विवि : कोलेस्‍ट्रॉल से लेकर कैंसर तक दूर करने में सहायक है यह घास

० किसान के लिए आम के आम गुठलियों के दाम सिद्ध होंंगी यह घास ० टीकमगढ एवं ललितपुर ज़िलों में लेमन ग्रास की पौध वितरित

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झांसी। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली द्वारा स्वीकृत परियोजना के अंतर्गत बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में वैकल्पिक कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य प्रारंभ हुआ है। भौगोलिक विषमताओं एवं आजीविका से जुडी समस्यायों के समाधान हेतु क्षेत्र को औषधीय एवं सुुगंधीय पौधों के उत्पादन केे हब के रूप में विकसित करने व परियोजना के क्रियान्यवन की जिम्मेदारी बुन्‍देलखण्‍ड विश्वविद्यालय को सौंपी गई है। यह योजना पूरी तरह सफल हुई तो किसानों के लिए आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत सिद्ध करेगी।
बुन्‍देलखण्‍ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे के अनुसार भारत सरकार के अग्रणी शोध संस्थानों के साथ विश्वविद्यालय का यह संगम निश्चित ही बुन्‍देलखण्‍ड परिक्षेत्र के विकास में महत्‍वपूर्ण योगदान देगा। परियोजना के विषय में जानकारी देते हुए बुन्‍देलखण्‍ड विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस विभाग के उपाचार्य एवं परियोजना प्रबंधक डॉ. रामबीर सिंह ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत चरणबद्ध तरीके से औषधीय एवं सुुगंध पौधों की कृषि एवं परसंस्करण की सुविधाएं बुन्‍देलखण्‍ड क्षेत्र के विभिन जिलों में विकसित की जाएंंगी। क्षेत्र में सूखेे की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए बिना सिंंचाईं के उगने वाली फसलों जैसे लेमन ग्रास, रोजा ग्रास इत्यादी को प्रथम चरण में लगाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस विभाग द्वारा गत वर्ष आयोजित की गयी, कार्यशाला में भाग लेने वाले किसानोंं में से चयनित प्रति किसान को एक एकड़ की पौध निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। प्रत्येक एक एकड़ से आगामी समय में 50-50 एकड़ के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे तथा प्रत्येक क्लस्टर में निशुल्क एक वाष्पन इकाई लगाकर उसे किसानोंं के समूह को दे दिया जायेगा। औषधीय एवं सुुगंध पौधों से प्राप्त होने वाले उत्पादों का क्वालिटी परीक्षण विश्वविद्यालय के इनोवेशन केंद्र में किया जायेगा। उत्पादों की बिक्री को सुनिश्‍चित करने हेतु फार्मर-इंडस्ट्री कंसोर्टियम तैयार किया जायेगा।
परियोजना क्षेत्र के किसानो की आमदनी बढ़ाने एवं युवाओं में रोजगार के अवसर सृजित करने में कारगर भूमिका निभाएगी।

कॉस्‍मेटिक और ऐरोमा थेरेपी में उपयोग किया जाएगा इनका उपयोग

सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्‍मू के वैज्ञानिक डॉ. सभाजीत ने बताया कि लेमन ग्रास और रोजा ग्रास से सुगंधित व औषधियों में उपयोग आने वाला तेल निकाला जाता है। इस तेल की कीमत लगभग 1500 रुपए प्रति लीटर होती है। उन्‍होंने बताया कि किसान प्रत्‍येक छह से सात माह बाद इस घास की कटिंग करेगा और उससे तेल निकाला जाएगा, जिसको सरकारी संस्‍थान या फिर किसी प्रायवेट कम्‍पनी को बिकवाया जाएगा। इन दोनों ही घास का उपयोग दवाओं के रुप में किया जाता है और यह कोलेस्‍ट्राल कम करने से लेकर कैंसर तक की बीमारी दूर करने में सहायक की भूमिका निभाती हैं। वहीं कॉस्‍मैटिक सामानों और ऐरोमा थेरेपी आदि में इसका उपयोग किया जाता है।

योजना के तहत दिया गया प्रशिक्षण

कार्यक्रम के तहत टीकमगढ जिले के पृथ्वीपुर तहसील के वीर सागर एवं लहरगुआन गाँव तथा ललितपुर जिले के बांसी के 15 किसानोंं को लगभग दो लाख सुगन्धित पौधों जैसे लेमन ग्रास, रोजा ग्रास की विभिन्न प्रजाति के पौधेे सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्‍मू द्वारा निशुल्क वितरित की गयी। साथ ही किसानोंं को प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम के समन्वयक सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्‍मू के वैज्ञानिक डॉ. सभाजीत ने बताया कि लेमन ग्रास व रोजा ग्रास की फसलेंं बुन्‍देलखण्‍ड की असिंंचित भूमि के लिए अति उपयोगी है तथा यह किसानोंं की आय बढ़ाने में उपयोगी सबित होंंगी। कार्यक्रम में बुन्‍देलखण्‍ड विश्वविद्यालय के डॉ. रामबीर सिंह ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्‍मू के जगन्नाथ पाल, कौशल कुमार तथा कृषक बंधू जाहर सिंह, राकेश यादव, आशुतोष सिंह, जय नारायण नायक, कपिल कुमार दूबे आदि उपस्थित रहे।

यहां प्राप्‍त करें विस्‍तृत जानकारी

परियोजना की विस्तृत जानकारी डॉ. रामबीर सिंह से दूरभाष सं 9473583251 पर संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।

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