रानी के लिए एक दीप तो जलाना फर्ज बनता है हमारा – संजय पटवारी

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झांसी। मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी, अंग्रेजों से इस उदघोष के बाद झांसी की महारानी लक्ष्‍मीबाई ने युद्ध छेड़ दिया था। उसके बाद से ही जब तक जीवित रहीं, झांसी के लिए लगातार अंग्रेजों को नाको चने चबाने को मजबूर कर दिया।
झांसी की उस महारानी जिसने अपना जीवन झांसी के लिए समर्पित कर दिया, उनको एकदीप जलाकर पुष्‍पांजलि देने का फर्ज तो हम सबका बनता है। उक्‍त उदगार व्‍यक्‍त करते हुए उप्र व्‍यापार मण्‍डल के प्रांतीय अध्‍यक्ष संजय पटवारी ने asiatimes.in की सम्‍पादकीय टीम से बात करते हुए झांसी महानगर ही नहीं झांसी जिला सहित आसपास के लोगों से भी आजादी की प्रथम दीपशिखा और प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजाने वाली झांसी की महारानी के जन्‍म दिवस पर एक दीपक जलाने की अपील की है। उनका कहना है कि आजादी को लेकर हुए प्रथम युद्ध में झांसी की महारानी ने अपना जीवन न्‍यौछावर कर दिया, ऐसे में आज आजाद देश में हम अपने उन स्‍वतंत्रता सेनानियों को याद में अपना इतना सा कर्तव्‍य पूरा कर ही सकते हैं।

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