महिला किसानों को बताये औषधीय पौधो की खेती के फायदे

0 बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस विभाग द्वारा आयोजित की गयी ऑनफील्ड वर्कशॉप

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झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस विभाग को भारत सरकार के बायो टेक्नोलॉजी विभाग द्वारा स्वीकृत परियोजना के अंतर्गत बुंदेलखंड में पैदा किये जा सकने वाले औषधीय पौधो की कृषि के विषय में जानकारी प्रदान कराने हेतु ग्राम पठा, तहसील बंगरा, झाँसी में जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके साथ ही किसानो को बंगरा ब्लॉक के ग्राम पठा में ऑनफील्ड टूर के तहत फील्ड प्रशिक्षण दिया गया।
परियोजना प्रबंधक, डॉ रामबीर सिंह ने बताया की ग्रामीण भारत की आवादी मे बड़ा हिस्सा है। गरीबी ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को अधिक दुष्प्रभावित करती है। अधिकांश ग्रामीण महिलायें असंगठित क्षेत्र, कृषि और सहायक गतिविधियों, सक्षम उद्योगों आदि में कार्यरत हैं। ये गतिविधियाँ कड़ी मेहनत वाली और कम आय वाली हैं। अपनी भौगोलिक संरचना के कारण बुंदेलखंड परिक्षेत्र को कम विकसित एवं उद्योग विहीन क्षेत्र के रूप में जाना जाता हैं बुंदेलखंड क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल औषधीय पौधो जैसे तुलसी, शतावर, अश्वगन्धा, खस, शंखपुष्पी, गिलोय, बकुची, सर्पगंधा, पुनर्नवा, पाठा, कटकरी इत्यादि की कृषि के माध्यम से बुंदेलखंड में महिला स्वाबलम्बन एवं सशक्तिकरण विषयक एक परियोजना हैं। डॉ रामबीर सिंह ने औषधीय पौधो के उत्पादन को आजीविका संवर्धन मे बहुत उपयोगी बताया। कार्यक्रम में आर्गेनिक इंडिया के पुष्पेन्द्र यादव ने तुलसी की कृषि की तकनीकी जानकारी किसानों को दी। कार्यक्रम में ग्राम पठा एवं आसपास के लगभग २०० किसानो ने भाग लिया। इस अवसर पर मानसी श्रीवास्तव, धीरज प्रताप सिंह , नेहा गंगवार एवं रविंद्र वर्मा इत्यादि उपस्थित रहे।

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