कुलपति नहीं शिक्षक व छात्र महत्‍वपूर्ण : प्रो. वैशम्‍पायन

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झांसी। किसी भी विश्वविद्यालय को उसके कुलपतियों के नाम से नहीं बल्कि उसके शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के नाम से जाना जाता है। विश्‍वविद्यालय में कुलपति नही बल्कि उसके शिक्षक तथा छात्र अधिक महत्वपूर्ण होते है। यह विचार आज बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रो. जीवी वैशम्पायन ने व्यक्त किये।
प्रो. वैशम्पायन बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय के कुलपति पद का पदभार ग्रहण करने के बाद विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सभागार में विभागाध्यक्षों तथा समन्वयकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक तथा प्रशासनिक दो महत्वपूर्ण अंग है, दोनों अंगों को समन्वित रूप से एक टीम की तरह कार्य करना चाहिए। तभी विश्‍वविद्यालय का सर्वागींण विकास सम्भव है। नवनियुक्त कुलपति ने कहा कि इस विश्‍वविद्यालय के शिक्षकों की अपनी एक ख्याति है। साथ ही आशा भी व्यक्त की कि उन्हे भी पूर्ववर्ती कुलपति६येां की भांति शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचाारियेा तथा छात्र-छात्राओं का सहयेाग मिलता रहेगा। प्रो. वैशम्पायन ने आश्‍वासन दिया कि वह विश्‍वविद्यालय की चहुंमुखी प्रगति हेतु आये सभी प्रस्तावों का तहेदिल से स्वागत करेगें तथा इस हेतु अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोडेंगे।
विवि के निवर्तमान कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने नवनियुक्त कुलपति प्रो. जीवी वैशम्पायन का स्वागत करते हुए कहा कि यह उनका तथा विवि का सौभाग्य है कि वह अपने बाद बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की बागडोर प्रो. वैशम्पायन सरीखे ज्ञानवान, सुयोग्य, अनुभवी तथा प्रशासनिक क्षमता से भरपूर कुलपति के हाथों में सौंपकर जा रहे है। प्रो. दुबे ने आशा व्यक्त की कि नवनियुक्त कुलपति के संरक्षण एवं निर्देशन में यह विवि दिनदूनी रात चौगुनी प्रगति करेगा। उन्होंने कहा कि वह लगभग 3 वर्ष के अपने कुलपति के कार्यकाल की समाप्ति पर संतुष्ट होकर जा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने सदैव विवि के हित में ही कार्य करने का प्रयास किया। प्रो. दुबे ने विवि के शिक्षकों, अधिकारियों तथा कर्मचाारियों का उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें प्रदत्त सहयोग हेतु धन्यवाद भी दिया। विवि के अधिष्‍ठाता अकादमिक प्रो. एसपी सिंह ने आभार व्यक्त किया।

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