किसानोंं को अतिरिक्त आमदनी के स्रोत की व्यवस्था करना आवश्‍यक : प्रो. सिंह

कृषि विज्ञान संस्थान में दस दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

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झांसी। भारत एक कृषि प्रधान देश है, परन्तु वर्तमान परिस्थतियों में किसानों के लिए यह आवश्‍यक है कि वे कृषि आमदनी का एक अतिरिक्त स्रोत इजाद करें। यह विचार कृषि विज्ञान संस्‍थान के निदेशक प्रो.सीबी सिंंह ने बुन्देलखण्ड विश्‍वविद्यालय के गांधी सभागार में विवि परिसर में संचालित कृषि विज्ञान संस्थान एवं पतंजलि बायो रिसर्च संस्थान, हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दस दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए उपस्थित किसानों एवं प्रशिक्षणार्थियेां को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मे सबसे ज्यादा हिस्सेदारी कृषि क्षेत्र से है। एक बड़ी मात्रा में अनाज हमारे देश से दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है। प्रो. सिंह ने उपस्थित कृषक प्रशिक्षणार्थियों का आव्हान किया कि वे आधुनिक कृषि पद्यति को अपनाते हुए मूल्य वर्धित एवं पैकेज प्रैक्टिसिस अपनाएं। इस दौरान कृषि विज्ञान संस्थान के शैक्षणिक समन्वयक प्रो. बी गंगवार ने जैविक खेती तथा उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा जैविक खेती को अपनी परम्परागत कृषि पद्यति में जोडने पर बल दिया। पतंजलि बायो रिसर्च संस्थान के प्रदेश समन्वयक डा. पुष्‍पेन्द्र सिंह यादव ने पतंजलि बायो रिसर्च संस्थान के उत्पादों तथा विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर डा. आरके शुक्ला ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्‍य तीन वर्ष में दस लाख किसानाेें को प्रशिक्षण दिया जाना है।
इस अवसर पर कृषि विज्ञाान संस्थान के सहायक निदेशक डाॅॅ: नीत कुमार, डा. पीके सिंंह, डा. शिशिर कुमार सिंह, डा. जितेन्द्र बबेले, डा. सन्तोष पाण्डेय, डा. एस. हासमी, डा. अरविन्द भारती, डा. एस परवीन, डा. महिपत सिंंह, डा. हरपाल सिंह, डा. राधिका, डा. रमेश कुमार, डा. अशोक कुमार, शुभ्रा दुबे, अनुष्‍का मिश्रा, अंकुर चौरसिया, अनिल, विपिन, सौरभ आदि उपस्थित रहे।

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