वैज्ञानिक साक्ष्‍य पेशकर अपराधों पर कर सकते हैं नियंत्रण- डॉ. गोस्‍वामी

बुविवि में फोरेंसिकाॅन.2019 का आयोजन, देश के विविध हिस्सों से आए विशेषज्ञ

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झांसी। फोरेंसिक साइंस के जरिये ही वैज्ञानिक साक्ष्य पेशकर देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाया जा सकता है। अब आतंकी घटनाओं से संबंधित फोरेंसिक साइंस को और विकसित करने की जरूरत है। वर्तमान में अपराधियों से पूछताछ में अब थर्ड डिग्री का प्रयोग वर्जित हैैै। ऐसे में फोरेेंसिक साक्ष्यों का महत्व बढ़ गया है। उक्‍त विचार बुन्‍देलखण्‍ड विश्वविद्यालय के डाॅॅ. एपीजे कलाम इंस्टीट्यूट आफ फोरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलाजी के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय आपराधिक न्याय व्यवस्था की चुनौतियां और नवोन्मेष विषय पर हो रहे राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में जुटे विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए केंंद्रीय खुफिया एजेंसी सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर एंटी करप्शन डा. जीके गोस्वामी व्‍यक्‍त किए।
जम्मू कश्मीर के पुलवामा के शहीदों को श्रद्धासुमन करते हुए डा. गोस्वामी ने विविध उदाहरण पेश कर यह बात साफ की, कि जांच में प्रश्नों को सही ढंग से तैयार न करने से पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ जाती है। यदि प्रश्न सही ढंग से तैयार किए जाएं तो जांच की प्रक्रिया वैज्ञानिक हो सकती है। उन्होंने देश में दिन पर दिन बढ़ रही फोरेंसिक साइंस के कार्मिकों की मांग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया कि सभी शैक्षणिक संस्थाओं में उपलब्ध उपकरणों और मानव संसाधन का ठीक से आंंकलन कर समुचित नीतियां बनाई जाएं। प्रयोगशालाओं में नियुक्ति के लिए समयानुकूल प्रावधान तय किए जाएं।


एफएसएल, सागर के डायरेक्टर डा. हर्ष शर्मा ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से अपने लगाव का जिक्र किया। उन्होंने राष्ट्रीय सम्मेलनों को ज्ञान के विनिमय का अहम केंद्र बताते हुए शोधार्थियों से इसका पूरा लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन में एक ही विषय के विविध पहलुओं से संबद्ध विशेषज्ञों के विचारों को सुनने और समझने का मौका मिलता है। शुरुआत में केवल मानवीय गवाही के आधार पर ही न्याय हो जाता था, लेकिन अब न्याय व्यवस्था को और सृदृढ़ बनाने के लिए फोरेंसिक साइंस की विभिन्न प्रविधियों का प्रयोग किया जा रहा है।
पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के प्रो. मुकेश कुमार ठक्कर ने कांफे्रंस के एजेंडा के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था को मजबूत कर लोकतंत्र को और प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपराधों पर रोक के लिए पर्याप्त संख्या में तकनीकी से लैस कार्मिकों को उपलब्ध कराना है, ताकि न्याय व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जा सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेवी वैशम्पायन ने कहा कि यदि देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था प्रभावी होगी, तो लोगों का विश्वास लोकतंत्र में और बढ़ेगा। यदि न्याय की व्यवस्था सही न होगी तो विभिन्न प्रकार की समस्याएं जन्म लेंगी। उन्होंने कहा कि समाज में विकास के साथ ही साथ आपराधिक वारदातों की संख्या भी बढ़ी है। मजबूत साक्ष्य के अभाव में समुचित ढंग से न्याय नहीं हो पाता है। फोरेंसिक साक्ष्य वैज्ञानिक और सटीक हैं। इनमें चूक की संभावना कम होती है। ऐसे में इनके आधार पर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि दोषी की सही पहचान होगी। कोई निर्दोष सजा पाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे फोरेंसिक साइंस की बदौलत देश की न्याय व्यवस्था और सुदृढ़ होगी।
राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन किया। विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना पेश किया। कार्यक्रम संयोजक डाॅॅ. अंकित श्रीवास्तव ने सम्मेलन में आए अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने सम्मेलन की रूपरेखा भी पेश की। अधिष्ठाता विज्ञान संकाय प्रो. एमएम सिंह ने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन लोगों के ज्ञान के कोष में बढ़ोत्तरी करेगा। अंत में विभाग संयोजक डाॅॅ. विजय कुमार यादव ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशेषज्ञों और प्रतिभागियों के प्रति आभार जताया। इस कार्यक्रम में बुविवि के कुलानुशासक प्रो. आरके सैनी, डाॅॅ. अनु सिंगला, डाॅॅ. ललित गुप्ता, डाॅॅ. यतींद्र मिश्र, उमेश शुक्ल, सतीश साहनी, प्रशांत मिश्र आदि उपस्थित रहे।
प्रथम तकनीकी सत्र में सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर डाॅॅ. जीके गोस्वामी ने फोरेंसिक साक्ष्य के महत्व, इसे एकत्र करने के तौर तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने साक्ष्य एकत्र करने में बरती जाने वाली सावधानियों का भी जिक्र किया। विविध उदाहरणों से यह साफ किया कि साक्ष्य के आधार पर ही समुचित न्याय सुनिश्‍चित किया जा सकता है। इस सम्मेलन में विभिन्न हिस्सों में स्थित लगभग देश भर के 40 फोरेंसिक लैब के विशेषज्ञ और शोधार्थी हिस्सा लेने को आए हैं।

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