इस मांग से व्‍यापारियों ने खड़ी कींं सरकारों के लिए दिक्‍कतें

किसानों की तरह व्यापारियों का भी हो कर्ज माफ

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झांसी। मप्र में चुनाव से पूर्व घोषणा के अनुसार कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने तत्‍काल किसानों का कर्ज माफ कर दिया था, जिसको देखते हुए अब व्‍यापारियों ने एक ऐसी मांग रख दी है। इस मांग के आने के बाद अब सरकारों के लिए दिक्‍कत खड़ी होना लाजमी है। वहीं व्‍यापारी मांग पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं।
देश के 26 राज्यों के व्यापारी नेताओं की एक बैठक कॉन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के बैनर तले आयोजित की गई, जिसमें व्यापारियों ने एक स्‍वर में सरकार से मांग की है, कि किसानों की कर्ज माफी की तरह व्यापारियों का भी कर्ज माफ किया जाए। बैठक में तय किया गया कि अगर सात करोड़ व्यापारियों की यह मांग नहीं मानी गई तो, व्यापारी आंदोलन की तरफ अग्रसर होंगे। बैठक में उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष व कैट के राष्ट्रीय मंत्री संजय पटवारी ने कहा कि देश में व्यापारी वर्ग सरकार के लिए राजस्व इकट्ठा करने का काम करता है, जिसके बदले में उसे कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। अनेक प्रकार की कागजी कार्यवाही, जटिल कर प्रक्रिया और उस पर होने वाले खर्च को व्यापारी वहन करता है। वहां जरा सी भी त्रुटि हो जाने पर दंड व अन्य परेशानियों को भुगतना पड़ता है। देश में यदि कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए, जिसमें व्यापारी को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, तो आज तक उसके लिए कोई कर्ज माफी या अन्य सुविधा सरकार द्वारा नहीं दी जाती है। वही वोटों के लालच में प्रतिवर्ष किसानों का कर्जा माफ कर उन्हें पंगु बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर व्यापारियों का भी व्यापार क्रेडिट कार्ड जारी किया जाए। बीडीओ के चेयरमैन आनंद मिश्रा ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार केवल 40 फ़ीसदी किसान ही बैंकों से कर्ज लेते हैं, जबकि शेष किसान अन्य स्रोतों पर निर्भर रहते हैं जो कर्ज माफी के दायरे में नहीं आता। इस दृष्टि से कर्ज माफी देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक आत्मघाती कदम है, जिस पर अब रोक लगाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता है कि व्यापार और उद्योग को बढ़ावा व कर्ज देकर व्यापार व उद्योग को और सुदृढ़ किया जाए। इस राष्ट्रीय बैठक की अध्यक्षता कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने की व संचालन कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने किया। इस संबंध में अगली रणनीति 12 जनवरी से भोपाल में आयोजित होने वाली दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की बैठक में बनाई जाएगी।

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