फालतू चीजों से जिंदगी संवारना कोई अमृता शेरगिल से सीखे

ललित कला संस्थान में आयोजित हुआ ‘‘व्यर्थ से अर्थ’’ कार्यक्रम----------------- प्रख्यात कलाकार अमृता शेेेरगिल को किया याद

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झाँसी। ‘‘अमृता शेरगिल 20वीं शताब्दी की महत्वपूर्ण चित्रकार थीं, जिन्होंने कला की विरासत को आगे बढाने का काम किया। 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने पेरिस में कला सीखी और अपनी पेंटिग्ंस के माध्यम से पूरे विश्व में भारत का मान बढ़ाया।’’ उपरोक्त विचार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झाँसी के ललितकला संस्थान द्वारा महान चित्रकार अमृता शेरगिल की 106वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित ‘‘व्यर्थ से अर्थ’’ कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. मुन्ना तिवारी ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि पाश्चात्य देशों में रहने व पढ़ने के बावजूद भी अमृता शेरगिल का मन भारत में ही रमता था। उन्हांेने भारत की आम महिला से लेकर उच्च वर्गीय महिलाओं की मनोस्थिति का बेहतर चित्रण अपनी पेंटिंग्स में किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रुप में अनुपयोगी वस्तुओं से कलाकृतियां बनाने वाली कलाकार नीलम सारंगी ने अमृता शेरगिल की कलाकृतियों के विषय में बताते हुए विद्यार्थियों को बेकार वस्तुओं, कपडों, टूटी बाल्टी, छाते, जूते आदि के माध्यम से बेहतर कलाकारी के हुनर से विद्यार्थियों का अवगत कराया।


अमृता शेरगिल को अपनी श्रंद्धाजलि अर्पित करते हुए कार्यक्रम के विषिष्ट अतिथि डाॅ. मुहम्मद नईम ने कहा कि कला व संस्कृति समाज को ताजगी व सौन्दर्य प्रदान करते हैं, इसके माध्यम से हम अपनी संवेदनाओं को प्रदर्शित करते हैं। अतिथियों को स्वागत करते हुए ललित कला संस्थान की समन्वयक डाॅ. श्वेता पाण्डेय ने कार्यक्रम के आयोजन के विषय में अवगत कराते हुए बताया कि अमृता शेरगिल ने ग्रामीण परिवेश से लेकर स्वयं तक का आत्मचित्रण किया। उन्होेंने कहा कि उन्हें विषाद, व दुःख की कलाकार माना जाता है, जिन्होनें अपनी कलाकृतियों के माध्यम से आम महिला की पीडा को समाज के सामने रखा।
इस अवसर पर डाॅ. सुनीता, डाॅ. अजय कुमार गुप्ता, जयराम कुटार, मुकुल वर्मा सहित सिफसा, झाँसी से सुनील कुमार सोनी, प्रियंका सेंगर, शिवेेन्द्र प्रताप सिंह, कवि प्रेम कुमार गौतम, लक्ष्मीनारायण शर्मा, रविकुमार मिश्रा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में लीलाधर पाण्डेय, आकांक्षा चैरसिया, मेघा कुशवाहा, नीतू अहिरवार, रौनक सीरौठिया, शिवाराजा, विक्रम ने अपनी-अपनी रचनाओं के माध्यम से अमृता शेरगिल को श्रंद्धाजंलि दी। संचालन रिया सिंह ने व आभार दिलीप कुमार ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर व द्वीप प्रज्जवलन कर किया। इस अवसर पर विद्याथर््िायों द्वारा अमृता शेरगिल की पेंटिग्स पर आधारित चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसे अतिथियों व दर्शकों द्वारा मुक्त कण्ठ से सराहा गया। कार्यक्रम के अन्त में, बी. एफ. ए. तृतीय वर्ष के विद्याथर््िायों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये। इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 71वें स्मृति दिवस पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
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विद्यार्थियों के लिए परिसर में परिचयपत्र रखना आवश्यक

0 कुलानुशासक मण्डल ने किया बी.यू.परिसर का भ्रमण
झाँसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलानुशासक मण्डल ने मुख्य कुलानुशासक प्रो.आर.के. सैनी के नेतृत्व में सम्पूर्ण शैक्षणिक परिसर में भ्रमण कर बाहरी छात्रों को कैम्पस के बाहर निकाला गया और बिना परिचय पत्र के पाये गये विद्यार्थियों को चेतावनी दी गई। मुख्य कुलानुशासक प्रो.आर.के. सैनी ने बताया कि इस प्रकार की जांच नियमित रुप से चलती रहेगी। प्रो. सैनी ने विश्वविद्यालय परिसर में विद्यार्थी अपना परिचयपत्र अवश्य लेकर आयें, परिचयपत्र न होने की दशा में उन्हें परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जायेगा।
कुलपति प्रो. जे. पी. वैशम्पायन के मार्गदर्शन में मुख्य कुलानुशासक प्रो. आर. के. सैनी ने कुलानुशासक मण्डल के सदस्यों डाॅ. विनीत कुमार, डाॅ. ममता सिंह, डाॅ. ए. पी. एस. गौर, डाॅ. सुनील त्रिवेदी, डाॅ. मुहम्मद नईम, डाॅ. श्वेता पाण्डेय, डाॅ. शुभांगी निगम, डाॅ. प्रशान्त मिश्रा, डाॅ. सन्तोष पाण्डेय, डाॅ. विजय यादव, डाॅ. पे्रमकुमार राजपूत, ने विश्वविद्यालय के मुख्य गेट से प्रारम्भ कर, समस्त विभागों, पार्कों, दीक्षान्त ग्राउण्ड, कैफेटेरिया आदि में सघन दौरा किया, जहां बिना परिचय पत्र के पाये गये विद्याथर््िायों को चेतावनी दी गई और कक्षा अवधि में कक्षाओं में अध्ययन करने हेतु निर्देशित किया गया।

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