युवाओं पर आ पड़ा है निर्बलों की आवाज बनने का अहम दायित्व: शीतल तिवारी

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर बुविवि के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में हुई विचार गोष्ठी निबंध में राहुल पाल और प्रश्नोत्तरी में शांतनु मिश्रा रहे अव्वल

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झांसी। बाजारवाद के इस दौर में पत्रकारिता के दीप को प्रज्ज्वलित रखने और गरीब एवं निर्बल की आवाज बनने का अहम दायित्व युवा पत्रकारों के कंधों पर आ पड़ा है। युवाओं को अपने जोश और होश को दुरूस्त रखकर पत्रकारिता के शीर्ष पुरुषों के त्याग, स्वाभिमान और निर्भीकता के भाव को भी बचाए रखने की चुनौती स्वीकार करनी होगी। यह बात बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि एवं बुंदेलखंड के वरिष्ठ पत्रकार शीतल तिवारी ने व्यक्त किए। उन्होंने संस्थान में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित निबंध और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कार वितरित किए।
श्री तिवारी ने कहा कि आज पत्रकारिता व्यवसाय के रूप में प्रतिष्ठित है। हर स़क्षम व्यक्ति पत्रकारिता का उपयोग निजी स्वार्थों को साधने को बाजारवाद के विविध हथकंडों का प्रयोग कर रहा है। ऐसे में पत्रकारिता की चुनौतियां बढ़ी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि युवा और विद्यार्थी पत्रकारिता के मूल्यों को कायम रखने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। विशिष्ट अतिथि और दैनिक हिंदुस्तान के संवाददाता रवि मिश्र ने पत्रकारिता की विविध चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि आज सच को बचाए रखने की चुनौती पहले की तुलना में ज्यादा है। हर कोई सच की परिभाषा अपने तरीके से गढ़ना चाहता है। ऐसे में मीडिया कर्मियों का काम और चुनौतीपूर्ण हो गया है। जनसंचार संस्थान के पूर्व प्रमुख डा. सीपी पैन्यूली ने आजादी के पूर्व और वर्तमान की पत्रकारिता के स्वरूप में आए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि युवाओं को वक्त की नजाकत को भांपते हुए सत्य का संधान करना है। सबको यह ख्याल रखना है कि उसे निर्बल की आवाज बनने की भूमिका का निर्वहन भी करना है। चुनौतियां और खतरे बहुत हैं, लेकिन स्थितियों पर सतर्कता से नजर रखते हुए युवाओं को अपनी भूमिका निभानी होगी।

जन संचार एवं पत्रकारिता संस्थान के समन्वयक डा. कौशल त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता खुद सवालों के घेरे में है। आम लोगों की ओर से मीडिया की निष्पक्षता को लेकर ही सबसे अधिक सवाल उठाए जा रहे है। यह चिंता की बात है युवाओं को हालात में बदलाव के लिए मीडिया के शीर्ष पुरुषों की ओर से स्थापित मूल्यों पर अमल करना होगा। पत्रकारिता की विश्वसनीयता को कोई खरोंच न लगे, इसके लिए युवाओं को अपनी कार्यशैली से बेहतरीन उदाहरण पेश करना होगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि समाज कार्य संस्थान के डा. मो. नईम ने पत्रकारिता की खूबियों को रेखांकित करते हुए यह उम्मीद जताई कि भावी पीढ़ी अपने समाज और क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुसार अपनी भूमिका का सजगता से निर्वहन करेगी। इससे पहले जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक उमेश शुक्ल ने युवाओं को पत्रकारिता की विविध चुनौतियों से निपटने को पूरी तरह से अपडेट और आधुनिक तकनीकी से लैस रहने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंटकर उनका स्वागत किया गया। इससे पूर्व संस्थान में सुबह की पहली पारी में लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका विषय पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें बीए प्रथम वर्ष के राहुल पाल ने प्रथम, बीए तृतीय वर्ष की पलक चतुर्वेदी और कृतिका खटवानी ने द्वितीय और चंचल गुप्ता ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसके बाद पत्रकारिता पर लिखित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। प्रश्नोत्तरी में एमए प्रथम वर्ष के शांतनु मिश्र प्रथम, मोहित संतोष मिश्र द्वितीय और श्यामजी तिवारी को तृतीय स्थान मिला। इन सभी विजेताओं को मुख्य अतिथि और अन्य शिक्षकों ने पुरस्कार वितरित किए। कार्यक्रम का संचालन उमेश शुक्ल ने किया। अन्त में पूर्व प्रमुख डा. पैन्यूली ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में संस्थान के शिक्षक सतीश साहनी, जय सिंह, डा. उमेश कुमार, राघवेंद्र दीक्षित, संस्कृत प्रशिक्षक रजनीकांत आर्य आदि उपस्थित रहे।

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