झांसी। उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मण्डल का प्रमुख झांसी रेलवे स्टेशन इन दिनों अवैध कारोबारियों का अड्डा बना हुआ है। स्टेशन के अंदर और बाहर हर जगह अवैध कारोबारी खाद्य सामग्री, छोले भटूरे, समोसे, गुटखा, सिगरेट, पेठा आदि बेचने के लिए अवैध वेण्डर नजर आते हैं। रेल प्रशासन सुरक्षा को लेकर वैसे तो तमाम दिखावे करता है, लेकिन इन अवैध वेण्डर व कारोबारियों पर नकेल कसने के लिए कुछ नहीं कर रहा है। अब ऐसे में इसको लेकर लोगों ने खुद रेलवे के प्रशासनिक अधिकारियों व रेलवे पुलिस पर मिलीभगत के आरोप लगाने शुरु कर दिए हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह अवैध कारोबारी रेलवे को राजस्व का चूना लगाने के साथ ही टैक्स विभाग को भी धता बता रहे हैं। इस अवैध कारोबार की कहीं कोई गणना न होने के कारण न तो इनको जीएसटी ही देना होता हैै और न ही इंकम टैकस। ऐसे में यह मोदी सरकार की योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं। अगर अब भी रेल प्रशासन नहीं चेतता है, तो आगेे भी यह नुकसान सरकार को होता ही रहेगा।
अवैध तरीके से बिकने वाले खाने पीने के सामान को रोकने के लिए रेलवे पुलिस तक पूूरी तरह नाकाम है। इस अवैध वैण्डिंग से जहां रेलवे को नुकसान पहुंचाया जाता है, वहीं रेल यात्रियों की जेबों पर भी डाका डालने के साथ ही उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी किया जाता है। ऐसा भी नहीं है कि रेल प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता हैै, लेकिन समय समय पर कार्रवाई के बाद यह दुकानें फिर से सज जाती हैं। यह गोरखधंधा बदस्तूर जारी रहता है। अगर हम रेलवे स्टेशन के बाहर से शुरुआत करें, तो हर जगह चौपाटी की तरह दुकानें लगी हुई है। यहां खाने के सामान के साथ गुटखा और सिगरेट की बिक्री अधिकतम दामों में की जाती है और इसको लेकर आए दिन यात्रियों के साथ इन कारोबारियों की बहस और तूतू मैंंमैं तक होते होते बात मारपीट तक पहुंच जाती है। ऐसे में यह सब एकत्र होकर उस यात्री को घेर लेते है और कई बार तो उसके साथ अच्छी खासी मारपीट तक कर देते हैं। कुछ ही दूरी पर मण्डल का मुख्य कार्यालय भी स्थित है और अधिकारियों का आना जाना इन ही सड़कों से होने के बावजूद कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसके साथ ही स्टेशन के बाहर आरपीएफ थाना और उसके थोड़ी ही दूर पर जीआरपी थाने के साथ एसपी जीआरपी कार्यालय भी बना हुआ है। उसके बाद भी इन कारोबारियों के हौंसले कुछ और ही बयां कर रहे हैं।
आरपीएफ थाने के पीछे हो रहे अवैध कारोबार
आरपीएफ थाने के पीछे नकली पानी की बोतलों का कारोबार चल रहा है, जोकि एक झोपड़ी में किया जाता है। उसके बगल से ही खाने के सामानों के ठेलों के साथ गुटखे आदि की चलती फिरती दुकानें लगी हैं। यहांं रात होते ही युवकों का जमावड़ा लग जाता है। यह खुराफाती तत्व महिलाओं से छेड़खानी आदि करने के साथ ही हंगामा करते रहते हैं।
सांंसद निधि से बने यात्री शेड का हो रहा दुरुपयोग
यहां वेज नॉनवेज खाने की दुकानें अवैध रुप से लगाई जाती हैं और उन गरीब मजदूरों को लूटा जाता है, जोकि मजदूरी के लिए बड़े शहरों की ओर जा रहे होते हैं।
जीआरपी थाने से सटे पुल के पास लगते हैं कई ठेले
जीआरपी थाने से सटे पुल के पास सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक के लिए यहां दुकानें अवैध रुप से लगाई जाती हैं, लेकिन आरपीएफ और जीआरपी कोई कार्रवाई नहीं करती है।
पश्चिम टिकट घर के आसपास बंटते हैं ठेलों पर अवैध लाईट कनेक्शन
पश्चिम टिकट घर के आसपास जहां एक ओर तमाम अवैध ठेले लगे हैं, वहीं यह रेलवे को नुुुुकसान पहुंचाते हुए अवैध बिजली जलाते हैं। खाली बिजली जलाते ही नहीं है, एक दूसरे को कनेक्शन भी उपलब्ध कराते हैं। इससे वह चाय, नाश्ता और खाने आदि का सामान हीटर आदि पर बनाते हैं।
पेठा बेचने वाला अवैध वैण्डर
स्टेशन के अंदर नहीं दिखते सीसीटीवी में अवैध वैण्डर
रेलवे द्वारा एक ओर सुरक्षा के बड़ेे बड़े दावे किए जाते हैं और सीसीटीवी कैमरे लगेे हुए हैं। इसकेे बावजूद भी सभी प्लेटफॉर्म पर ट्रेन्स में सामान बेचने वालेे अवैध वैण्डर इनको नजर नहीं आते हैं। यह वैण्डर गुटखा, सिगरेट, बीड़ी, तम्बाखू, पेठा, माचिस, बैटरी वाले खिलौने, नकली मैमोरी कार्ड, बैटरी बैंक आदि सहित तमाम सामान बेचते हैं। यह वेण्डर लोगों को चूना भी लगाते है, जिसके तहत नकली महंगी सिगरेट के नाम पर सस्ती सिगरेट, नकली गुटखा, बीड़ी आदि बेचकर फरार हो जातेे हैं। लम्बे रुट की ट्रेन्स की जनरल बोगियां इनके निशाने पर विशेष रुप से होती हैं और वहां यह सामान बेचकर तत्काल गायब हो जाते हैं।