राम कथा आत्‍म सात करने से सफल होगा जीवन – संत मुरारी बापू

-जब बापू विदा होने लगे, तो जनमानस भावुक हो उठा -पूर्णाहुति के साथ विशाल भण्डारे में उमड़ा भारी जनसैलाब

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ओरछा। श्री सुरभि गौशाला के भव्य प्रांगण में आयोजित श्रीराम कथा के अंतिम दिन संत मुरारी बापू की मुखर वाणी का जादू भक्तों के सिर चढ़ कर बोला। हालांकि जब बापू विदा होने लगे, तो जनमानस भावुक हो उठा। यह देखकर बापू की आंखें भी नम हो गई। इस दौरान बापू ने भाव विभोर राम रसिक श्रोताओं से कहा कि राम कथा मनुष्य बनने का फार्मूला है, इसे आत्मसात कर लो, जीवन सफल और सार्थक हो जाएगा। कथा के अंतिम दिन उन्होंने सभी से कहा कि सभी खुश रहना, अलविदा, राम कृपा से हम फिर मिलेंगे…!

बापू ने कहा कि प्रेम और भक्ति जिसके पास होती है, उसके पास दुख नहीं आ सकते। प्रेम हमारी दिशा बदलता है और भक्ति दशा बदल देती है। वैष्णवी भक्ति विशाल है। राम कथा मनुष्य बनने का फार्मूला है। इसे अपने भीतर उतारें। यह कथा तारनहार बन सकती है। राम की कथा है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। उनके जीवन में प्रेम है, तो मर्यादा और अनुशासन भी है। संत बापू ने कहा कि मनुष्य को चाहिए कि वह यज्ञ, दान व तप जरूर करे। उन्होंने इन तीनों की महिमा बताई। उन्होंने इसके आध्यातिमक व सांकेतिक पहलू पर प्रकाश डाला। यज्ञ से बुद्धि शुद्ध होती है। यज्ञ का अर्थ है कि आपके विचार सकारात्मक हों, आप भूखे को खाना खिलाएं, गरीब बालक की स्कूल फीस जमा करा दें, सदैव सत्य बोलें। यह भी एक प्रकार का यज्ञ है। दान भी करें। दान परोपकार के रूप में भी होता है। लोगों से मीठा बोलें, हर संभव मदद के लिए तत्पर रहें। अपने ही नहीं दूसरों के सत्य को भी कबूल करें। सत्य को सत्य रहने दें, उसे पंगु न बनाएं। आप सच्चे हैं, पर कोई आपकी बात नहीं मानता को क्रोध न करें। सहनशीलता बनाए रखें। यह भी तप है।

उन्होंने कहा कि परमात्मा की निकटता पाने के लिए हमारे भीतर सत्य, प्रेम व करूणा का भाव होना जरूरी है। राम नाम का सहारा लो। इन तीनों का आपके जीवन में जरूर प्रवेश होगा। राम परम तत्व हैं। राम से ही कई विष्णु प्रकट होते हैं। उन्होंने कहा कि छूआछूत व भेदभाव कभी मत करना। सभी मनुष्य समान हैं। राम भीलनी शबरी के घर गए और अहिल्या को भी तारा। बापू ने युवाओं को सीख दी कि वे बुजुर्गों का सम्मान करें। उनसे उनके अनुभवों का लाभ लें। भारतीय संस्कृति व संस्कारों को भी अपनाएं। सत्य को अपना स्वभाव बना लें। दूसरों को सुधारने की अपेक्षा स्वयं सुधरने का प्रयास करें। संत मोरारी बापू ने कहा कि पौराणिक कथाओं के श्रवण मात्र से मन की शुद्धि तो होती ही है, जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।

संत मोरारी बापू ने भक्त एवं भगवान के बीच संबंधों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि जब भक्त हैं, तभी भगवान भी है। भक्ति से ही भगवान प्रसन्न होते हैं। इसलिए कलयुग में भगवान की भक्ति अवश्य करनी चाहिए। कहा कि मनुष्य का कब जन्म हो जाए और कब अंत, यह किसी को पता नहीं। किसी के प्रति ईष्र्या की भावना मत रखो। जितने क्रोध पर जीत हासिल कर दी, वह कहीं मार नहीं खा सकता। बापू ने मां जानकी की विदाई, केवट प्रंसग का सुन्दर वर्णन किया।

भारत सरकार की केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने श्री राम चरित मानस की आरती की। नौ दिवसीय श्रीराम कथा ने रविवार को पूर्णाहुति के साथ विराम ले लिया। इस मौके पर हजारों भक्तों ने प्रसाद स्वरूप भंडारे का भोग भी लगाया। समापन दिवस पर राम कथा के रस में सराबोर होने आए लोगों की संख्या रोज से अधिक थी। इनमें महिलाएं और युवा भी शामिल थे। इस दौरान भजन मंडली ने भजनों की सुमधुर प्रस्तुति से माहौल को राममय बना दिया। अंत में ब्राह्मणों ने जौ-तिल से हवन कर पूर्णाहुति की।

इस दौरान श्रीमद् जगदगुरू द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर श्रद्धेय श्री राजेन्द्र दास देवाचार्य महाराज, अनुरूद्ध दास महाराज ओरछा, महन्त अनन्तदास महाराज, महामण्डेलश्वर संतोष दास महाराज, जिला धर्माचार्य महन्त विष्णु दत्त स्वामी, जिलाधिकारी कर्ण सिंह चैहान, एसएसपी जे के शुक्ल, नगर धर्माचार्य प. हरिओम पाठक, बसन्त गोलवलकर, लल्लन महाराज,, मनोज पाठक, पीयूष रावत, अनिल रावत, आशीष राय, देवेश पाण्डेय, रत्नेश दुबे, पुनीत रावत, रीतेश दुबे, अंचल अड़जारिया, मनीष नीखरा, नीरज राय, भूपेन्द्र रायकवार, शिवशंकर संकल्प, अनिल दीक्षित, घनश्याम चैबे, सोनी कुशवाहा, बन्टू मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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