अपने नगरा का मौड़ा है, जिसने अपनी कमजोरी को बनाया ताकत

0 उभरता सितारा, जिसने पहले जीवन की जंग जीती, अब चला दुनिया जीतने

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झांसी। पैरालिसिस या लकवा एक ऐसी बीमारी है, जिससे एक अच्‍छे खासे इंसान को जिंदगी की एक लम्‍बी जंग लड़नी पड़ती है। यह बीमारी यदि किसी को जीवन की शुरूआत में ही हो जाए, तो उसको अपना जीवन बचाने के लिए कितनी बड़ी जंग लड़नी पड़ी होगी। यह हर कोई समझ सकता है। बात यहीं थम जाती, तो कोई बात नहीं थी। नगरा के इस मौड़े ने फिर भी हार नहीं मानी और पहले जीवन की जंग जीती। लकवा लगने के कारण उसके अंदर एक कमजोरी घर कर गई, जिसके तहत वह बोलने में हकलाने लगा। पर उसको तो फिल्‍म स्‍टार बनने का जो जूनून था, वह इस परेशानी के बाद भी शांति से नहीं बैठा और अपने माता पिता, परिजनों और मित्रों की दुआओं से वह इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर अपना मुकाम बनाने की ओर अग्रसर है।


रेलवे कर्मचारी परशुराम मौर्य और ग्रहणी प्रभा मौर्य का सुपुत्र तीन भाई बहन में सबसे बड़े बृजेश मौर्य को आठ वर्ष की उम्र में लकवा लग गया था, जिसके बाद भी उसने माता पिता के सहयोग से अपनी बीमारी को मात दी और बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय से एमसीए की पढ़ाई पूरी की। बीमारी के कारण उसको बोलने में परेशानी होने लगी और वह अटक अटक कर बोलता था। इसके बाद भी एक्‍टिंग में रुचि बरकरार बनी रही और कालेज टाईम में कई नाटकों में भाग लिया। इस दौरान मुम्‍बई से आई ऑडिशन टीम ने उसका चयन किया, जिसमें दिल्‍ली तक पहुंचा। वहां की चमक और चयनित साथियों की अदाकारी देखकर अपने नगरा का मौड़ा सहम सा गया। वापिस आना मजबूरी हो गई यहां आया तो काफी निराशा से घिर गया। तब उसने वरिष्‍ठ रंगकर्मी रामस्‍वरुप चक को अपना गुरु बनाया। उनसे उसे काफी सीखने को मिला। फिर भी कहीं न कहीं उसको कमी सी खलती रही। ऐसे में एक कार्यक्रम के दौरान उसको साथ मिला बुन्‍देलखण्‍ड के शाहरुख कहे जाने वाले ढरकोला देवदत्‍त बुधौलिया का। देवदत्‍त को गुरु बनाकर उसने काफी कुछ सीखा। कई नाटक और नुक्‍कड़ नाटक किए। उसी दौरान एक और गुरु अजय साहू के सानिध्‍य में उसने अदाकारी की बारिकियां सीखीं। अब उसके काम आई उसकी पढ़ाई तकनीकि का जानकार होने के कारण उसने मोबाईल पर शार्ट फिल्‍में बनाना प्रारम्‍भ किया, जिसको देखकर लोगों ने उसको काफी सराहा। इस दौरान कई शार्ट फिल्‍में करने के बाद लवकाण्‍ड और भूमाफिया फिल्‍मों में उसको काम करने का मौका मिला। पर देखो तो नगरा के इस मौड़े का मन यहां नहीं भरा और 2017 में समीर खान द्वारा कराए गए मिस्‍टर और मिस बुन्‍देलखण्‍ड प्रतियोगिता में भाग ले लिया। यहां उसको खास सफलता तो नहीं मिली और तीसरे स्‍थान पर आया, लेकिन उसका मकसद उसको काफी हद तक आगे बढ़ाने में सहायक रहा। प्रतियोगिता में भाग लेने से एक तो उसको काफी लोग जानने लगे और वह लोगों की नजर में भी आ गया। फिलहाल ब्रजेश अब तक कई शार्ट फिल्‍म बना चुका है और झांसी महोत्‍सव, ओरछा फिल्‍म फेस्‍टीवल, इण्‍डिया फिल्‍म प्रोजेक्‍ट आदि कई स्‍थानों पर पुरस्‍कार जीत चुका है। अब उसे साथ मिला है मिस बुन्‍देलखण्‍ड 2017 की विनर सिमरन कौर का। इनके साथ कई शार्ट फिल्‍म करने के बाद अब अपने यूटयूब चैनल maurya n kaur पर कामेडी सीरियल, रोमांटिक सांग, शार्ट फिल्‍में और तमाम अन्‍य तरीकों से दोनों धूम मचाए हुए हैं।


इस सम्‍बंध में ब्रजेश बताते हैं कि अभी मैं शॉर्ट फिल्म दिल दोस्ती और मौत के खेल पर काम कर रहा हूं, जो कि जल्द यूटयूव पर दर्शकों के सामने प्रदर्शित होगी। उनका कहना है कि यहां तक लाने में उसको मातापिता का पूरा सहयोग मिला और उनके आर्शीवाद से जल्‍दी ही वह मुम्‍बई जाकर अपना भाग्‍य आजमाएंगे।

आखिर नगरा का मौड़ा जो ठहरा

झांसी महानगर में प्रमुख रोजगार रेलवे की नौकरी ही है, जिसके कारण रेल कर्मचारियों के बच्‍चे व अन्‍य अपनी पढ़ाई के साथ रेलवे की नौकरी की तैयारी करते रहते हैं। ऐसे में एक पढ़े लिखे लड़के को फिल्‍म के नाम पर समय खराब करते देखना नगरा के ऐसे तैयारी करने वालों और ब्रजेश के जानने वालों को नागवार गुजरता है और वह समय समय पर अपने नगरा के मौड़े को रेलवे की तैयारी करने का मशविरा देते रहते हैं। इस पर बेचारा नगरा का मौड़ा कभी झेंपकर, कभी कोई रियेक्‍ट कर या किसी अन्‍य तरीके से खुद को बचाता नजर आता है।

10 COMMENTS

  1. Keep doing brother…. I will always with you…. I know one day you shine like a star ….good luck ????????????????????????

    • Meri college friend neha parihar tumne bhi hamesa mujhe support kiya, hamesa mujhe positive energy di… Eske liye bahut bahut shukriya

  2. शानदार ब्रजेश…
    लगन से मेहनत करो…
    तुम्हारे सपने अवश्य सच होंगे…

    • शुक्रिया गुरूजी आप का आशीर्वाद सदा हम पर बना रहे

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