परीक्षा केंद्रों में परिवर्तन किया तथा उनके नकलविहीन परीक्षा आयोजित कराई। इसके अतिरिक्त 31 मई 1918 तक समस्त परीक्षा फल घोषित किए, साथ ही साथ सेमेस्टर परीक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम की परीक्षाफल 30 जून 2018 तक घोषित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्य में आप सभी का पूर्ण सहयोग रहा। राकेश कुमार ने बताया कि महाविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना, पठन पाठन की प्रक्रिया सुधारना, प्रवेश लेने वाले छात्र छात्राओं की उपस्थिति सुनिश्चित करना वर्तमान सत्र में विश्वविद्यालय के प्रमुख उद्देश्य है।
कार्यक्रम के अन्त में प्रबन्धकों की मांंगों का उत्तर देते हुए कुलसचिव तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी स्वायत्ता की सीमा में रहते हुए सभी सम्बद्ध महाविद्यालयों के विकास तथा उनकी समस्याआेंं के समाधान हेतु कोई कसर नहीं छोडेगा। यदि समस्याएं राज्य सराकर के स्तर से सुलझ सकती है तो विश्वविद्यालय प्रशासन अपना हर सम्भव प्रयास कर उनकी समस्याओं को हल करवाने का प्रयास करेगा। इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. देवेश निगम, कुलानुशासक प्रो. आरके सैनी, डा. संदीप सिंह वर्मा, डा.हरिशंकर यादव, मायाशंकर, विवेक अग्रवाल, अनिल बोहरे, डा.अतुल खरे आदि उपस्थित रहे। संचालन डा. शैलेंद्र तिवारी ने किया तथा आभार विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव प्रशासन रामचरण अवस्थी ने व्यक्त किया।

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