कलियुग में बड़ा तप है खुश रहना – मोरारी बापू

- बुधवार को होगी भगवान शिव विवाह और प्रभु राम के प्रकट्य की कथा

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ओरछा। राष्ट्रीय संत परम पूज्य श्री मोरारी बापू ने श्री राम कथा के चौथे दिन बताया कि कलियुग में उपवास या कोई अन्य साधना करने से भी बड़ा तप है खुश रहना। मुस्कराते हुए हर विपरीत स्थिति का सामना करते हुए उसे सहन करना भी तप है। संत बापू ने युवाओं से कहा कि जब इंटरनेट के जरिए दुनिया उनकी मुट्ठी में है, तो फिर वे महाभारत, गीता व रामचरित मानस जैसे ग्रंथ पढ़ें। पढ़कर समझ में न आए, तो कहीं जाकर सुनें। पढ़ने से अधिक सुनकर अच्छी बातों को आत्मसात किया जा सकता है। उन्होंने यह भी सीख दी कि पेड़ मत काटो, धरती का खनन, दोहन मत करो, नदियों को नुकसान मत पहुंचाओ। ये सब साधु समान हैं। संतों के भीतर वृक्ष, सरिता, धरती व पर्वत के गुण होते हैं।

श्री सुरभि गौशाला के भव्य प्रांगण में आयोजित कथा को कहते हुये संत बापू ने कहा कि कलियुग की सबसे बड़ी साधना दुखों को सहन करना है। मुस्कराते हुए जो सब सहन करे और दूसरों की भलाई ही करे, इससे बड़ा तप और क्या हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम उपवास रखते हैं। कई लोग उपवास के दौरान भूख सहन नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में वे क्रोध करते हैं। चिड़चिड़ापन आ जाता है, तो फिर ऐसा उपवास तप नहीं हुआ। तप तो सहन करना होता है। उन्होंने रामचरित मानस और अन्य ग्रंथों का जीवन में कितना महत्व है, यह बताते हुए युवाओं से कहा कि अब इंटरनेट के जरिए वे बहुत से ग्रंथ पढ़ कर अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। ये ग्रंथ हमारे गुरु हैं। उन्होंने कहा कि कलिकाल में समस्याओं के समाधान का एक बड़ा साधन और उपाय हरि नाम है। स्वयं भगवान शिव राम नाम जपते हैं। राम परम तत्व हैं। एक अन्य प्रसंग में उन्होंने कहा कि मोह रूपी रावण को राम ने मारा था। हमारे भीतर महामोह का महिषासुर बैठा है। महिषासुर का वध राम ने नहीं मां काली ने किया था। इसे मारने के लिए हम राम कथा का सहारा लें। राम कथा एक और जहां काली के रूप में कराल है, तो वहीं चंद्रमा की किरणों की तरह उसमें कोमलता-शीतलता भी है। उन्होंने कहा कि सती ने शिव की बातों का विश्वास नहीं किया और भगवान की परीक्षा लेने लगीं। इस कारण अंत में उन्हें शिव वियोग का सामना करना पड़ा। शंकर विश्वास हैं। भक्ति में संशय का कोई स्थान नहीं। विश्वास जीवन है, संशय हमें नाश तक ले जाता है।

श्री सदगुरू जन्म शताब्दी महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम की कथा कहते हुये संत मोरारी बापू ने सुखद दांपत्य का सूत्र बताया। उन्होंने कहा कि राम-सीता, लक्ष्मी-नारायण और शिव-पार्वती का दांपत्य सुखद है। सीता ने वन में राम की सेवा की। लक्ष्मीजी नारायण के चरण दबाती है। पार्वती ने शिव की आज्ञा का पालन किया। इनसे प्रेरणा लेकर दांपत्य सुंदर बनाओ। एक-दूसरे का आदर करो। पति-पत्नी के बीच संबंध मधुर होने चाहिए। बात-बात पर झगड़ा या क्रोध करना उचित नहीं। बापू ने कहा कि रामकथा संजीवनी है। यह जीना सिखाती है। कथा में जीवन जीने का संकल्प लेकर आओ। जीवन के हर पल का आनंद लो। कई बार तो ऐसा लगता है आनंद लेने के लिए जीवन कम है। खुश रहने का कोई लम्हा न छोड़ो। तुलसी मगन भयो, राम गुण गाए के.. गुनगुनाते हुए बापू बोले कि भजन एक महारोग है जिसे लग जाए उसे कोई कामना नहीं रहती। जब तक काम नहीं मिटता तब तक संतोष नहीं मिलता। काम है तब तक सुख नहीं। काम को मिटाने के लिए राम भजन करें। इस संदेश के साथ उन्होंने ‘मुस्कुराते रहो गुनगुनाते रहो, जीवन संगीत है सुर सजाते रहो भजन सुनाया। वहीं कथा स्थल के पास ही चल रहे विशाल भण्डारें में लाखों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। देर शाम कथा स्थल पर वाराणसी से पधारे वरूण ऋषि मिश्रा ने मानस गायन और पदम श्री प्रहलाद ने कबीर गायन से भक्तों को भाव विभोर कर दिया। श्री राम चरित मानस की आरती में उ.प्र. सरकार के राज्यमंत्री मन्नू लाल कोरी, बबीना विधायक राजीव पारीछा, सदर विधायक रवि शर्मा प्रमुख रूप से शामिल हुये।

इस दौरान श्रीमद् जगदगुरू द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर श्रद्धेय राजेन्द्र दास देवाचार्य महाराज, अनुरूद्ध दास महाराज ओरछा, महन्त अनन्तदास महाराज, महामण्डेलश्वर संतोश दास महाराज, जिला धर्माचार्य महन्त विष्णु दत्त स्वामी, नगर धर्माचार्य प. हरिओम पाठक, बसन्त गोलवलकर, लल्लन महाराज, मनोज पाठक, पीयूष रावत, अनिल रावत, आशीष राय, देवेश पाण्डेय, रत्नेश दुबे, पुनीत रावत, रीतेश दुबे, अंचल अड़जारिया, मनीष नीखरा, नीरज राय, भूपेन्द्र रायकवार, शिवशंकर संकल्प, अनिल दीक्षित, घनश्याम, सोनी कुशवाहा, बन्टू मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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