ज्ञानार्जन का प्रमुख साधन है पर्यटन : प्रो. लिविनिया

लातिविया एवं स्पेन के पर्यटन विशेषज्ञों ने किया आई.टी.एच.एम. का भ्रमण

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झांसी। यद्यपि आज के वैज्ञानिक युग में ज्ञानार्जन के कई साधन उपलब्ध है परन्तु पर्यटन आज भी मानव के लिए ज्ञानार्जन का प्रमुख साधन माना जाता है, क्योंकि पर्यटन से प्राप्त ज्ञान मानव द्वारा स्वयं के निरीक्षण से ही प्राप्त होता है। यह विचार आज लातिविया की विडजे विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान तथा मानविकी शोध संस्थान के निदेशक प्रो.अगिता लिविनिया ने व्यक्त किये। प्रो.लिविनिया आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन संस्थान के सभागार में संस्थान के छात्रों तथा शिक्षकों को सम्बोधित कर रहे थे।

प्रो.लिविनिया ने छात्रों से पर्यटन के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि उनका देश मात्र बीस लाख की आबादी वाल एक छोटा सा देश है। प्राकृतिक तथा खनिज संसाधनों के अभाव में उनक देश की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह से पर्यटन पर ही आधारित है। उनके देश में अधिकतर युवा पर्यटन के क्षेत्र में ही रोजगार की तलाश करते है। उन्होंने कहा कि भारत में तथा विशेषकर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं है, आवश्यकता इस बात की है कि छात्रों को संस्थान में अध्ययन के दौरान गहन ज्ञान प्राप्त कर पर्यटन को ही रोजगार के रूप में अपनाएं। स्पेन से आए डा.जैनिस बिकसे ने उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि पर्यटन के क्षेत्र जहां कैरियर एवं रोजगार की अपार सम्भावनाएं तो हैं परन्तु उसके लिए कडी मेहनत भी आवश्यक है। डा.बिकसे ने छात्र-छात्रओं से अपील की कि वे पर्यटक स्थलों के सम्बन्ध में इन्टरनेट अथवा पुस्तक आधारित ज्ञान प्राप्त करने के स्थान पर स्वयं पर्यटक स्थलों पर जाकर जानकारी प्राप्त करें। इसके अतिरिक्त डा.लोरिया ने भी छात्र-छात्राओं को स्पेन के पर्यटक स्थलों के बारे में जानकारी दी और कहा कि वैश्विक स्तर पर पर्यटन में रोजगार प्राप्त करने के अनेक अवसर उपलब्ध है। पर्यटन एवं होटल प्रबन्ध संस्थान के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील काबिया ने बताया कि प्रो.लिविनिया, डा.बिकसे तथा डा. लोरिया के साथ-साथ राष्ट्रीय पर्यटन संस्थान, हैदराबाद के डा.महेन्द्र रेड्डी तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकण्टक के डा.रघु ने भी संस्थान का भ्रमण किया तथा शिक्षकों और छात्र-छात्राओं से भेंट की।
इस अवसर पर प्रो. लिविनिया डा.बिकसे तथा डा. लोरिया ने पर्यटन एवं होटल प्रबन्ध संस्थान में उपलब्ध आधारभूत सुविधाओं तथा प्रयोगशालाओं के स्तर पर सन्तुष्टि व्यक्त की तथा कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतियेगिता के लिए अभी भी आधिरभूत सुविधाओं तथा प्रयेगशालाओं का स्तर सुधारने की आवश्यकता है। सभी अतिथियों ने प्रस्ताव किया कि पर्यटन सस्थान तथा उनके विश्वविद्यालय मध्य एक एम.ओ.यू. होना चाहिये जिससे परस्पर शिक्षकों तथा विद्यार्थिओं को एक दूसरे संस्थान में जाकर शोध एंव प्रशिक्षण की सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सके। सभी का मानना इस प्रकार पर्यटन के क्षेत्र में शिक्षण प्रशिक्षण तथा शोध में गुणात्मक परिवर्तन हो सकता है।
आज प्रातः सर्वप्रथम संस्थान के विभागाध्यक्ष प्रो.सुनील काबिया ने अतिथियों का स्वागत किया तथा सभी अतिथियों को पर्यटन संस्थान में उपलब्ध आधारभूत सुविधाओं तथा प्रयोगशालाओं के बारे में जानकारी दी इसके पश्चात अतिथियों ने संस्थान का भ्रमण किया। इसके पश्चात अतिथियों ने संस्थान के सभागार में छात्र-छात्राओं से बात की तथा विभिन्न विषयों पर उनकी शंकाओं का समाधान भी किया।
सभी इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुनील के अतिरिक्त प्रो.अपर्णा राज, प्रो.देवेश निगम, प्रो.प्रतीक अग्रवाल, डा.संजय निबोरिया, डा.महेन्द्र कुमार, डा.रमेश कुमार, डा.जी.के.श्रीनिवासन, डा.सुधीर द्विवेदी, डा.आशीष सेठ, डा.शैलेन्द्र तिवारी, डा.मेघा जायसवाल, डा.अशुमान सिंह, डा.आयुष सक्सेना सहित विभाग के सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। अन्त में संस्थान के द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया।

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