चुनाव में नैपकिन की तरह इस्‍तेेेेमाल होते हैं अल्पसंख्यक : मो0 नईम

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झाँसी। शिक्षा के बगैर इंसान की तरक्की संभव नहीं है। शिक्षा के द्वारा ही आर्थिक, सामाजिक औरराजनैतिक सशक्तिकरण संभव है। अल्पसंख्यक समाज में भी अनेकों प्रतिभायें हैं, जिनको सही दिशा दिखाने की आवश्यकता है। शैक्षिक रुप से पिछड़े अल्पसंख्यक वर्ग को चाहिए कि वे आधुनिक शिक्षा को अधिकाधिक ग्रहण करें और समाज के विकास में भागीदार बनें।’’
उपरोक्त विचार ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस’’ के अवसर पर ताज कम्पाउण्ड स्थित डा0 कलाम कम्प्यूटर सेण्टर में कलाम ऐजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी, झाँसी द्वारा आयोजित ‘‘वर्तमान परिदृश्य में अल्पसंख्यकों के समक्ष चुनौतियाँ ’’विषयक संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रुप मेंं सम्बोधित करते हुए भास्कर एवं जनसंचार पत्रकारिता संस्थान, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के विभागाध्यक्ष डॉ. सी. पी. पैन्यूली ने व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि डॉ. पैन्युली ने कहा कि जब तक समाज के सभी वर्गों का सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक सशक्तिकरण नहीं होता, तब तक सबका साथ – सबका विकास की परिकल्पना बेमानी है। समाज के समस्त वर्गों का कल्याण करना प्रत्येक सरकार की संवैधानिक जिम्मेवारी है। उनका मानना था कि जो सरकार अपनी इस जिम्मेवारी का पालन नहीं करती, वह भारतीय संविधान की अवमानना करती हैं।
संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के समाज कार्य विभाग के पूर्व प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मुहम्मद नईम ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में अल्पसंख्यकों को चौतरफा खतरों का सामना करना पड़ रहा है। आज के दौर में अल्पसंख्यकों को चुनावों में नैपकिन की तरह इस्तेमाल किया जाता है और वे दोयमदर्जे के नागरिक ही बने रहने को मजबूर है।
ललित कला विभाग की समन्वयक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने विशिष्टअतिथि के रुप में कहा कि बहुसंख्यक वर्ग की तरह अल्पसंख्यक वर्ग भी समाज का एक अहम हिस्सा है। दोनों ही वर्गो की तरक्की के जरिए देश को सशक्त बनाया जा सकता है।
संचालन व आभार संस्था के निदेशक शेख अरशद ने व्यक्त किया। संगोष्ठी में सैयद मुनब्बर अली, आदिल खान, तौसीफ अली, नाजिया, आरजू बानो, मुहम्मद शानू आदि उपस्थित रहे।

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